कहानी- प्यार को प्यार ही रहने दो 2 (Story Series- Pyar Ko Pyar Hi Rahne Do 2)

उससे संपर्क टूटने का मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन क्या करती, समय के साथ समझौता करना पड़ा. चोरी-चोरी, छुप-छुपकर आंसू बहाती रहती थी. मां ने उदास देखकर टोका भी, तो बनावटी मुस्कुराहट से जवाब देती, “कुछ नहीं मां…” समय बीतता गया, श्याम की यादों पर धूल की परतें चढ़ने लगीं. धीरे-धीरे बारिश के पानी ने उनको धो-पोंछ भी दिया. मेरा विवाह हो गया और दो बच्चे भी हो गए. अपनी गृहस्थी की उलझनों में व्यस्त रहने के कारण उसका नाम कहीं सुनती, तो उसका धुंधला-सा चेहरा आंखों के सामने आ जाता.

वैसे भी पहले प्यार की अनुभूति, वह भी अल्हड़ उम्र में अद्भुत होती है. जब दोनों मिलकर न तो भविष्य के लिए सपने देखते हैं, न कोई योजना बनाते हैं, न ही किसी बात की चिंता करते हैं, न कोई क़समें होती हैं, न कोई वादे किए जाते हैं. बस, ज़रा-सा कोई भरपूर नज़रों से देख भर ले या तारीफ़ कर दे, तो चेहरा एक अलग-सी आभा से चमकने लगता है. दर्पण के सामने से हटने का मन नहीं करता. उसी के साथ हर समय रहने का मन करता है. उसकी छोटी-छोटी बातें अर्थपूर्ण लगने लगती हैं और प्यार के ख़ूबसूरत एहसास के साथ अपने में ही सिमटकर रहने का मन करता है. सारी दुनिया बहुत ख़ूबसूरत लगने लगती है.
आज के विपरीत वह ज़माना ही ऐसा था कि दिल की बात को शब्दों का जामा पहनाने में इतना समय लग जाता था कि परिस्थितियां बदल जाती थीं और प्रेम अभिव्यक्ति से पहले ही दम तोड़ देता था. यही मेरे और श्याम के साथ हुआ. उसके पिता की आकस्मिक मृत्यु का समाचार मिलते ही वह भोपाल चला गया और फिर उसके बाद कभी नहीं लौटा.

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उस ज़माने में संपर्क करना इतना आसान नहीं था. पत्रों का ही सहारा था. चार-पांच पत्र मैंने लिखे, लेकिन उसने एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया. उससे संपर्क टूटने का मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन क्या करती, समय के साथ समझौता करना पड़ा. चोरी-चोरी, छुप-छुपकर आंसू बहाती रहती थी. मां ने उदास देखकर टोका भी, तो बनावटी मुस्कुराहट से जवाब देती, “कुछ नहीं मां…” समय बीतता गया, श्याम की यादों पर धूल की परतें चढ़ने लगीं. धीरे-धीरे बारिश के पानी ने उनको धो-पोंछ भी दिया. मेरा विवाह हो गया और दो बच्चे भी हो गए. अपनी गृहस्थी की उलझनों में व्यस्त रहने के कारण उसका नाम कहीं सुनती, तो उसका धुंधला-सा चेहरा आंखों के सामने आ जाता. इससे अधिक और कुछ नहीं और आज यह उसका फेसबुक पर अप्रत्याशित संदेश. उसने तो मेरे पूरे अस्तित्व को ही हिलाकर रख दिया था. पूरे बदन में जैसे बिजली-सी कौंध गई हो. इसी को तो पहले प्यार की अनुभूति कहते हैं, जो उम्र के इस पड़ाव में भी नहीं बदलती.

        सुधा कसेरा

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Usha Gupta

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