काव्य- बारिश और मन (Kavya- Barish Aur Maan)

बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
रिमझिम फुहारों ने मौसम को आशिक़ाना बनाया है

ठंडी बयार कर रही आलिंगन मेरा
लगता है बिछड़ा मीत कोई मुझसे मिलने आया है

बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
ओढ़ इंद्रधनुषी चूनर आसमान ने किया श्रृंगार

मन मयूर भी नाच रहा जब बूंदों ने सुनाई मधुर झंकार
ऐसा लगा मानो कोई सोए अरमान जगाने आया है

बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
चंचल मन सी चंचल बूंदें हलचल सी पैदा करती है

गिली मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू मन में मदहोशी सी भर देती है
ऐसा लगता है दिल के साजों को बूंदों ने मधुर संगीत से सजाया है

बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है…

सारिका फलोर

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Usha Gupta

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