कहानी- स्पर्श की भाषा… ५ (Story Series- Sparsh Ki Bhasha… 5)

ममता का एक पूरा सागर उनके हाथों से रेवती के मन में प्रवेश कर उसे तृप्त कर रहा था और मां के चेहरे पर बरसों बाद उतनी ही खिली हुई चौड़ी मुस्कान थी, जितनी अपनी नन्ही रेवू को गोद में थपकते समय हुआ करती थी. और एक आश्वस्ति कि वह आज भी किसी के लिए आवश्यक है, स्नेह की पात्र है. स्पर्श अपनी मौन भाषा में दोनों के मन पर अपना काम कर रहा था.

 

 

 

 

 

… “आज भी वह सागर उनके भीतर लहरा रहा होगा, लेकिन आज कोई नहीं है, जो उसमें भीगना चाहता है. वह ममता का सागर उनके भीतर ही घुमड़ रहा होगा. पता है रेवती हर उम्र में हमारी स्पर्श के प्रति ललक बदल जाती है. जब तक बच्चे रहते हैं, तब तक मां का स्पर्श हमारे लिए जीवन का आधार होता है.
फिर हम घर के बाहर स्कूल में, मित्रों में अपनी नई दुनिया बसाने लग जाते हैं, तब उस आयु में मां के स्पर्श का महत्व हमारे लिए कम होने लग जाता है और दोस्तों के धौल-धपाटे और कंधे पर रखी यारियां हमें भाने लगती हैं.

 

यह भी पढ़ें: 30 बातें जहां महिलाएं पुरुषों से बेहतर हैं (30 things women do better than men)

 

युवावस्था में स्पर्श का एक भिन्न ही रूप हमें आकर्षित करने लगता है, एक हमवयस्क विपरीत लिंगी का. तब हम स्पर्श के ममत्व भरे भाव से बाहर निकल जादुई रूमानियत भरे भाव के आकर्षण में खो जाते हैं.
और जब हम माता-पिता बनते हैं, तब अपनी संतान के प्रति ममता भरे स्पर्श में व्यस्त हो जाते हैं और जन्मदायिनी मां की ममता को भूलने लगते हैं. जबकि इस आयु में उसे भी एक प्यार भरे आलिंगन के स्पर्श की आवश्यकता होती है. इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि जब भी मां से मिलने जाओ दो मिनट उनके पास बैठ, उनके कंधे पर सिर रख देना, कभी प्यार से गले लगा लेना उनका मन इतने में ही तृप्त हो जाएगा. बुज़ुर्ग और चाहते ही क्या है हमसे.” अंकित ने कहा.
तीन दिन बाद मिष्टी की छुट्टी थी. अंकित को कॉलेज में देर हो जाती थी और वे थक भी जाते थे, इसलिए दोपहर को ज़रूरत का कुछ सामान लेने रेवती मिष्टी को लेकर बाज़ार चली गई. कुछ घर की ज़रूरत का सामान, कुछ मिष्टी की फ़रमाइश पूरी कर वह सामान गाड़ी में रख घर की ओर ड्राइव करने लगी.
मन में पता नहीं दो दिन से क्या चल रहा था कि वह इस समय भी जाने क्या सोच रही थी.
“मां कार इधर क्यों मोड़ ली अपना घर तो सीधे रास्ते पर है.” मिष्टी की आवाज़ से उसकी तंद्रा भंग हुई. हाथ पता नहीं कब कैसे मां के घर जानेवाले रास्ते पर स्टेरिंग घुमा चुके थे. उसे लग रहा था मां को ही नहीं उसे भी तो उस ममता भरी सांत्वना की ज़रूरत है, जो उन्हें गले लगाने से मिलती है.
भाभी उसे अचानक आया देख आश्चर्यचकित हो गई, क्योंकि वह कभी इतनी जल्दी मायके नहीं आती थी. वह दो मिनट रेवती से बात कर उसके लिए चाय बनाने किचन में चली गई. मिष्टी भैया के छोटे बेटे आरुष के साथ खेलने लगी.
रेवती आज सीधे मां के कमरे में चली आई. वे उसे अचानक आया देख ख़ुश हो गईं. रेवती आज नन्ही रेवू बन मां की गोद में सिर रखकर उनसे चिपट गई. मां अपने कांपते झुर्रीदार हाथों से उसे थपकने लगी.

 

यह भी पढ़ें: 7 वजहें जब एक स्त्री को दूसरी स्त्री की ज़रूरत होती है (Women’s Day Special- 7 Reasons when a woman needs woman)

 

 

ममता का एक पूरा सागर उनके हाथों से रेवती के मन में प्रवेश कर उसे तृप्त कर रहा था और मां के चेहरे पर बरसों बाद उतनी ही खिली हुई चौड़ी मुस्कान थी, जितनी अपनी नन्ही रेवू को गोद में थपकते समय हुआ करती थी. और एक आश्वस्ति कि वह आज भी किसी के लिए आवश्यक है, स्नेह की पात्र है. स्पर्श अपनी मौन भाषा में दोनों के मन पर अपना काम कर रहा था.

डॉ. विनीता राहुरीकर

 

 

 

 

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

 

 

 

 

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli