कहानी- बुद्धिबली 5 (Story Series- Budhibali 5)

“अरे मेरी झांसी की रानी, तुमने तो कमाल कर दिया.” नीरज भी ठहाका लगाकर हंस पड़ा.
“इन बाहुबलियों से हम बुद्धिबलियों को अपने ही तरी़के से निपटना पड़ेगा, वरना एक दिन ये पूरे देश को खा जाएंगे.” गरिमा का स्वर गंभीर हो उठा.
“तुम सच कह रही हो मेरी प्यारी ‘बुद्धिबली’ नीरज ने प्यार से गरिमा की ओर देखते हुए कहा और फिर अपने मोबाइल पर आई वीडियो क्लिपिंग की कॉपी बनाकर उसे इंटरनेट पर सुरक्षित रखने लगा.

प्रिंसिपल साहब खतरा भांप गए थे. अत: उन्होंने लपककर विधायकजी को थाम लिया और उन्हें लगभग ज़बरदस्ती कुर्सी पर बैठाते हुए उनके कान में फुसफुसाए, “सर, अगर यह वीडियो सोशल मीडिया पर लीक हो गया, तो मेरी नौकरी तो जाएगी ही जाएगी, आपका पॉलिटिकल करियर भी हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगा, इसलिए शांत रहिए. मैं सब संभाल लूंगा.”
बात विधायकजी की भी समझ में आ गई थी, इसलिए झल्लाकर रह गए. प्रिंसिपल साहब वापस अपनी कुर्सी पर बैठे और आवाज़ में चाशनी घोलते हुए बोले, “गरिमा, तुम मेरी बेटी की तरह हो.”
“सर, आप एक आदर्श गार्जियन बन आदेश करें, मैं बिना शर्त उसका पालन करूंगी.” गरिमा ने सीधे प्रिंसिपल की आंखों में झांका.
प्रिंसिपल के अंदर उससे आंखें मिलाने का साहस न था. अत: नज़रें चुराते हुए बोले, “वह वीडियो क्लिपिंग हमें वापस कर दो. बदले में जो चाहोगी हम तुम्हें देंगे.”
“सर, वह वीडियो तो मेरी सुरक्षा की गारंटी है, इसलिए उसे मैं वापस नहीं कर सकती.” गरिमा ने दृढ़ स्वर में इंकार किया, फिर बोली, “लेकिन अगर आप उस लड़के को परीक्षा से निष्कासित कर दें और विधायकजी नकल करानेवाले गिरोह को पकड़वा दें, तो मैं वादा करती हूं कि वह वीडियो कभी लीक नहीं करूंगी.”
विधायकजी काफ़ी उछले-कूदे, लेकिन अंतत: उन्हें गरिमा की शर्त माननी ही पड़ी. शाम को पूरी बात सुनने के बाद नीरज ने कहा, “लेकिन वह कैमरा है कहां? मैंने तुम्हारे पूरे पर्स को देखा था, लेकिन उसमें तो कोई ऐसी चीज़ नहीं थी, जिसे बचाने के लिए तुम इतना परेशान हो रही थी.”

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“कैमरा कहीं होता तो मिलता?” गरिमा मुस्कुराई.
“क्या मतलब?” नीरज चौंक पड़ा.
“मैं समझ गई थी कि इतने आधुनिक तरी़के से नकल कराने के पीछे किसी शक्तिशाली आदमी का हाथ होगा, इसलिए उस लड़के पर हाथ डालने से पहले कक्षा का चक्कर लगाते-लगाते मैंने झूठमूठ में एक काग़ज़ पर लिखकर चिपका दिया था कि ‘आप कैमरे की नज़र में हैं’ मेरा दांव काम कर गया और सभी लोग कैमरे की दहशत में आ गए.” गरिमा ने हंसते हुए बताया.
“लेकिन अगर कैमरा था ही नहीं, तो पर्स देने के लिए मुझे इस तरह क्यों बुलाया था?” नीरज अभी भी असमंजस में था.
“यह नाटक ज़रूरी था, ताकि उन लोगों को लगे कि मैंने फटाफट वह कैमरा सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया है, वरना वे लोग कक्षा की और मेरे पर्स की तलाशी लेते और मेरा झूठ पकड़ा जाता.” गरिमा खिलखिलाकर हंस पड़ी.
“अरे मेरी झांसी की रानी, तुमने तो कमाल कर दिया.” नीरज भी ठहाका लगाकर हंस पड़ा.
“इन बाहुबलियों से हम बुद्धिबलियों को अपने ही तरी़के से निपटना पड़ेगा, वरना एक दिन ये पूरे देश को खा जाएंगे.” गरिमा का स्वर गंभीर हो उठा.
“तुम सच कह रही हो मेरी प्यारी ‘बुद्धिबली’ नीरज ने प्यार से गरिमा की ओर देखते हुए कहा और फिर अपने मोबाइल पर आई वीडियो क्लिपिंग की कॉपी बनाकर उसे इंटरनेट पर सुरक्षित रखने लगा. गरिमा भी प्यारभरी नज़रों से उसे देखे जा रही थी.

संजीव जायसवाल ‘संजय’

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Usha Gupta

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