कहानी- बांसुरीवाला 5 (Story Series- Bansuriwala 5)

उन्होंने शास्त्रीजी की ओर देखा. उनका चेहरा भी आंसुओं से भीगा हुआ था. उस लड़के की कहानी ने उनकी आत्मा तक को झकझोर दिया था. उन्होंने कांपते स्वर में कहा, ‘‘सर, अगर आप अनुमति दें, तो इस लड़के को मैं अपनी कक्षा में भर्ती कर लूं. इसकी फीस मैं भर दिया करूंगा.’’

 

 

 

… इतना कह कर वो लड़का क्षण भर के लिए रूका फिर हिचकियां भरते हुए बोला, ‘‘जिस दिन से आपने मुझे यहां आने से मना किया है मैं न तो ठीक से खा पाया हूं और न सो पाया हूं. ऐसा लग रहा है कि मैं एक बार फिर अनाथ हो गया हूं.’’
उस लड़के के मुंह से निकला एक-एक शब्द हथौड़े की भांति प्रधानाध्यापक के अर्न्तमन पर पड़ रहा था. समय के थपेडों ने छोटे से बच्चे को कितना समझदार बना दिया था. उसकी मदद करने की बजाय उन्होंने आज उसे मारा था. अपनी करनी पर प्रधानाध्यापक का चेहरा शर्म से झुक गया.

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उन्होंने शास्त्रीजी की ओर देखा. उनका चेहरा भी आंसुओं से भीगा हुआ था. उस लड़के की कहानी ने उनकी आत्मा तक को झकझोर दिया था. उन्होंने कांपते स्वर में कहा, ‘‘सर, अगर आप अनुमति दें, तो इस लड़के को मैं अपनी कक्षा में भर्ती कर लूं. इसकी फीस मैं भर दिया करूंगा.’’
“इसकी फीस आप नहीं भर सकते.’’ प्रधानाध्यापक ने सख़्त स्वर में कहा.
‘‘क्यों?’’ शास्त्रीजी अचकचा उठे.
‘‘क्योंकि इसकी फीस मैंने माफ़ कर दी है.’’ प्रधानाध्यापक मुस्कुराए.
‘‘आप महान हैं सर.’’ हमेशा तना रहनेवाला शास्त्रीजी का चेहरा किसी बच्चे की भांति प्रसन्नता से खिल उठा.
प्रधानाध्यपक ने शास्त्रीजी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और उस लड़के की तरफ़ मुड़ते हुए बोले, ‘‘फीस माफ़ करने के अलावा मैं तुम्हें किताबें भी दिलवा दूंगा, लेकिन इसके बदले में तुम्हें एक काम करना पड़ेगा.’’
‘‘आप आज्ञा दीजिए. मैं पढ़ाई के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार हूं.’’ उस लड़के की आंखों से गंगा-जमुना निकल पडीं.
‘‘प्रतिदिन सुबह प्रार्थना सभा में बांसुरी की धुन पर तुम्हें पूरे स्कूल को प्रार्थनाएं सुनानी पड़ेंगी.’’ प्रधानाचार्य ने बताया.
यह सुन वो लड़का प्रधानाचार्य के पैरों की तरफ़ झुक पड़ा, लेकिन उन्होंने उसे रोककर अपने सीने से लगा लिया. उसकी पीठ थपथपाने के बाद वे उसका हाथ पकड़कर स्कूल के भीतर चल पड़े.
शास्त्रीजी और अन्य बच्चे पीछे-पीछे आ रहे थे. सभी की आंखों में प्रधानाध्यापक और बांसुरीवाले लड़के के प्रति सम्मान का भाव था.

संजीव जायसवाल ‘संजय’

 

 

 

 

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