मानसून का मौसम आने और स्टूडेंट्स के फिर से स्कूल लौटने के साथ, आम सर्दी और फ्लू (इंफ्लूएंजा) के मामले…
वैसे तो बारिश का मौसम लोगों को काफी भाता है क्योंकि इस मौसम में लोगों को काफी हद तक चिलचिलाती…
बदलती लाइफस्टाइल, गलत खानपान की आदतें, इनएक्टिव लाइफस्टाइल, बढ़ता केमिकल एक्सपोज़र आई कई कारण हैं, जिसकी वजह से आजकल कम…
हेल्दी और फिट रहना आज के टाइम में मुश्किल ज़रूर लगता है लेकिन ये इतना भी मुश्किल नहीं. अगर आप खुद को रोज़ देंगे फिटनेसका डोज़ तो आपका हर दिन हेल्दी बनेगा. बस इन ईज़ी टिप्स को फ़ॉलो करें. हर दिन सुबह एक पॉज़िटिव सोच के साथ उठें. इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा और स्ट्रेस कम होगा.चेहरे पर एक स्माइल हो और बिना किसी शिकायत के खुश होकर जोश के साथ दिन शुरू करें. हल्का व्यायाम, योगा, मेडिटेशन को अपना मॉर्निंग रूटीन बनाएं. इससे दिन भर एनर्जेटिक महसूस करेंगे. अपने शरीर के साथ-साथ मन को भी फ़िट रखने की दिशा में प्रयास करें. हर रोज़ एक अच्छा काम करने का संकल्प लें और दिन बांट लें, जैसे- मंडे किसी गरीब को खाना खिला दें, मंगलवार किसी केलिए कुछ भी बुरा कहने से बचें, बुधवार अपने गांवके रिश्तेदारों या दूर रहनेवाले दोस्तों का हाल चाल फ़ोन पर पूछ लें, गुरुवारदिनभर ग़ुस्सा न करने और हंसते रहने का संकल्प लें, शुक्रवार लोगों को कॉम्प्लिमेंट देने के लिए रखें, शनिवार घरवालों को कुछसरप्राइज़ दें, संडे अपने बारे में कुछ अच्छा सोचें. एक डायरी बनाएं और किस तरह आप अपना हर दिन बेहतर व ख़ास बना सकते हैं उससे सम्बंधित बातें लिखें. अच्छी किताबें पढ़ें, सोने से पहले रोज़ आधा घंटा कुछ अच्छा पढ़ने की आदत डालें. पॉज़िटिव थिंकिंग और मोटिवेशनल बुक्सपढ़ें.नेगेटिव लोगों से दूर रहें. अपनी बॉडी को पहचानें. ये ज़रूरी नहीं कि एक हेल्दी हैबिट जो दूसरे के लिए सही हो वो आपको भी सूट करे. सुबह उठकर गुनगुने पानी में नींबू पीना हेल्दी ज़रूर है लेकिन जिनको एसिडिटी या एलर्जी की प्रॉब्लम है उनको शायद ये सूट नकरे इसलिए बेहतर होगा कि रूटीन में कोई भी ऐसे बदलाव से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें.हेल्दी नाश्ता करें, क्योंकि रिसर्च कहते हैं ब्रेकफ़ास्ट करने से मोटापे और डायबीटीज़ जैसे रोगों का ख़तरा कम होता है. अगर ब्रेकफ़ास्ट नहीं करते तो ज़बरदस्ती आदत न डालें क्योंकि सबका शरीर अलग होता है और सबके शरीर की ज़रूरतें भीअलग होती हैं.वज़न को कंट्रोल में रखें. इससे आप कई तरह के रोगों से बचे रहेंगे.खाने में हर तरह की वेरायटी हो ये ध्यान रखें, ताकि पोषण की कमी न हो. किसी भी चीज़ को पूरी तरह से खाना बंद न करें, जैसे- घी, तेल, शुगर, नमक, मिर्च-मसाला, खट्टा आदि क्योंकि शरीर को इनसबकी ज़रूरत होती है और इनकी कमी से भी शरीर में ज़रूरी तत्वों की कमी हो जाती है, जैसे- शुगर की कमी से आपका बीपीकम हो सकता है… इसी तरह घी-तेल पूरी तरह बंद करने से बॉडी में ड्राईनेस आ सकती है. बेहतर होगा संतुलन बनाए रखें.वेटलॉस के लिए भी छोटे गोल्स सेट करें, ये न सोचें कि बस एक हफ़्ते में ही सारा फैट्स कम हो जाएगा. खुद को और अपने शरीर को वक्त दें.ओवर एक्सरसाइज़ न करें, इससे मसल डैमेज हो सकती है और आप खुद को हर्ट भी कर सकते हैं. वक्त पर बेड पर जाएं और नींद पूरी लें. सोशल मीडिया और टीवी देखने का भी एक वक्त तय कर लें कि डेली आपको इतना ही समय देना है और उस टाइम टेबल कोईमानदारी से फ़ॉलो करें.अपने रोज़ के कुछ काम खुद करें, जैसे- अपने कपड़ों को प्रेस करना, जूतों को पॉलिश करना, अलमारी में अपने कपड़े खुद ठीककरके रखना आदि. इससे आप फ़िज़िकली एक्टिव रहेंगे और अपना काम खुद करने की आदत से अलग ही सुकून और संतुष्टिमिलती है. रोज़ का अपना मेनू संडे को ही बना लें. हफ़्तेभर के इस मेनू में आपको अपने पोषण और कैलोरीज़ को संतुलित रूप से डिवाइडकरना होगा, साथ ही क्रेविंग्स के लिए चीट डे भी रखें.दिनभर के अपने भोजन की थाली में जितने ज़्यादा हो सके कलर्स ऐड करें.गेहूं के आटे की जगह कभी नाचनी, रागी, ज्वार-बाजरा भी ट्राई करें. वाइट राइस की जगह ब्राउन राइस खाएं.प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिंस की ज़रूरतों को डायट से पूरा करने की कोशिश करें, न कि सप्लिमेंट्स से.रेडी तो ईट या रेडी तो कुक खाने की बजाय घर पर बना खाना ही खाएं. पैक्ड फ़ूड में प्रीजर्वेटिव होते हैं. सब्ज़ियों का सूप पिएं, दाल पिएं, मौसमी फल और सब्ज़ियां खाएं.हेल्दी और अनहेल्दी फैट्स के फ़र्क़ को जानें और हेल्दी फैट्स खाएं.डेली सुबह या तो रातभर पानी में भिगोए बादाम छीलकर खाएं या फिर चने और किशमिश भिगोकर खाएं. ये बहुत हेल्दी होता हैऔर आपको दिनभर एनर्जेटिक रखता है क्योंकि ये प्रोटीन, फाइबॉर, विटामिन, राइबोफलेविन व अन्य पोषकतत्वों से भरपूर होता है.अपने लंच में दही या पनीर, सलाद या हरी पत्तेदार सब्ज़ी ज़रूर शामिल करें. पानी न तो कम पिएं और न ही बहुत ज़्यादा. हाइड्रेटेड रहें. पानी आपके बॉडी टॉक्सिंस को बाहर निकालता है. लिफ़्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. डेली रात के भोजन के बाद थोड़ा टहलने ज़रूर जाएं, अगर बाहर नहीं तो घर पर ही टहलें. डेली अपना मनपसंद म्यूज़िक ज़रूर सुनें या जो आपको पसंद हो उसके लिए वक्त निकालें.ग्रीन टी को अपने डेली रूटीन में शामिल करें. सूखी सब्ज़ी की बजाए तरीवाली सब्ज़ी खाएं. ब्रोकोली, लौकी, मेथी-पालक, पत्ता गोभी को अपने डायट में शामिल करें. पपीता, सेब जैसे फल काफ़ी पौष्टिक होते हैं. पपीता आप कभी भी खा सकते हैं. रात को भी. ये पेट और पाचन तंत्र के लिएकाफ़ी अच्छा होता है और पेट भी साफ़ रखता है.हींग, जीरा,दालचीनी, हल्दी, अदरक, काली मिर्च आदि काफ़ी हेल्दी होते हैं, इनको अपने डेली डायट में शामिल करें. टमाटर, चुकंदर, गाजर आदि खून की कमी नहीं होने देते, इनका सलाद खाएं. डेली शाम को बाहर से आने के बाद हल्के गर्म पानी में नामक मिलाकर अपने पैरों को उनमें डुबोकर रखें, इससे दिनभर की सारीथकान उतर जाएगी. रात को सोने से पहले हल्दीवाला दूध पिएं. पैरों में लोशन लगाकर सोएं. डेली हाईजीन का ख़याल रखें. नहाने के पानी में गुलाबजल या नीम का उबला पानी मिलाएं. चाहें तो आधा नींबू काटकर भी मिलासकते हैं.बहुत ज़्यादा पेनकिलर या दवाएं खाने से बचें. हल्की-फुल्की तकलीफ़ों के लिए घरेलू उपाय करें, जैसे- अगर पेट फूला हुआ लगरहा है, गैस की समस्या है तो हींग को गुनगुने पानी में मिलाकर पेट और नाभि में लगाएं.कोशिश करें कि आप कम से कम बीमार पड़ें, पानी साफ़ पिएं, साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें, घर में सही वेंटिलेशन हो, डिसइंफ़ेक्टेंट का उपयोग करें. नियमित हेल्थ चेक अप और वैक्सीन लगवाएं. बीच-बीच में घूमने जाएं ताकि बोरियत मिटे और रूटीन थोड़ा बदले. डेली ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ या प्राणायाम ज़रूर करें. रोज़ खुलकर ज़रूर हंसे क्योंकि इससे लंग्स मज़बूत और लचीले होते हैं.खाने के फ़ौरन बाद पानी न पिएं, बल्कि वज्रासन में कुछ देर बैठें. ये एकमात्र योग है जो भोजन के बाद किया जाता है. ये खानापचाता है, पाचन क्रिया को बेहतर करने के साथ-साथ पीठ दर्द से राहत देता है और अच्छी नींद में भी मदद करता है. रिंकु शर्मा
कम उम्र में बच्चों की आंखों को चश्मे से दूर रखने के लिए उनके डेली डायट रूटीन में शामिल कीजिए…
डायबिटीज़ (diabetes) मैनेज (management) करने के लिए बेहद ज़रूरी है हेल्दी लाइफ़स्टाइल (healthy lifestyle), जिसमें डायट (diet), ट्रीटमेंट (treatment) के…
माना भीगा मौसम सुहाना लगता है लेकिन बारिश अपने साथ सिर्फ़ ठंडी फुहार ही नहीं बल्कि कई तरह के संक्रमण और बीमारियां भी साथ लाती है. इसलिए इस मौसम का पूरा लुत्फ़ उठाना हो तो बेहरत है कि मॉनसून में अपनी फिटनेस (monsoon health and fitness) बनाए रखें… रखें डायट का ध्यान… मॉनसून में पाचन क्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है, इस सीज़न में पानी के साथ-साथ भोजन से भी बैक्टिरियलइंफेक्शन्स की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए खानपान का विशेष ध्यान रखें. साफ़ व पूरी तरह से पका हुआ भोजनलें.इस मौसम मेंपाचन क्रिया धीमी होने के कारण हमारा इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर हो जाता है, जिससे ऊर्जा की कमीहोती है और साथ ही खाना भी ठीक तरी़के से पचता नहीं, जिससे एसिडिटी और गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में आपको खानपान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. संतुलित व हल्का भोजन लें और ओवरईटिंग से बचें.सही तरी़के से खानपान का ख़्याल न रखने पर पेट में संक्रमण, दस्त, हैजा और पीलिया तक हो सकता है. डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया भी आम बरसाती बीमारियां हैं, इनसे बचाव भी ज़रूरी है.पानी जितना ज़्यादा हो सके पिएं. हाइड्रेटेड रहें. बारिश है, तो यह न सोचें कि आपको अब ज़्यादा पानी पीने कीज़रूरत नहीं. मॉनसून में वातावरण में नमी बढ़ती है और पसीना जल्दी से सूखता नहीं, जिस वजह से शरीर की गर्मीरिलीज़ नहीं हो पाती, इसलिए पानी की कमी शरीर में न होने दें.पानी हमेशा उबालकर ठंडा करके यानी प्यूरिफाई करके ही पीएं, क्योंकि इस मौसम में पानी जनित बीमारियों कीसंभावना सबसे अधिक होती है.स्ट्रीट फुड और बाहर रोड साइड में मिलनेवाले में मिलनेवाला फूड इस समय जितना हो सके अवॉइड करें. सड़ककिनारे मिलनेवाला फ्रूट सलाद फूड पॉयज़निंग का सबसे बड़ा कारण होते हैं. इस मौसम में मच्छर-मक्खी व अन्यजंतुओं के अधिक पनपने का ख़तरा रहता है, जो खाने को दूषित कर सकते हैं. इसके अलावा इनमें बैक्टिरिया वगैरहभी हो सकता है, जिससे संक्रमण का डर रहता है.पका हुआ खाना खाएं बजाय कच्चे सलाद वगैरह के. इसी तरह बासी भोजन से बचें.फल व सब्ज़ियों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही इस्तेमाल करें. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां व फूल गोभी आदि कोउबालने के बाद ही इस्तेमाल करें, तो बेहतर होगा, ताकि कीटाणु वगैरह से आपका बचाव हो. वैसे बेहतर होगा किइस मौसम में हरी पत्तेदार सब्ज़ियां खाने से बचें, क्योंकि बारिश में उनमें कीड़े लगने लगते हैं.दूध को कंप्लीट डायट कहा जाता है, लेकिन इस मौसम में उसे अवॉइड करें.डेयरी प्रोडक्ट्स इस मौसम में जितना कम खाएंगे, उतना बेहतर होगा क्योंकि उनके ज़रिए इंफेक्शन्स की संभावनाअधिक होती है.ताज़ा सूप पीएं, ये काफ़ी हेल्दी होता है. भूख बढ़ाकर पाचन क्रिया को संतुलित करता है.आप अदरक की चाय, ग्रीन टी या हर्बल टी भी पी सकते हैं.ओट्स, जौ, ब्राउन राइस हल्के और पचने में आसान होते हैं और इस मौसम में बेस्ट रहते हैं.नॉन वेज खाने से बचें, ख़ासतौर से सी फ़ूड, जैसे- फिश या प्रॉन्स, क्योंकि यह उनका ब्रीडिंग सीज़न होता है, जिससेआपको पेट में संक्रमण का ख़तरा हो सकता है. मसालेदार और तले हुए खाने से अपच, उबकाई आना, वॉटर रिटेंशन आदि की समस्या हो सकती है.इस सीज़न में प्रोसेस्ड फूड अवॉइड करें.इस मौसम में गाय का घी खाना काफ़ी फ़ायदेमंद होता है, क्योंकि वो पाचन क्रिया को ठीक रखता है और इम्यूनिटीभी बढ़ाता है.बदहज़मी और अपच से बचने के लिए नियमित रूप से खाने से पहले अदरक के एक छोटे से टुकड़े पर सेंधा नमकलगाकर खाएं.हल्दी, धनिया, कालीमिर्च, हींग, सौंफ, लहसुन, अदरक जैसे मसाले रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, साथ हीपाचन क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं.इसी तरह नीम, हल्दी, करेला जैसी कड़वी चीज़ें और कड़वे हर्ब्स भी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और इनमेंऔषधीय गुण होते हैं, जो संक्रमण से बचाव करते हैं. अपने भोजन में लहसुन को भी ज़रूर शामिल करें, क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. ड्रायफ्रूट्स को अपने डेली डायट का हिस्सा बनाएं.फ्रेश फ्रूट्स में आप सेब, अनार, मोसंबी, केला खाचेरी, अनार, आलू बुखारा, लीची, नाशपाती जैसे फल खाएं. इसी तरह गाजर, मूली और मेथी जैसी सब्ज़ियों को अपने डेली डायट का हिस्सा बनाएं.रोज़ाना हल्दीवाला दूध आपकी इम्यूनिटी भी बढ़ाएगा और दूषित पानी के कारण होनेवाली बीमारियों से भीबचाएगा.स्किन एलर्जी की समस्या वालों को स्पाइसी और सी फूड से बचना चाहिए, क्योंकि स्पाइसी फूड सर्कुलेशन कोबढ़ाता है, जिससे स्किन प्रॉब्लम्स बढ़ सकती है.बर्तनों और कटिंग बोर्ड को अच्छी तरह साफ़ रखें.ऐसे फल और सब्ज़ियां खाएं, जिनके छिलके निकाल सकते हैं. फ़िज़िकल एक्टिविटी को कम न होने दें… बारिश में आपकी जॉगिंग और डेली वॉक पर रोक लग जाती है, लेकिन फिटनेस बनाए रखने के लिए बेहतर होगाकि आप घर में कुछ लाइट, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ व योगा करें. लेकिन ध्यान रखें कि इस मौसम में हेवी एक्सरसाइज़ से बचें. आप मेडिटेशन व योगा करें. जॉगिंग नहीं जा सकते तो क्या हुआ घर पर ही डान्सिंग करें. घर या ऑफ़िस में अपनी इंडोर फ़िज़िकल एक्टिविटी बढ़ाने पर ध्यान दें. बहुत देर तक एक ही जगह पर बैठे न रहें. स्किन इंफेक्शन और एलर्जी से रहें सावधान… बारिश के दौरान वातावरण में नमी बढ़ने से पैची स्किन, रैशेज़ फ़ंगल और बैक्टिरियल इंफेक्शन्स की संभावना बढ़जाती है.नहाने के पानी में नीम का उबला हुआ पानी मिलाएं. अगर ये समस्या ज़्यादा हो बढ़ जाए तो डॉक्टर से संपर्क करें.डायबिटीज़ के रोगी अधिक सावधानी बरतें. शू बाइट होने पर घाव के भीगने पर फ़ौरन उसे सूखा करें. नंगे पांव गीलीज़मीन पर न चलें, वरना जर्म्स और बैक्टीरिया से आपको इंफेक्शन हो सकता है. समस्या होने पर डॉक्टर से सम्पर्ककरें. एंटी बैक्टिरियल सोप्स और पाउडर्स का ही इस्तेमाल करें.बारिश में भीग जाने पर जितनी जल्दी हो सके खुद को सूखा कर लें. ज़्यादा देर तक गीला रहने पर सर्दी-बुखार होसकता है और बालों व स्किन में फ़ंगल इंफेक्शन का डर बढ़ जाता है.इस सीज़न में ओपन शूज़ या सैंडल्स पहनें. बंद शूज़ में पानी जमा होने पर पैर देर तक गीले रहते हैं, जिससे फंगलइंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है.पैरों को भी जितना हो सके सूखा रखने की कोशिश करें. गीले होने पर पैरों को अच्छी तरह से साफ़ कर लें. उंगलियोंके बीच में ख़ासकर एंटी फंगल या एंटी बैक्टिरियल पाउडर लगाएं. जल्दी सूखनेवाले लाइट कपड़े पहनें. जींस न पहनें क्योंकि ये जल्दी सूखती नहीं, जिससे फंगल इंफेक्शन का डरबना रहता है.हाईजीन का ख़याल रखें. हाथों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही खाना खाएं.पर्सनल हाइजीन का भी ख़ास ख़्याल रखें. टॉयलेट के बाद और डायपर बदलने पर हैंडवॉश से हाथ ज़रूर धोएं.बार-बार चेहरे व आंखों पर हाथ न लगाएं, क्योंकि इस मौसम में आंखों के इंफेक्शन की समस्या भी बढ़ जाती है. कंजंक्टिवाइटिस या ड्राई आईज़ की समस्या हो सकती है.बारिश से पहले घर में पेस्ट कंट्रोल ज़रूर करवाएं.घर के आसपास पानी जमा न होने दें वर्ना मच्छरों के पनपने की सम्भावना बढ़ जाती है. ज़रूरी सावधानियां… बच्चों और बुजुर्गों व दमा व सांस के रोगियों को इस मौसम में ख़ास सावधानी बरतनी चाहिए. नमी वाली जगह परबहुत देर तक रहने से बचें. बारिश में भीगने से बचें. बाहर फिसलन बढ़ने से फिसलने का भी डर बढ़ जाता है इसलिएख़राब मौसम में बाहर जाने से बचें.जब भी बाहर से आएं, तो गर्म पानी से नहाएं और पानी में एंटीसेप्टिक लिक्विड की कुछ बूंदों ज़रूर मिलाएं.पैरों को गर्म रखें. बालों को बहुत देर तक गीला न रहने दें. जितना जल्दी हो सके उन्हें सुखा लें. डायट में भी ठंडी चीज़ों के सेवन से बचें. ताज़ा व गर्म भोजन ही खाएं. दिन के दौरान सोने से बचें. इससे वात, पित और कफ में असंतुलन हो जाता है. कफ़ व पित्त बढ़ सकता है. चश्मा या आई ड्रॉप्स या फिर मेकअप भी किसी के साथ शेयर न करें.हेपेटाइटिस ए और बी का वैक्सीन लें, क्योंकि मॉनसून के दौरान लिवर में वायरल इंफेक्शन काफ़ी आम बात है. हेपेटाइटिस के वायरस पानी के ज़रिए तेज़ी से फैलते हैं. यह इंफेक्शन गंभीर हो सकता है, क्योंकि हेपेटाइटिस काकारण पीलिया हो जाता है. बरसाती समस्याओं व बीमारियों से बचने के घरेलू उपाय… पेट दर्द, गैस, बदहज़मी होने पर थोड़ी-सी अजवायन को पानी में डालकर उबाल लें. इस पानी को गुनगना पीएं. सर्दी-खांसी से राहत के लिए एक कप पानी में सोंठ पाउडर उबालकर पीएं, राहत मिलेगी.सर्दी, खांसी और ज़ुकाम के लिए गाजर के जूस में काला नमक मिलाकर पीएं. बहुत फ़ायदेमंद है.गले में ख़राश या दर्द है, तो गुनगुने पानी में नमक और हल्दी मिलाकर गरारे करें.अदरक को काटकर नींबू का रस डाल लें. भोजन के साथ इसका सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाता है.सर्दी से नाक बंद हो गई हो, तो गर्म पानी में नीलगिरी तेल की कुछ बूंदें डालकर भाप लें या फिर रुमाल में उसकीकुछ बूंदें छिड़ककर सूंघें.धनिये और सौंफ के सेवन से भी पाचन तंत्र मज़बूत होता है, गैस, एसिडिटी से आराम मिलता है. कफ़ में भीफ़ायदेमंद है.सर्दी-खांसी से राहत के लिए शहद में काली मिर्च पाउडर मिलाकर लें.हेल्दी मसालों का मिश्रण- जीरा, अजवायन और सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर भूनकर पाउडर कर लें और एकड्राय कंटेनर में स्टार करके रख लें. इसें फ्रिज में न रखें. अगर यह नमी से दूर रहता है, तो 2 महीने तक चल सकता है. इसके सेवन से पेट की तकली़फें दूर रहती हैं. टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं.वायरल फीवर के एक कप पानी में तुलसी और अदरक मिलाकर उबाल लें. आंच से उतारकर शहद मिलाएं औरचाय की तरह पीएं. इससे सर्दी, खांसी और ज़ुकाम में भी राहत मिलती है. बुख़ार में संतरे का जूस पीने से फ़ायदा होता है. यह ऊर्जा बढ़ाता है और यूरिन के ज़रिए विषैले तत्वों को बाहर करकेबुखार कम करता है. वायरल फीवर में लहसुन और प्याज़ के कच्चे सेवन से फ़ायदा मिलेगा. आप सूप के रूप में इनका सेवन करें.तुलसी व अदरक के रस को शहद में मिलाकर लेने से भी बुखार में लाभ मिलता है. नोट: कोई भी समस्या बढ़ने पर, चाहे बुख़ार हो, पेट की समस्या, स्किन संबंधी या सांस संबंधी रोग अगर ठीक न हो रहे होंतो ख़ुद दवा खाने की बजाय डॉक्टर को दिखाएं, वर्ना रोग के गम्भीर होने का ख़तरा बढ़ सकता है. स्टे सेफ और हैप्पी वहेल्दी मॉनसून! …
हमें एक्सरसाइज़ क्यों करना चाहिए? इस सवाल को लेकर गूगल सर्च किया जाए, तो इसके अनगिनत फ़ायदे पढ़ने को मिल…
आपको कई बार लोगों ने गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पीने की सलाह दी होगी. अक्सर लोग वज़न घटाने के…
हेल्दी डायट (Diet) न स़िर्फ हमें एनर्जेटिक बनाए रखती है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी बचाती है. स्वस्थ और…