कहानी- विजय-यात्रा 4 (Story Series- Vijay-Yatra 4)

“तुम क्या अंतर्यामी भी बन गए हो, जो मन मे प्रश्न आते ही उत्तर दे देते हो.” मेरे मुंह से निकले वाक्य पर हंसते हुए उसने अपना लैपटॉप निकाल लिया और उसे खोलते हुए समझाने लगा, “आओ, तुम लोगों को दिखाऊं कि मैंने इन पांच सालों में क्या किया और क्यों ये गेट टुगेदर बुलाया है.”

 

 

 

… “हां, पर जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है. ये मुझसे बेहतर कौन जानता है! अब मेरा मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट में है, तो दिल्ली जाते रहना पड़ेगा.
“तो क्या हाईकोर्ट में…” कहते हुए सुलभ ने अपनी ज़ुबान काट ली.
सोचा था सबने कि रोहन के ज़ख़्म नहीं कुरेदेंगे, पर सोचे हुए पर कायम रहना इतना आसान होता, तो रोहन पर जान छिड़कनेवाले अभिनव के मुंह से न चाहते हुए भी ये क्यों निकल जाता, “यार, अब भूल भी जाओ…”
“क्या भूल जाऊं?” रोहन की आंखों में चिंगारियां दहक उठीं और हम सब सहम गए, पर रोहन सामान्य नज़र आने लगा.
फिर बातें चल निकलीं. रोहन ने ही बात छेड़ी कि उसने सोशल मीडिया पर मेरी, सुजाता की और बाकी दोस्तों की भी उन समस्याओं के बारे में जाना है, जो किसी सामाजिक विसंगति या व्यावसायिक ठगी से संबंधित थीं. हम देख रहे थे कि रोहन के व्यक्तित्व में असाधारण परिवर्तन आया था, जैसे कोई व्यक्तित्व के विकास का कोर्स किया हो.
तभी वो बोल पड़ा, “हां, कोर्स किया है मैंने पर्सनैलिटी ग्रूमिंग का. योग, प्राणायाम, सामान्य ज्ञान, ज़रूरी क़ानून, बातचीत की कला, शारीरिक भंगिमाओं से, ख़ामोशी से बोलने की कला और बहुत कुछ. सब सीखा है.”
हमें आश्चर्य हो रहा था कि जो बातें हमने यूं ही बस मन का गुबार निकालने के लिए यूं ही लिख दी थीं, उनका बारीक़ी से अध्ययन किया था उसने.
“हां, क्योंकि अब लोगों की समस्याएं सुलझाना मेरा व्यवसाय, मेरा लक्ष्य बन चुका है. एक गैरसरकारी संगठन का संस्थापक बन गया हूं, जो अन्याय से लड़ने में लोगों की सहायता करती है.”

यह भी पढ़ें: इम्युनिटी बढाने के लिए विंटर में कैसा हो आपका खान-पान?

“तुम क्या अंतर्यामी भी बन गए हो, जो मन मे प्रश्न आते ही उत्तर दे देते हो.” मेरे मुंह से निकले वाक्य पर हंसते हुए उसने अपना लैपटॉप निकाल लिया और उसे खोलते हुए समझाने लगा, “आओ, तुम लोगों को दिखाऊं कि मैंने इन पांच सालों में क्या किया और क्यों ये गेट टुगेदर बुलाया है.”
“तुम्हारे हर सोशल मीडिया पर अकाउंट हैं? हज़ारों की संख्या में फॉलोअर? हमें कभी क्यों नहीं बताया?” कहते हुए हम अपने मोबाइल उठाने लगे, तो रोहन अध्यापकीय अंदाज़ में बोला, “कोई मेरा फॉलोअर ऐसे नहीं बन सकता. अपने-अपने मोबाइल जमा कर दो.”
आदेश का पालन हुआ और रोहन अपने समूह दिखाने लगा.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

भावना प्रकाश

 

यह भी पढ़ें: महिलाओं के पेट में बात क्यों नहीं पचती? (Why Can’t Women Keep Secrets?)

 

 

 

 

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORiES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli