कहानी- तेरा साथ है कितना प्यारा… 5 (Story Series- Tera Saath Hai Kitna Pyara… 5)

 

“तुमने मुझे बताया था? नहीं ना. आंखें और दिमाग़ खुली हो, तो इंसान सब समझ जाता है. मनचाहा बोलने के लिए अनचाहा सुनने की ताक़त रखनी चाहिए. फिर विश्वास भी तो कोई चीज़ होती है. दुनिया का सबसे पवित्र पौधा है विश्वास, जो धरती पर नहीं, लोगों के दिलों में उगता है. तुम्हें पढ़ाने में इतनी रुचि लेते मैंने पहले कभी नहीं देखा और न इतने उत्साह से बच्चों को पढ़ते देखा. तुम्हारे स्वास्थ्य को मद्देनज़र रखते हुए मैंने तुम्हें टोका भी. पर तुम्हारी ख़ुशी, तुम्हारा दृढ़ निश्चय, साथ ही बच्चों के सुनहरे भविष्य की बात सोच मुझे अपनी सोच बदलनी पड़ी…”

 

 

 

 

 

… “देखिए, अपने बच्चों के भविष्य को लेकर जितनी आप चिंतित हैं उतनी ही नव्या भी है. आख़िर उनके परीक्षा परिणाम पर ही तो नव्या की ट्यूशन क्लासेस का चलना, न चलना निर्भर करता है.” प्रशांत के पहले ही तर्क से महिलाओं के मुखों पर ताला लग गया था. लेकिन प्रशांत शांत नहीं हुआ.
“यदि कोई इंसान प्रगतिशील विचार रखते हुए कुछ नया बेहतर करना चाहे, तो उसे प्रोत्साहित करना चाहिए या हतोत्साहित? और फिर बिना परिणाम जाने आप इस तरह किसी पर दोषारोपण कैसे कर सकती हैं? कई बार गुच्छे की आख़िरी चाबी से भी ताला खुल जाता है.”
नव्या को प्रशांत का इस तरह एकाएक अपने पक्ष में खड़ा हो जाना भला लग रहा था. मानो बीमार को दवा मिल गई हो. किंतु मामला बिगड़ न जाए, इसलिए उसने बीच-बचाव कर बात समाप्त करनी चाही.
“यह लोग शायद मेरा मंतव्य समझ नहीं पाई. मुझे इन्हें पहले बता देना चाहिए था. आख़िर अपने बच्चों के भविष्य को लेकर आजकल पैरेंट्स इतने जागरूक हो गए हैं.”
“तुमने मुझे बताया था? नहीं ना. आंखें और दिमाग़ खुली हो, तो इंसान सब समझ जाता है. मनचाहा बोलने के लिए अनचाहा सुनने की ताक़त रखनी चाहिए. फिर विश्वास भी तो कोई चीज़ होती है. दुनिया का सबसे पवित्र पौधा है विश्वास, जो धरती पर नहीं, लोगों के दिलों में उगता है. तुम्हें पढ़ाने में इतनी रुचि लेते मैंने पहले कभी नहीं देखा और न इतने उत्साह से बच्चों को पढ़ते देखा. तुम्हारे स्वास्थ्य को मद्देनज़र रखते हुए मैंने तुम्हें टोका भी. पर तुम्हारी ख़ुशी, तुम्हारा दृढ़ निश्चय, साथ ही बच्चों के सुनहरे भविष्य की बात सोच मुझे अपनी सोच बदलनी पड़ी. अब इस नई डगर पर मैं तुम्हारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार हूं. दुनिया में सबसे कठिन आसन है आश्वासन, सबसे लंबा श्वास है विश्वास और सबसे अच्छा योग है सहयोग. अब से बच्चों की मैथ्स की पेचीदा प्रॉब्लम मैं सॉल्व करवाऊंगा. बहुत ही सरल, सहज विनोदमय और व्यावहारिक तरीक़ों से.”

 

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“तेनालीरामा की तरह? मैंने टीवी पर देखा है. सच में बड़ा मज़ा आएगा.”
“नव्या, मैं इस मुहिम में तुम्हारे साथ हूं. सच कहूं तो मैं ऐसा ही कुछ चाह रही थी, जिससे मेरे अमन का बचपन भी सुरक्षित रहे और वह अपने अन्य हमउम्र बच्चों से पिछड़े भी नहीं.” पड़ोस की सरिता नव्या के पक्ष में आ खड़ी हुई, तो अन्य महिलाओं के चेहरे बुझ गए। किंतु नव्या और प्रशांत के हौसले बुलंद हो गए.
“इतिहास गवाह है कि नया रास्ता अख़्तियार करनेवाले को चुनौतियों का सामना करना ही होता है, पर सकारात्मक सोच के साथ किए गए कार्य का परिणाम भी सकारात्मक ही होता है. सही वक़्त पर किया गया काम देर से हो सकता है, पर ग़लत नहीं हो सकता. मैं वादा करता हूं कि जिस बच्चे का परीक्षा परिणाम गिरेगा, हम उसकी फीस शत-प्रतिशत लौटा देंगे.” अब चोंकने की बारी नव्या की थी. प्रशांत को उस पर उससे भी ज़्यादा भरोसा है यह जानकर हर्ष के अतिरेक से उसकी आंखें नम हो उठीं. हालांकि बाद में एकांत में उसने इसके लिए प्रशांत को आड़े हाथों लिया था.
“इतना बढ़-चढ़कर बोलने की क्या ज़रूरत थी?”
“ज़िंदगी में थोड़ी-बहुत शतरंज खेलनी आना भी ज़रूरी है, वरना सामनेवाला मोहरे चल रहा होगा और हम रिश्ते निबाहते रह जाएंगे.”
नव्या प्रभावित थी, साथ ही आश्वस्त भी. ज़िंदगी में सच्चे और शुभचिंतक लोग सितारों की भांति होते हैं. वे सदेव हमारे आसपास टिमटिमाते रहते हैं, पर हम उन्हें तभी देख पाते हैं, जब अंधेरे से घिर जाते हैं. आश्वस्त नव्या ने प्रशांत के कंधे पर अपना सिर टिका दिया.
“मेरे पावर बैंक…”
“हूं?” प्रशांत चिहुंका.

 

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“जब जीवन नामक स्क्रीन लो बैटरी दिखाने लगे और कोई चार्जर न मिले, तब जो पावर बैंक काम आता है, उसे पति कहते हैं.”
प्रदीप्त मुखमंडल से दोनों एक-दूसरे को निहार रहे थे.

शैली माथुर

 

 

 

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Usha Gupta

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