कहानी- सुपर किड 2 (Story Series- Super Kid 2)

“बात क्या है यार, आज बहुत सीरियस लग रहे हो…. रिया भाभी से खटपट हो गई क्या….” कहते हुए अशोक शरारत से मुस्कुराने लगा.

“नहीं यार….. ऐसी कोई बात नहीं है…”

“पर कोई बात तो ज़रूर हो….” अशोक ने कुछ संजीदा होते हुए कहा.

रोहन ने विस्तार से दक्ष की असफलता की कहानी सुना डाली.

“… तुमने कभी समझाया उसे कि आज भी ऐसे कई बच्चे हैं जिनके पास ज़रूरत भर का साधन तक उपलब्ध नहीं है पढ़ने के लिए…. जो चीज़ आसानी से प्राप्त हो जाती है वह मूल्यहीन ही लगती है…. यह साधारण सी मानव-मानसिकता है… इतना नहीं जानतीं तुम?”

“क्यों नहीं? पर तुम भी तो समजा सकते थे उसे…. सब कुछ क्या केवल मेरी मर्ज़ी से ही हुआ है? क्या तुम्हारी इच्छा नहीं थी कि दक्ष कम्प्यूटर मास्टर बने? टेनीस-क्लब की इतनी महंगी मेम्बरशीप भी तुम्हीं ने दिलवाई उसे. म्यूज़िक कलास में बिना गिटार के काम चल रहा था, पर तुम्हीं ने कहा गिटार ले आते हैं. अतिरिक्त रियाज हो जाया करेगा. फिर केवल मुझे क्यों दोष देते हो?” देर से मन में दबा अंर्तविरोध अचानक रिया के मुख से फूट पड़ा. ‘दस जगह बच्चे को जाना-आना पड़ता है…. न तुम्हें फुर्सत थी उसे हर जगह लाने ले जाने की… न मेरे बस का था ये काम… गाड़ी भी हमने यही सोचकर ली थी कि साइकिल से कहां तक काम चलेगा…

रोहन व रिया की लंबी अंतहीन बहस के बीच दक्ष न जाने कब का बिन खाए-पिए अपने कमरे में जाकर सो गया. रात में भी रिया के आवाज़ देने पर यंत्रवत सा आकर बैठ गया व डिनर के नाम पर जैसे-तैसे एकाध रोटी खाकर उठ गया. सुबह रोहन के ऑफ़िस का लिए निकलने तक काम में उलझे रहने के बहाने वह कमरे से बाहर भी नहीं निकला. रोहन से सीधा सामना करने से बचता रहा दक्ष.

“आख़िर क्या होगा इस लड़के का….” झल्लाहट भरे मन से रोहन ने ऑफ़िस के सामने गाड़ी पार्क की व भीतर चला गया. आज उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लग रहा था. मेज पर कोहनियां टिका कर दोनों हथेलियों के बीच सर थामे वह चुपचाप बैठा रहा… लगातार दक्ष का चेहरा याद कर चिंता में घुल रहा था.

यह भी पढ़ें: सुमन की तरह आप भी जीत सकते हैं Swad Zindagi Ka कॉन्टेस्ट! 

“हेलो…. गुड मॉर्निंग….. क्या बात है भई, बड़े खोए-खोए से लग रहे हो…” अशोक ने कमरे में आते हुए कहा.

अशोक रोहन का केवल सहकर्मी ही नहीं बल्कि उसका करीबी दोस्त भी था. रोहन के चेहरे पर चिंता की लकीरों को देखते ही अशोक ताड़ गया कि कोई न कोई गंभीर बात अवश्य है.

“बात क्या है यार, आज बहुत सीरियस लग रहे हो…. रिया भाभी से खटपट हो गई क्या….” कहते हुए अशोक शरारत से मुस्कुराने लगा.

“नहीं यार….. ऐसी कोई बात नहीं है…”

“पर कोई बात तो ज़रूर हो….” अशोक ने कुछ संजीदा होते हुए कहा.

रोहन ने विस्तार से दक्ष की असफलता की कहानी सुना डाली.

“रिया भाभी ठीक कहती हैं…” पूरी समस्या जान लेने के बाद अशोक बोला “…..क्यों न एक बार दक्ष की काउंसलिंग करवाई जाए. सारी सुविधाओं के बावजूद उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है… आख़िर क्या है उसके मन में… ये तो पता चल जाएगा…. यूं भी दक्ष उम्र के संवेदनशील पड़ाव पर है… उसके मन की थाह लेना आवश्यक भी है…”

“मुझे नहीं लगता यार, इससे कोई फायदा होगा…” रोहन ने लापरवाही से अशोक की राय को नकारना चाहा, “सीधी सी बात तो ये है कि बच्चा पढ़ेगा नहीं तो फेल ही होगा….”

“वो तो ठीक है रोहन, पर बच्चे के न पढ़ने के पीछे भी तो कोई कारण हो सकता है जो शायद हमारी-तुम्हारी समझ से परे हो. फिर काउंसलिंग कराने में हर्ज़ ही क्या है? मेरे एक मित्र हैं, मित्र क्या बड़े भाई समान हैंे जो मनोचिकित्सक हैं… अच्छे पारिवारिक संबंध हैं हमारे…. तुम कहो तो उनसे बात करूं?”

रोहन की चुप्पी बता रही थी कि अशोक की बात अब भी उसे नही जम रही है… चेहरे पर अनमने भाव लिये अब भी वह सोच रहा था कि अशोक पुनः बोल पड़ा.

“चलो अब ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है, शाम को ऑफ़िस से सीधे भाईसाहब की क्लीनिक पर चलेंगे. मुझे पूरा यकीन है कि दक्ष की समस्या वो अवश्य सुलझा लेंगे….” अशोक ने रोहन की पीठ थपथपा दी.

“रोहन, ये हैं मेरे बड़े भाई साहब डॉ. प्रवीण मल्होत्रा…. और भाई साहब ये हैं मेरे मित्र रोहन माथुर जिनके बारे में मैंने आपको बताया था….”

“कहिये रोहन जी क्या बात है?” डॉ. प्रवीण ने आलीयता भरे लहज़े में प्रश्‍न किया.

“बात दरअसल यह है….. हमारे बेटे को न जाने क्या होता जा रहा है… कभी पूरी कक्षा में प्रथम आने वाला हमारा बेटा पिछले दो सालों से लगातार पढ़ाई में पिछड़ता जा रहा है. हमने उसकी परवरिश में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी….. पढ़ाई के साधन-सुविधा जुटाने में भी कोई असर नहीं छोड़ी…. इसके बावजूद….”

“कभी-कभी यह भी ग़लत हो जाता है रोहनजी.” रोहन की बात को बीच में ही विराम लगाते हुए डॉ. प्रवीण बोले, “आजकल के पैरेन्ट्स बच्चों के आगे सुख-सुविधाओं से लेकर मनोरंजन के साधनों तक का अंबार लगा देते हैं और बदले में चाहते हैं कि बच्चा संयमित व्यवहार करे…”

 

स्निग्धा श्रीवास्तव

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli