Shayeri

ग़ज़ल- अधूरी बात… (Poetry- Adhuri Baat)

काश तुम समझ पाते
मेरे मन की ख़ामोशी को
जो लफ़्ज़ों में कही ना गई
मन में ही दबी रह गई
दिल के किसी कोने में
नासूर बन चुभती रही
आंखों से आंसू
बन बहती रही
मेरे मन ही दबी रह गई
मेरे मन की बात
बेचैनी में कटते रहे
मेरे दिन और रात
आज सोचती हूं कह दूं
तुमसे अपने मन के हालात
पर कैसे कहूं मैं अपने
मन की अधूरी बात
अब तो चंद सांसों की
मोहलत भी नहीं मेरे पास…

– रिंकी श्रीवास्तव

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Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

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