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कैसे करें हार्मोंस को बैलेंसःहोम रेमेडीज़ (20 wonderful Home Remedies for Hormonal Imbalance)

हार्मोंस का बैलेंस स्वस्थ रहने के लिए बेहद ज़रूरी है. हमारी भूख, नींद, स्वाद और मूड से लेकर सेक्स लाइफ तक हार्मोंस द्वारा प्रभावित होती है. ऐसे में जब भी हार्मोंस का असंतुलन होता है, हमारा स्वास्थ्य बिगड़ता है. बहुत ज़रूरी है कि हार्मोंस का संतुलन बना रहे, ताकि हम हमेशा स्वस्थ और फिट रहें. (Home Remedies for Hormonal Imbalance)

अगर ड्राई स्किन, वज़न बढ़ना, नींद न आना या बहुत अधिक नींद आना, इंफर्टिलिटी आदि समस्याएं आपको घेर लें, तो काफ़ी हद तक संभव है कि इसकी वजह हार्मोंस का असंतुलन ही है.
हार्मोंस क्या होते हैं?
ये शरीर के केमिकल मेसेंजर होते हैं. ये रक्तप्रवाह द्वारा टिश्यूज़ या अन्य अंगों तक पहुंचते हैं. ये धीरे-धीरे समय के साथ शरीर में काम करते हैं और बहुत-सी चीज़ों को प्रभावित करते हैं, जैसे-
–  शरीर का विकास व निर्माण
– मेटाबॉलिज़्म- जो खाना हम खाते हैं, उससे कैसे शरीर को ऊर्जा मिलती है
– सेक्सुअल क्रिया
– रिप्रोडक्शन
– मूड आदि.

 

हार्मोंस के असंतुलन के सामान्य लक्षण ( Home Remedies for Hormonal Imbalance)
वज़न बढ़ना: हेल्दी रहने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल ज़रूरी है, लेकिन हर किसी पर यह बात लागू नहीं होती. हार्मोंस के असंतुलन से हेल्दी लाइफस्टाइल के बावजूद वज़न बढ़ सकता है. ऐसे में बेहतर होगा कि प्रोसेस्ड फूड, शुगर व गेहूं को अवॉइड करें.
पेट पर फैट्स का बढ़ना: जब एंडोक्राइन सिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, तो शरीर भविष्य के लिए फैट्स स्टोर करने लगता है, इस वजह से पेट पर फैट्स बढ़ जाता है, जबकि शरीर में थकान रहती है.
सेक्स की इच्छा में कमी: इसकी शुरुआत नींद में कमी से होती है, क्योंकि क्वालिटी नींद के बिना सेक्स हार्मोंस का निर्माण कम होता है. यह एक महत्वपूर्ण लक्षण है हार्मोंस में असंतुलन का.
थकान: हर व़क्त थकान महसूस करने का मतलब है हार्मोंस का संतुलन ठीक नहीं. आप डायट में बदलाव लाएं, जैसे- गेहूं व अनाज से दूर रहें. इससे बहुत फ़र्क़ पड़ेगा.
चिंता, चिड़चिड़ापन और अवसाद: मूड में परिवर्तन यह बताता है कि आप बहुत ज़्यादा तनाव में हैं और अपना ध्यान नहीं रख रहे, जिस वजह से हार्मोंस असंतुलित हो रहे हैं. बेहतर होगा ख़ुद के लिए कुछ करें. हेल्दी डायट, एक्सरसाइज़, योगा को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं और रिलैक्स करें.
अनिद्रा और डिस्टर्ब्ड स्लीप: हार्मोंस के असंतुलन से नींद बेहद प्रभावित होती है.
पसीना अधिक आना: नाइट स्वेट्स और हॉट फ्लैशेज़ महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की निशानी हैं. अचानक रात को तेज़ गर्मी व पसीना आने का मतलब है हार्मोंस में परिवर्तन हो रहा है. यह ख़ासतौर से मेनोपॉज़ के समय होता है, जब हार्मोंस काफ़ी तेज़ी से बदलते हैं.
पाचन संबंधी समस्या: स्ट्रेस के कारण जो हार्मोंस में बदलाव होता है, उससे कई समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से पाचन से जुड़ी समस्या भी एक है. गैस, बदहज़मी या कब्ज़ की समस्या हार्मोंस में बदलाव का संकेत भी हो सकती है. इसके अलावा सिरदर्द, बदनदर्द, कई मानसिक समस्याएं भी हार्मोंस में बदलाव के कारण होती हैं.
क्या करें कि बना रहे हार्मोंस का संतुलन?
– हाई ओमेगा 6 पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स को अवॉइड करें. हमारे शरीर को बहुत ही कम मात्रा में पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स की ज़रूरत होती है, लेकिन जब हम इन्हें अधिक मात्रा में लेने लगते हैं, तो शरीर इन्हें ही हार्मोंस के निर्माण के काम में प्रयोग करने लगता है, जिससे स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंच सकता है. बेहतर होगा वेजीटेबल ऑयल्स, जैसे- पीनट, कनोला, सोयाबीन आदि का इस्तेमाल कम करके कोकोनट ऑयल, रियल बटर, ऑलिव ऑयल (बिना गर्म किए) और एनीमल फैट्स का प्रयोग करें.
– कैफीन की मात्रा कम करें. सीमित मात्रा में चाय-कॉफी ठीक है, लेकिन बहुत अधिक मात्रा में कैफीन से एंडोक्राइन सिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
– टॉक्सिन्स शरीर में न जाने पाएं, इसका ख़्याल भी रखें. पेस्टिसाइड्स, प्लास्टिक्स व कोटेड बर्तनों का प्रयोग कम करें, क्योंकि इनमें ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो शरीर को हार्मोंस निर्माण करनेवाले तत्वों का आभास देते हैं, जिससे शरीर इन्हीं तत्वों से हार्मोंस बनाने लगता है और शरीर में नेचुरल व हेल्दी हार्मोंस का निर्माण रुक सकता है. यदि आपके हार्मोंस असंतुलित हैं या आप कंसीव नहीं कर पा रहे, तो इन टॉक्सिन्स से दूर रहना बेहद ज़रूरी है. स्टील या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें, नॉनस्टिक से दूर रहें और स्टोरेज के लिए भी प्लास्टिक का प्रयोग न करें.

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– नारियल के तेल को अपने डायट में शामिल करें. यह हार्मोंस के संतुलन में मदद करता है. यह वज़न को भी नियंत्रित करता है.
हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ करें, क्योंकि बहुत हैवी एक्सरसाइज़ से समस्या बढ़ सकती है. बेहतर होगा योग व प्राणायाम करें. आप वॉकिंग और जॉगिंग भी कर सकते हैं.
– हेल्दी डायट लें. गाजर में अलग तरह का फाइबर होता है, जो अतिरिक्त एस्ट्रोजेन को शरीर से बाहर निकालकर डिटॉक्सीफिकेशन में मदद करता है. गाजर खाएं, ख़ासतौर से वो महिलाएं, जो पीएमएस (माहवारी से पहले होनेवाली समस्याएं) से परेशान हों.
ब्रोकोली, पत्तागोभी व फूलगोभी जैसी सब्ज़ियों में फाइटोन्यूट्रिएंट्स की भरमार होती है, जो टॉक्सिन्स को कंट्रोल करके हार्मोंस को बैलेंस रखते हैं और कैंसर जैसे रोगों से बचाव भी करते हैं.
– फ्लैक्ससीड भी बहुत हेल्दी है. अपने डेली डायट में 2-3 टीस्पून फ्लैक्ससीड को शामिल करें.
– ग्रीन टी मेटाबॉलिज़्म को बेहतर करके फैट्स भी बर्न करती है. इसमें मौजूद थियानाइन नामक नेचुरल कंपाउंड हार्मोंस का संतुलन बनाए रखने में कारगर है.
– एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल हेल्दी होता है और वेजीटेबल ऑयल की बजाय इसे डायट में शामिल करें.
– एवोकैडो में बीटा-साइटॉस्टेरॉल नाम का प्राकृतिक तत्व होता है, जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ-साथ स्ट्रेस हार्मोंस
(कोर्टिसॉल) को भी बैलेंस करता है. यह एड्रेनल ग्लैंड द्वारा बनाए जानेवाले हार्मोन (डीएचईए) के कम होते स्तर को बहाल करता है.
– ड्रायफ्रूट्स बहुत हेल्दी होते हैं. बादाम में प्रोटीन, फाइबर और कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. अखरोट में मेलाटोनिन होता है. यह एक तरह का हार्मोन होता है, जो अच्छी नींद में सहायक होता है. इसमें भूख को नियंत्रण में रखनेवाले तत्व होते हैं. शोध में पाया गया है कि हफ़्ते में 5 दिन मुट्ठीभर अखरोट खाने से आवश्यक फैट्स शरीर को मिल जाता है, जो लैप्टिन (एक प्रकार का प्रोटीन) के निर्माण को बढ़ाता है. लैप्टिन ही वह तत्व है, जो भूख को नियंत्रित करता है.
– पानी उचित मात्रा में पीएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन के कारण कुछ हार्मोंस का निर्माण अधिक होने लगता है. बेहतर होगा शरीर में पानी की कमी न होने दी जाए.
– दालचीनी भी हार्मोंस को संतुलित रखने में सहायक है. दालचीनी पाउडर को अपने डायट में शामिल करें. यह इंसुलिन को भी काफ़ी हद तक संतुलित रखता है.
– ओट्स न स़िर्फ ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, ये ब्लड शुगर व इंसुलिन को भी संतुलित रखता है. ओट्स आपके हार्मोंस का बैलेंस बनाए रखता है और आपको हेल्दी भी बनाता है.
– दही बहुत हेल्दी होता है. ये शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखता है और बहुत-से हार्मोंस को भी संतुलित रखता है. इम्यूनिटी बढ़ाता है और शोधों से पता चला है कि आधा कप दही रोज़ खाने से सर्दी और फ्लू होने की फ्रिक्वेंसी कम होती है.
– अनार को ज़रूर डायट में शामिल करें. अध्ययन बताते हैं कि अनार कैंसर उत्पन्न करनेवाले हार्मोंस को नियंत्रित करके कैंसर से बचाव करता है.
– हल्दी न स़िर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसका हार्मोंस बैलेंसिंग इफेक्ट हमें हेल्दी भी रखता है.
– डार्क चॉकलेट मूड ठीक करके डिप्रेशन दूर करता है. यह एंडॉर्फिन हार्मोंस के स्तर को बढ़ाता है और इसमें मौजूद कई अन्य तत्व भी फील गुड के एहसास को बढ़ानेवाले हार्मोंस को बढ़ाकर डिप्रेशन दूर करते हैं. रोज़ डार्क चॉकलेट का 1 इंच का ब्लॉक खाएं.
– अदरक, लहसुन, कालीमिर्च, जीरा, करीपत्ता आदि में भी हार्मोंस को संतुलित रखने के गुण होते हैं. इन सभी को अपने डेली डायट में शामिल करें.

– गीता शर्मा

 

पर्सनल प्रॉब्लम्स: क्या है हार्मोनल इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव?
Meri Saheli Team

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