Geet

गीत- तुम जैसी हो पूर्ण हो… (Poem- Tum Jaisi Ho Purn Ho…)

बंद कर दो अपनी बेटियों को परिकथा सुनानामत सुनाओ ऐसी कोई भी कहानीजिसमें सफ़ेद घोड़े पर बैठा राजकुमारउसे उसकी सपनों…

December 13, 2023

कविता- चलो, सीख लें अब ज़रा इत्मीनान होना…‌ (Poetry- Chalo, Seekh len Ab Zara Itminaan Hona…)

फकत उलझे रहे ताउम्र हम उलझनों में हीइतना भी मुश्किल नहीं था आसान होना रहा अनदेखियों में अब तक अपना…

December 11, 2023

कविता- आत्म दीपो भव: (Poetry- Aatam Deepo Bhava)

जलेंगे कौन से चिराग़ और कौन से दीये झिलमिलाएंगे इस बढ़ते हुए बाज़ारवाद में जहां, हर चीज़ का मोल है…

November 12, 2023

काव्य- वसुधैव कुटुंबकम… (Poetry- Vasudhaiva Kutumbakam)

वैश्विक धरातल परभारत की उपस्थितिवसुधैव कुटुंबकम की स्वीकृतिधरा के संरक्षण की संस्तुतिसांस्कृतिक विरासत कीअद्भुत सुवासयह G20 समेटे हुए हैगौरव की…

September 11, 2023

ग़ज़ल- प्यासे दिल की धरती पर… (Poetry- Pyase Dil Ki Dharti Par…)

ख़्वाबों में आ कर क्या होगाइक रोज़ हक़ीक़त बन जाओ यूं दिल में रह कर क्या होगाइक रोज़ सामने आ…

August 11, 2023

गीत- सावन… (Poem- Sawan…)

लो आया मौसम सावन कायादों के महकते मधुवन साबाबुल के बोलते आंगन साकुछ सखियों सा कुछ साजन सा वो गुड़िया,…

July 24, 2023

ग़ज़ल- अधूरी बात… (Poetry- Adhuri Baat)

काश तुम समझ पातेमेरे मन की ख़ामोशी कोजो लफ़्ज़ों में कही ना गईमन में ही दबी रह गईदिल के किसी…

July 21, 2023

ग़ज़ल- इश्क़ का चैप्टर और तुम… (Poetry- Ishq Ka Chapter Aur Tum…)

कभी कभीमुझे लगता हैमुझे इश्क़ का चैप्टर क्लोज़ कर देना चाहिएकि तभी तुम आ जाती होमुस्कुराते हुएमेरे सीने पर हाथ…

July 3, 2023

काव्य- प्रेम का समर्पण (Poetry- Prem Ka Samarpan)

मनौती के धागे नहीं  धूपदीपपुष्प भी नहीं कुछ पाने की प्रार्थना नहींआरतीपाठ मंत्र भी नहीं सुवासित जल भी नहीं रोली अक्षत चंदन भी नहींप्रेम के मंदिरमें तुम रीते…

July 2, 2023

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष गीत… (Happy Krishna Janmashtami)

* रँगा अम्बर नील वर्ण में सूरज ने छिटका अबीर गुलाल हरसिंगार से झरा रँग नारंगी झूम उठी महुए की…

August 19, 2022

ग़ज़ल- हमारे हिस्से का छोटा सा आकाश… (Gazal- Hamare Hisse Ka Chota Sa Aakash…)

असल वजह यही है थोड़े कुछ में ही बहुत कुछ ढूंढ़ने की कोशिश करना और बहुत कुछ में थोड़े कुछ…

May 3, 2022

काव्य: मुहब्बत के ज़माने… (Poetry: Mohabbat Ke Zamane)

खामोशी के साये में खोए हुए लफ़्ज़ हैं… रूमानियत की आग़ोश में जैसे एक रात है सोई सी…  सांसों की हरारत है, पिघलती सी धड़कनें… जागती आंखों ने ही कुछरूमानी से सपने बुने…  मेरे लिहाफ़ पर एक बोसा रख दिया था जब तुमने, उसके एहसास आज भी महक रहे हैं… मेरी पलकों पर जब तुमने पलकें झुकाई थीं, उसे याद कर आज भी कदम बहक रहे हैं… लबों ने लबों से कुछ कहा तो नहीं था, पर आंखों ने आंखों की बात पढ़ ली थी, वीरान से दिल के शहर में हमने अपनी इश्क़ की एक कहानी गढ़ ली थी…  आज भी वोमोड़ वहीं पड़े हैं, जहां तुमने मुझसे पहली बार नज़रें मिलाई थीं, वो गुलमोहर के पेड़ अब भी वहीं खड़े हैं जहां तुमने अपनेहोंठों से वो मीठी बात सुनाई थी…  आज फिर तुम्हारी आवाज़ सुनाई दी है, आज फिर प्यार के मौसम ने अंगड़ाई ली है, तुम्हारे सजदे में में सिर झुकाए आज भी बैठा हुआ हूं, तुम्हारी संदली ख़ुशबू से मैं आज भी महका हुआ हूं…  आ जाओ किमौसम अब सुहाने आ गए, हवा में रूमानियत और मेरी ज़िंदगी में मुहब्बत के ज़माने आ गए! गीता शर्मा डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z…

February 26, 2022
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