कहानी- प्रायश्‍चित की शुरुआत 1 (Story Series- Prayshchit Ki Shuruvat 1)

बेटी मिनी भी मां के नक्शे-क़दम पर चल रही थी. पूरी तरह आज के भौतिकवादी युग में रंगी हुई. आज़ादी के 56 वर्षों में देश कोई दूसरी इंदिरा गांधी तो नहीं दे पाया. हां, 5 ‘मिस वर्ल्ड’ और दो ‘मिस यूनिवर्स’ अवश्य दे दीं. ख़ैर, अब किसी तरह बेटी का रिश्ता दोस्त के बेटे से हो जाए तो सब चिंताओं से छुटकारा मिले. सोचते हुए निखिल कल्पनाओं के आकाश से धरती पर उतर आए.

“बाय मॉम, बाय डैड.” मिनी हाथ हिलाती कॉलेज चली गई.?” यह लड़की तो मुझे जीते जी मार डालेगी. हज़ार बार कह चुका हूं मुझे ‘डैड’ नहीं पापा बोला कर. पर नहीं, अंगे्रज़ चले गए, लेकिन अपनी अंग्रेज़ियत यहीं छोड़ गए.” सुबह-सुबह ही निखिल का मूड ख़राब हो गया था.

“निखिल, मैं अपनी ऐरोबिक्स क्लास ‘इनशेप’ में जा रही हूं, वहां से किटी पार्टी और फिर वहीं से करण आश्रम की मीटिंग में चली जाऊंगी. लौटने में देर हो जाएगी. रामदीन से कुछ हल्का खाना बनवा लेना. और हां, मिनी आज देरी से लौटेगी.” सुभद्रा जल्दी-जल्दी बात समाप्त कर निकलना चाह रही थी. तभी निखिल  ने सवाल उछाल दिया, “क्यूं? अब आज क्यों देर हो जाएगी? अभी परसों ही तो देर से आई थी.”

“उस दिन वह डेटिंग पर गई थी. इन दिनों वह ब्यूटी कॉन्टेस्ट की तैयारी में लगी है.” सुभद्रा बोल तो गई, पर उसे निखिल के भड़कने का पूरा अंदेशा था और वही हुआ.

“सुभद्रा, मिनी अब बड़ी हो गई है. तुम्हें उसकी गतिविधियों पर अंकुश रखना चाहिए. दो दिन बाद ही मेरा दोस्त वर्मा, परिवार सहित हमारी बेटी को देखने आ रहा है. बहुत ही सभ्य और सुसंस्कृत परिवार है. मैं चाहता हूं हमारी मिनी का रिश्ता यहां हो जाए.”

“इस बारे में हम शाम को बात करेंगे. अभी मुझे देर हो रही है.” कहकर सुभद्रा झटके से निकल गई. निखिल उसे जाते हुए देखता रहा और ख़यालों में खो गया.

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जज निखिल वर्मा को रिटायर हुए अभी कुछ ही महीने हुए थे. लेकिन इन कुछ महीनों में ही वे बहुत एकाकीपन अनुभव करने लगे थे. जब वे जज बने थे तो सुभद्रा का भी सामाजिक स्तर एकाएक ऊंचा हो गया था. वह कई स्वयंसेवी संस्थाओं और किटी पार्टियों की सदस्या बन गई थी. स्वयं उनके सेवामुक्त हो जाने पर भी पत्नी की व्यस्तता बनी हुई थी, अपितु पहले से बढ़ गई थी. अपनी देहयष्टि को आकर्षक बनाए रखना भी इसीलिए उसके लिए अनिवार्य हो गया था और प्रतिदिन फ़िटनेस सेंटर जाना भी उसकी दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था. बेटी मिनी भी मां के नक्शे-क़दम पर चल रही थी. पूरी तरह आज के भौतिकवादी युग में रंगी हुई. आज़ादी के 56 वर्षों में देश कोई दूसरी इंदिरा गांधी तो नहीं दे पाया. हां, 5 ‘मिस वर्ल्ड’ और दो ‘मिस यूनिवर्स’ अवश्य दे दीं. ख़ैर, अब किसी तरह बेटी का रिश्ता दोस्त के बेटे से हो जाए तो सब चिंताओं से छुटकारा मिले. सोचते हुए निखिल कल्पनाओं के आकाश से धरती पर उतर आए.

आगंतुक वर्मा परिवार के स्वागत को लेकर निखिल कुछ ज़्यादा ही उत्साहित थे.  सुभद्रा ने भी आज घर पर ही रहने का निश्‍चय कर लिया था. लेकिन मिनी का कहीं अता-पता न था. खाने के बाद सभी बाहर हल्की धूप का आनंद ले रहे थे. तभी मिनी चहकती हुई गेट से प्रविष्ट हुई. सुभद्रा उसे आगाह करती इससे पूर्व ही चुस्त जींस और बिना बाजू के टॉप में मिनी ‘हाय मॉम डैड’ करती आ धमकी.

“मॉम, मैं मिस मॉडर्न बन गई. मैंने इतनी मस्त कैटवॉक की कि सारा हॉल सीटियों और तालियों से गूंज उठा. इतना मज़ा आया मॉम कि बस पूछो ही मत. अब मेरा अगला टारगेट है ‘मिस इंडिया’ और फिर ‘मिस यूनिवर्स.” अदा से बोलते हुए मिनी खिलखिला पड़ी. “मिनी, थोड़ा फ्रेश हो लो.” सुभद्रा उसे खींचती हुई अंदर ले गई. बोझिल हो उठे वातावरण में वर्मा परिवार ने विदा ली. अगले ही दिन फ़ोन पर निखिल को आशानुकूल जवाब मिल गया.” “निखिल तुम्हारी बेटी बहुत सुंदर है, लेकिन मेरे घर की बहू बनकर शायद उसकी महत्वाकांक्षाएं पूरी न हो पाएं. इसलिए मैं क्षमा चाहता हूं.” निखिल के लिए यह घटना एक वज्राघात के समान थी. वे गुमसुम रहने लगे. लेकिन सुभद्रा और मिनी पर इसका कोई असर न था. सुभद्रा ने तो स्पष्ट शब्दों में कह भी दिया-, “अच्छा हुआ, मेरी बेटी उस दक़ियानूस परिवार की बहू बनने से बच गई. अरे, उसके लिए तो लड़कों की लाइन लगी है.” सुभद्रा ग़लत भी कहां थी? मिनी के ही कॉलेज में पढ़ने वाला यश मिनी की सुंदरता से अभिभूत था. करोड़पति खानदान के इकलौते वारिस का रिश्ता आते ही सुभद्रा ने चट से हां कर दी. निखिल ने तो घरेलू मामलों में पूर्णतया चुप्पी साध ली थी. मिनी ने ज़रूर अपने कैरियर का हवाला देकर ना-नुकर की, लेकिन सुभद्रा के समझाने पर शांत हो गई.

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मिनी की विदाई के साथ ही निखिल और भी एकाकी हो गए. उन्होंने स्वयं को पूरी तरह पुस्तकों में डुबो दिया. सुभद्रा पर इसका कोई असर न पड़ा और वह पहले से कही ज़्यादा क्लब व सोसायटी में व्यस्त हो गई.

शादी के बाद मिनी का समय तो पंख लगाकर उड़ चला. यश के संग पार्टी, होटल, फिर लंबे हनीमून में दो माह कब बीत गए, उसे पता ही न चला. यश ने जब पिता के साथ पुनः शोरूम पर जाना आरंभ कर दिया तो मिनी के लिए दिन पहाड़-सा हो उठा. उसने पुनः जिम आदि जाना आरंभ कर दिया और मॉडलिंग एजेंसियों के चक्कर काटने लगी. यश के माता-पिता को भनक लगी तो उन्होंने बेटे के माध्यम से बहू को समझाना चाहा.

   संगीता माथुर

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