Geet

काव्य: गोधूलि-सी शाम… (Poetry: Godhuli Si Sham)

गोधूलि-सी शाम में, तुम्हारे मखमली एहसास हैं… रेशम-सी रात में, शबनमी तुम्हारे ख़्वाब हैं… एक मुकम्मल रुत हो तुम, मैं अधूरा पतझड़-सा… तुम रोशनी हो ज़िंदगी की और मैं गहरा स्याह अंधेरा… थक गया हूं ज़माने की रुसवाइयों से… डरने लगा हूं अब जीवन की तनहाइयों से…  तुम्हारे गेसुओं की पनाह में जो गुज़री महकती रातें, अक्सर याद आती हैं वो तुम्हारे नाज़ुक-से लबों से निकली मीठी बातें…  मुझे अपनी पनाह में ले लो, बेरंग से मेरे सपनों में अपने वजूद का रंग भर दो…  लौट आओ कि वो मोड़ अब भी रुके हैं तुम्हारे इंतज़ार में… सूनी हैं वो गालियां, जो रहती थीं कभी गुलज़ार तुम्हारे दीदार से…  गुलमोहर-सी बरस जाओ अब मेरे आंगन में, मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू सी बिखर जाओ इस सावन में…  अपनी उलझी लटों मेंमेरे वजूद को सुलझा दो… तुम्हारा बीमार हूं मैं और बस तुम ही मेरी दवा हो…  गीता शर्मा

December 16, 2021

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष…गीत- फिर आओ लिए कर बाँसुरिया… (Geet- Phir Aao Liye Kar Bansuriya…)

1 वसुदेव चले शिशु शीश धरे, तट तीर-लता हरषाय रहीं। चम से चमके नभ दामिनियाँ, तम चीरत राह दिखाय रहीं।…

August 29, 2021

गीत- ख़ुशहाल ज़िंदगी की तस्वीर… (Geet- Khushhaal Zindagi Ki Tasvir…)

बड़ी चीज़ें कहां मांगता हूं मुझे वक़्त बीतने के बाद भी बस छोटी-छोटी चीज़ों से प्यार है मैं तो बस…

August 22, 2021

गीत- प्रेम कथाओं के पृष्ठों पर… (Geet- Prem Kathaon Ke Prishthon Par…)

प्रेम कथाओं के पृष्ठों पर, जब-जब कहीं निहारा होगा सच मानो मेरी आंखों में केवल चित्र तुम्हारा होगा कभी याद…

July 31, 2021

ग़ज़ल- धड़कन… (Gazal- Dhadkan…)

एक दिन मैं अपनी ही धड़कनों से नाराज़ हो गया इतनी सी शिकायत लेकर कि जब तुम उसके सीने में…

June 15, 2021

काव्य- प्रेम युद्ध और मेरी मांग… (Poem- Prem Yudh Aur Meri Mang…)

हे प्रभु जब मैं तुमसे प्रेम मांगता था तब तुमने जीवन के संघर्ष के रूप में मुझे युद्ध प्रदान किया…

March 21, 2021

ग़ज़ल- थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे… (Gazal- Thodi Si Zindagi De De…)

तेरी आंखों से कब राहों का उजाला मांगा अपनी आंखों में बस थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे सदियों से इस…

February 14, 2021

काव्य- लौट आएंगे हम-तुम भी… (Kavya- Laut Aayenge Hum-Tum Bhi…)

जैसे लौट आती हैं चिड़ियां दिनभर की उड़ान के बाद थकी-हारी वापस घोंसलों में जैसे लौट आते हैं बीज ओढ़े…

February 12, 2021

काव्य- ईश्वर की खोज जारी है… (Kavya- Ishwar Ki Khoj Jari Hai…)

मनमुटाव तो शुरुआत से ही रहा इसीलिए खींच दी गई लक्ष्मण-रेखाएं ईश्वर को ढूंढ़ा गया उससे मिन्नतें-मनुहार की फ़ैसला तब…

January 17, 2021

कविता- युग बदलते रहे… (Kavita- Yug Badlate Rahe…)

वस्त्रहरण दौपदी का, हुआ था युगों पहले धृतराष्ट्र के द्यूत क्रीड़ागृह में युगों के प्रवाह में नष्ट नहीं हुआ वो…

December 10, 2020

कविता- वो पीली सोच वाली कविता… (Woh Peeli Soch Wali Kavita…)

प्रकृति प्रेम… अभी तलाश रही हूं कुछ पीले शब्द कि एक कविता लिखूं पीली सी ठीक उस पीली सोच वाली…

December 4, 2020

कविता- द्रौपदी का ऊहापोह (Kavita- Draupadi Ka Uhapoh)

द्रौपदी स्वयंवर मैं अग्निसुता, मैं स्वयंप्रभा मैं स्वयं प्रभासित नारी हूं मैं यज्ञ जन्मा, और पितृ धर्मा नहीं किसी से…

November 24, 2020
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