कहानी- तुम्हारी हां तो है… 5 (Story Series- Tumahri Haan Toh Hai… 5)

“… ओहो आनंद चाचू तो बड़े फनी लग रहे हैं और दादी भी, मेरी और पापा की तो बहुत अच्छी आई हैं, पर इनमें तो आप हो ही नहीं. अब आप डांस करो मैं खींचूंगा.”
“अरे नहीं… नहीं… बच्चे तो हैंडल नहीं कर सकते इसे…”
“लेकिन बड़े तो कर सकते हैं. शुचि की भाभी की सहेली हैं आप आइए फ्लोर पर…”
“हां हां, चलो ना पीहू…” सबके साथ कुहू भी पीहू से डांस के लिए कहने की हिम्मत कर पाई थी. जानती थी कि भाई के बाद से पीहू के लिए यह सब करना कितना मुश्किल था. अच्छा है इसी बहाने पीहू का मन तो बदलेगा.

 

 

 

 

 

… बातों बातों में चंदा बुआ ने बताया कल ही शुचि का रिश्ता पक्का हुआ है, पर लड़का दो दिन में ही विदेश जा रहा है छह-सात महीनों के लिए. इसलिए वह कल ही सगाई चाहते हैं. मैंने सोचा आने पर ही ख़ुशख़बरी सुनाऊंगी. अच्छा है तुम लोग मौक़े से पहुंच गए हो. सगाई पास ही के कम्युनिटी हॉल में रखी है. जल्दी-जल्दी में सारी बुकिंग की गई है. बहुत काम है. अच्छा है तुम लोगों से भी मदद रहेगी तैयार हो जाओ.” एक सांस में सब बोलकर चंदा बुआ थमते हुए मुस्कुराई थी.
दूसरे दिन सारी तैयारियां हो गई थी. शाम को छह बजे कुहू और पीहू शुचि को पार्लर से तैयार करवा लाईं और ख़ुद भी तैयार हो गई. लड़केवाले परिवार के साथ ठीक समय पर उपस्थित हो गए.
“अरे आप..?” यहां मिलिन्द को देखकर पीहू, प्रखर और कुहू चौंके थे.
“आप जानते हैं इनको. यह मेरा बड़ा बेटा मिलिंद और यह मेरा छोटा आनंद और यह गोलू मिट्ठू है. मिलिन्द का बेटा यानी मेरा पोता और मैं इसकी दादी हेमा और यह इसके दादा तेजेश्वर… बस परिचय हो गया, तो हम आगे बढ़ें…” आनंद की मम्मी आगे बढ़कर सोफे पर पसर गई. पापा भी उनके बगल में आ गए थे.
“हां, अब ठीक है आप लोगों का भी परिचय हो जाए…”
“दादी वो मेरी दोस्त आंटी हैं. आपको बताया था ना…” कहकर वह दौड़कर पीहू से लिपट गया.
“पापा से कई बार आपको फोन करवाया, पर आपका नंबर ही नहीं लगा.” मिलिंद इधर-उधर देखने लगा उसे लगा पीहू उसे ही देख रही है ,चोरी पकड़ी गई उसकी.
“… आपने ग़लत नंबर दे दिया 95…” वह मिलिन्द से मोबाइल लेकर पढ़ने लगा था.
“नंबर तो यही है, कोई ग़लत नंबर लग गया होगा.”
पीहू ने मिलिन्द की जान बचाने की कोशिश की, वरना मिट्ठू पापा से नाराज़ हो जाता.
“अच्छा चाचू की सगाई तो देखनी है ना, आइए आप इधर बैठ जाइए मेरे पास.” कहकर पीहू ने उसे अपने पास बैठा लिया. आनंद और शुचि की सगाई की रस्म पूरी हुई, तो सब ओर लाउड म्यूज़िक चल पड़ी. सभी डांस फ्लोर पर उतर आए. कुहू और प्रखर ने जमकर डांस किया. चिट्ठी आनंद ले जाते सकुचाती जोश में ही आ गए इधर से सब की वीडियो उतारने में लगी थी और मिलन उधर से।
“अरे हमारा भी तो फोटो लो.”
“लेती हूंं बुआजी.” बुआ अपनी जोड़ी मित्रों के साथ बनाकर नाच रही थीं. मम्मी-पापा भी हौले-हौले ठुमक रहे थे.
आनंद ने मिलिंद को फ्लोर पर घसीट लिया, “चलिए चलिए, खाली फोटो ही निकालते रहेंगे या भाई की सगाई में नाचेंगे भी?”
“अरे, आज भी धीर-गंभीर बना रहेगा. देख गोलू कितना ख़ुश है पकड़ उसका हाथ और शुरू हो जा… हां, तो यह हुई ना बात…” मम्मी ने कहा तो मिलिन्द के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई. वह मिट्ठू का हाथ पकड़ कर चक्कर लगाने लगा.
“ऐसे नहीं भैया, वह कॉलेज वाला डांस चैंपियन कहां गया, जिसने कॉलेज में छह-सात बार ट्रॉफीयांं जीती थीं.” आनंद मिलिंद को गुदगुदाने के लिए हाथ आगे किया, तो मिलिन्द हंंसने लगा.
“रुक-रुक मत कर आनंद, क्या करता है…” मिलिन्द भी हमेशा से गुदगुदी से पहले ही हंसने लगता था, फिर उससे कोई भी काम करवा लो, प्रसून के जैसे ही अजीब इत्तेफाक था.
“अच्छा रुक-रुक करता हूं…” वह मुश्किल से कंट्रोल करते हुए बोला.
“रुकूंगा तभी भैया जब आप डांस शुरू करोगे.”
चल अच्छा फिर तो मिलिंद ने जमकर डांस किया. गोलू मिट्ठू को कंधे पर बिठाकर वह ख़ूब नाचा. पीहू शूट किए जा रही थी.
“बस अब बहुत हो गया नीचे उतर मिट्ठू.” वह उसे उतारते हुए बोला. मिट्ठू दौड़कर पीहू के पास चला आया. दिखाओ ना मुझे भी आपने क्या-क्या लिया है..?”

यह भी पढ़ें: बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें खिलाएं ये 10 सुपरफूड (10 Immunity Boosting Foods For Kids)

“… ओहो आनंद चाचू तो बड़े फनी लग रहे हैं और दादी भी, मेरी और पापा की तो बहुत अच्छी आई हैं, पर इनमें तो आप हो ही नहीं. अब आप डांस करो मैं खींचूंगा.”
“अरे नहीं… नहीं… बच्चे तो हैंडल नहीं कर सकते इसे…”
“लेकिन बड़े तो कर सकते हैं. शुचि की भाभी की सहेली हैं आप आइए फ्लोर पर…”
“हां हां, चलो ना पीहू…” सबके साथ कुहू भी पीहू से डांस के लिए कहने की हिम्मत कर पाई थी. जानती थी कि भाई के बाद से पीहू के लिए यह सब करना कितना मुश्किल था. अच्छा है इसी बहाने पीहू का मन तो बदलेगा. कुछ साल पहले की ही तो बात है पीहू कितना अच्छा नाचती थी. पर पीहू की तो कहते ही आंखें भरती चली गईं.
“कुछ पड़ गया है मैं वॉशरूम से अभी आई…” आंखें रुमाल से छिपाते वह वॉशरूम चली गई. उसकी आंखों में तैरते आंसुओं की भाषा मिलिंद ने पढ़ ली थी. जाने क्यों दर्द सा उसके सीने में चुभने लगा…

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…


डाॅ. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’

 

 

 

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Usha Gupta

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