काव्य- मेरी हस्ती निसार हो जाए… (Kavya- Meri Hasti Nisar Ho Jaye…)

सांस, ख़ुशबू गुलाब की हो

धड़कन ख़्वाब हो जाए

उम्र तो ठहरी रहे

हसरत जवान हो जाए

बहार उतरे तो कैमरा लेकर

तेरी सूरत से प्यार ले जाए

जो नाचता है मोर सावन में

तेरी सीरत उधार ले जाए

लहर गुज़रे तेरे दर से तमन्ना बनकर

तेरे यौवन का भार ले जाए

आज मौसम में कुछ नमी उतरे

तेरी परछाईं बहार ले जाए

रात ख़ामोश हो गई क्यूं कर

अपना सन्नाटा चीर दे बोलो

तेरी आंखों से प्यार ले जाए

ऐ दोस्त ‘तेरी हस्ती’ लिखूं कैसे

फ़क्र हो अगर ‘तुझ पे’

मेरी हस्ती निसार हो जाए…

– शिखर प्रयाग

यह भी पढ़े: Shayeri

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

फिल्म समीक्षाः मेट्रो… इन दिनों- रिश्ते और प्यार से जूझती रोमांटिक म्यूज़िकल जर्नी… (Movie Review: Metro… In Dino)

रेटिंग: *** अनुराग बसु रिश्ते के ताने-बाने की गहराई को बख़ूबी समझते हैं और अपने…

July 4, 2025

पहला अफेयर- तीन दिवसीय प्यार! (Love Story- Teen Divasiy Pyar)

वो मोहित के स्टेशन आने की ख़ुशी और बिछड़ने के ग़म दोनों को शब्द नहीं…

July 4, 2025

कहानी- आपने कहा था (Short Story- Aapne Kaha Tha)

सांत्वना सिसक पड़ी. एक पल को चुप रह कर अविनाश ने कहा, "सांत्वना, आज से…

July 4, 2025
© Merisaheli