कहानी- पैरों की डोर 2 (Story Series- Pairon Ki Dor 2)

“काम निबटने के अलावा आज वहां मैंने जो कुछ देखा, सुनोगे तो तुम भी चौंक जाओगे.”

“ऐसा क्या हो गया? पहेलियां मत बुझाओ.”
“तुम्हें दुगड्डा की मंगती याद है?”
“वह भिखारन जिसकी बेटी का एडमिशन तुमने अपने स्कूल में करवाया था. क्या तुम्हें वह पगली वहां दिखाई दे गयी?”

 

 

… “वही मंगती की बेटी.”
उसके मुंह से इतना सुनते ही रेनू का सिर चकरा गया. उसने बड़े ध्यान से एक बार फिर उसे देखा और तुरंत उससे विदा लेकर बैंक से बाहर निकल आई. उसे अपने कानों पर अभी तक विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वही सोनी है.
अभी पिछले साल उसका पूरे नौ बरस बाद दुगड्डा जाना हुआ था. वहां पर बड़े पोस्ट आँफिस के पास से गुजरते हुए अनायास इसकी नजर प्रकाशी पर पड़ गई. एक वही थी, जो मंगती को उसके असली नाम से पुकारती थी. सब लोग उसे भीख मांगने के कारण मंगती कहते. वह तब भी यहीं रहा करती थी, जब वह इस शहर में नौकरी करती थी. आज वह बड़ी कमजोर और बूढ़ी लग रही थी और सिर झुका कर चुपचाप बैठी थी. उसने धीरे से पुकारा, “प्रकाशी.”
वर्षों बाद किसी के मुंह से अपना असली नाम सुनकर उसने सिर ऊपर किया और उस पर नजर पड़ते ही जोर-जोर से रोने लगी.
“क्या हुआ प्रकाशी?”
“मैडमजी मेरी सोनी चली गई.”
“क्या हुआ उसे?” रेनू ने घबराकर पूछा.
“पांच साल हो गए. मैं उसे ढूंढ़-ढूंढ़ कर थक गई. वह मुझे छोड़कर पता नहीं कहां चली गई?” उसकी आवाज में इतना अधिक दर्द था कि न चाहते हुए भी रेनू की आंखें सजल हो गईं.
“क्या कह रही है तू?”
“मैडमजी, मेरा सहारा पता नहीं कहां चला गया?” वह रोए जा रही थी. रेनू ने किसी तरह उसे चुप कराया और बोली, “तूने पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी?”
“लिखाई थी कुछ नहीं हुआ.”

यह भी पढ़ें: उत्तम संतान के लिए माता-पिता करें इन मंत्रों का जाप (Chanting Of These Mantras Can Make Your Child Intelligent And Spiritual)

रेनू ने सौ रुपए का नोट उसकी और बढ़ाया, तो उसने लेने से मना कर दिया और बोली, “मैडमजी मुझे रुपए नहीं चाहिए. बस मेरी बेटी को ढूंढ़ दो. मुझ पर दया करो.”
“इसे तो रख ले. मैं कोशिश करूंगी कि तेरी बेटी को ढूंढ़ सकूं.” इतना कहकर उसने थोड़ी देर और उसकी आपबीती सुनी और उसके बाद वहां से चली आई. वह सोच रही थी कि इतने वर्षों बाद अब उसकी बेटी कहां मिलेगी?”
आज उसी सोनी को बैंक कर्मचारी के रुप में यहां देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा था.
कमरे में आकर उसने सबसे पहले अपने पति चिराग को फोन मिलाया. उन्होंने पूछा, “तुम्हारे सब काम निबट गये. रहने की कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है?”
“मेरे रहने की व्यवस्था रमा मैडम ने अपने पड़ोस के घर में कर दी है. घर अच्छा है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है.”
“चलो अच्छा हुआ. नहीं तो मुझे चिंता सता रही थी कि तुम अकेले यह सब कैसे प्रबंध करोगी? और हां, बैंक का काम निपट गया?”
“काम निबटने के अलावा आज वहां मैंने जो कुछ देखा, सुनोगे तो तुम भी चौंक जाओगे.”
“ऐसा क्या हो गया? पहेलियां मत बुझाओ.”
“तुम्हें दुगड्डा की मंगती याद है?”
“वह भिखारन जिसकी बेटी का एडमिशन तुमने अपने स्कूल में करवाया था. क्या तुम्हें वह पगली वहां दिखाई दे गयी?”
“नहीं उसकी बेटी सोनी मिली थी. वह उसी बैंक में क्लर्क है, जहां स्कूल का खाता है.”
“यह क्या कह रही हो? तुमने तो कहा था कि मंगती बता रही थी कि उसकी बेटी पांच साल पहले उसे छोड़कर कहीं चली गई है.”
“मैं भी उसे आज पहचान नहीं पायी. वह तो उसी ने मुझे पहचाना और अपना परिचय मंगती की बेटी के रूप में ही दिया. जबकि वह जानती थी मैं हमेशा उसकी मां को असली नाम से पुकारती थी.”
“यह तो बड़ी खुशी की बात है रेनू…”

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें… 

 


डॉ. के. रानी

 

 

यह भी पढ़ें: कैसे करें बच्चों की सेफ्टी चेक: जानें 40 से अधिक उपयोगी ट्रिक्स(40+ Useful Safety Rules To Ensure Your Children’s Safety)

 

 

 

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli