कहानी- लव इक्वेशन साॅल्व्ड 3 (Story Series- Love Equation Solved 3)

“मुझे नमन और रिया के बारे में सब कुछ सुनना है, पाइंट टू पाइंट. कोई मैन्युपुलेशन नहीं.” वॉक की शुरुआत में ही मैं सीधे मुद्दे पर उतरा.

आहना गहरी सांस भरकर बोली, “ठीक है पापा सीधा सुनना है, तो सीधा सुनिए, नमन और रिया के बीच ब्रेकअप का कारण कोई और नहीं आप हैं. आपकी ही वजह से रिया उसे छोड़कर चली गई.”

 

 

 

… “अगली बार भी… क्या मतलब?”
“मतलब-वतलब कुछ नहीं पापा, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. आप ज़्यादा चिंता मत करो…” इतने गंभीर मसले के दौरान भी आहना का लैपटॉप में आंखें गड़ाए रखना, ऐसे कैज़ुअली रिएक्ट करना मझे चोट पहुंचा गया, मैं भडक पड़ा.
“कैसे ठीक हो जाएगा. क्या तुम्हें नहीं पता, वो कितना सेंसिटिव है. वह इतने बड़े इमोशनल सैटबैक से गुज़र रहा है और तुम्हें उसकी ज़रा भी फ़िक्र नहीं. देख रहा हूं तुम भी आजकल की लड़कियों की तरह कुछ ज़्यादा ही प्रैक्टिकल होती जा रही हो.” इस बेइरादतन तंज को सुनकर आहना तुनक पड़ी.
“तो बुराई क्या है प्रैक्टिकल होने में, अपने बारे में सोचने में… यू नो पापा, आजकल की रिलेशनशिप में यही तो प्राॅब्लम हैं लड़कियां भी सांस लेने लगी हैं, अपने बारे में सोचने लगी हैं और इसीलिए ब्रेकअपस् बढ़ रहे हैं… रहने दीजिए पापा आप नहीं समझेंगे.”
एक बार फिर मिले नासमझ होने के तमगे से मैं झुंझला उठा. ये दोनों समझते क्या हैं मुझे, बाप हूं इनका… मैथरमैटिक्स की बड़ी-बड़ी अनसाॅलव्ड इक्वेशन सॉल्व की हैं. थ्रू आउट गोल्ड मैडलिस्ट रहा हूं और आज मेरे अपने बच्चे ही मुझे नासमझ ठहरा रहे हैं. मामला नाज़ुक था, इसलिए मैंने झुंझलाहट को जैसे-तैसे काबू किया और आहना के पास आकर बैठ गया.
“देखो यूं पहेलियां मत बुझाओ, खुलकर बात करो. क्या तुम नमन और रिया के बारे में कुछ ऐसा जानती हो, जो मुझे नहीं पता. बाप हूं मैं उसका, मेरा भी जानने का हक़ बनता है.”
आहना कुछ हिचकिचाते, सकुचाते बताना चाह रही थी, मगर तभी हाथों पर नाइट क्रीम मलते हुए वहां मालती आ गई.

यह भी पढ़ें: स्पिरिचुअल पैरेंटिंग: आज के मॉडर्न पैरेंट्स ऐसे बना सकते हैं अपने बच्चों को उत्तम संतान (How Modern Parents Can Connect With The Concept Of Spiritual Parenting)

“बाप-बेटी में क्या गपशप चल रही है ग्यारह बज चुके हैं सोना नहीं है क्या?”
“हां, बस आ ही रहा था. आहना को बोलने आया था सुबह मेरे साथ मॉर्निंग वॉक पर चलना है. तैयार रहना आहना, सुबह ठीक छह बजे.” मैंने आहना को इशारा फेंका कि अधूरी छूटी बातें मॉर्निंग वॉक पर डिस्कस होगी.
सुबह का मौसम मेरे दिल की तरह सर्द था, मगर इतना भी नहीं, जितना आहना के चेहरे से झलक रहा था. वो हाथ ऐसे मल रही थी जैसे गर्मी नहीं, बल्कि कुछ कहने की हिम्मत जुटा रही हो.
“हम्म… नॉव टैल मी… मुझे नमन और रिया के बारे में सब कुछ सुनना है, पाइंट टू पाइंट. कोई मैन्युपुलेशन नहीं.” वॉक की शुरुआत में ही मैं सीधे मुद्दे पर उतरा.
आहना गहरी सांस भरकर बोली, “ठीक है पापा सीधा सुनना है, तो सीधा सुनिए, नमन और रिया के बीच ब्रेकअप का कारण कोई और नहीं आप हैं. आपकी ही वजह से रिया उसे छोड़कर चली गई.”
आहना एक सांस में बोल गई और बात मेरे सिर के ऊपर से गुज़र गई…
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

 


दीप्ति मित्तल

 

 

 

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Usha Gupta

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