वो रास्ता अब सुनसान लगता है, वो राहें अब तुझे याद करती हैं… तेरी वो नीली-नीली आंखें… अक्सर जब मेरा…
शायद ही कोई दिल हो जिसमें मोहब्बत के फूल न खिले हों. प्यार का मौसम सभी को मोहब्बत की बरसात…
माना तो यही जाता है कि रिश्तों की गर्मी बनी रहनी चाहिए तभी वो ऊर्जावान रहते हैं, लेकिन अक्सर होता ये है कि वक़्तऔर बदलते हालात रिश्तों को ठंडा कर देते हैं और हमारे मिज़ाज को गर्म… यही गर्म मिज़ाज रिश्तों को और ठंडा करतेजाते हैं… पर ऐसा होता क्यों है और कैसे अपने ठंडे पड़ते रिश्तों को अपने गर्म मिज़ाज को ठंडा रखकर बचाया जासकता, इस पर काम करना ज़रूरी है… सबसे पहले तो ये समझना होगा और उन संकेतों को पहचानना होगा जिनसे पता चले कि आपके रिश्ते सर्द पड़ रहे हैं? क्या अब आप लोगों में कम्यूनिकेशन कम होता है? आपका शायद ध्यान ही न गया हो इस तरफ़ लेकिन एक दिनबैठकर फुर्सत से सोचें और लिस्ट बनाएं कि पहले के मुक़ाबले अब क्या-क्या बदला है…एक-दूसरे की परवाह तो है पर फिर भी एक-दूजे के प्रति बेपरवाह से हो गए हैं.न पहले की तरह तारीफ़ें होती हैं और न प्यारभरी बातें…सेक्स लाइफ़ में भी अब पहले जैसा आकर्षण और रोमांस नहीं रहा… ये तो थी पति-पत्नी के बीच की बातें लेकिन ये ठंडापन इन दिनों हर रिश्ते में पनप रहा है… भाई-बहन में अब पहले जैसा अपनापन नहीं रहा.माता-पिता के साथ कोई रहना नहीं चाहता क्योंकि अब वो बूढ़े हो चले हैं.किसी के पास फुर्सत नहीं कि घर के बुज़ुर्गों के पास आकर दो पल बैठे और उनका हाल-चाल पूछे. दूर के रिश्तेदार हों या करीबी भी फ़ोन पर भी बात करने का समय नहीं निकाल पाते लोग. न पोते-पोतियों को अपनेदादा-दादी से बात करने में दिलचस्पी है, न भतीजा-भतीजी को अपने बुआ का हाल चाल पूछने की ज़रूरत महसूसहोती.इस तरह के तमाम उदाहरण हमें रोज़ देखने-सुनने को मिल जाते हैं. अब सवाल ये है कि आख़िर रिश्ते सर्द क्यों पड़ रहे हैं…? स्वार्थ अपनेपन पर हावी हो गया है.प्यार की जगह पैसों ने ले ली है.सबके साथ बैठकर फुर्सत के पल गुज़ारने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी ऑफ़िस की डेडलाइंस हो गई हैं.सेक्स महज़ मशीनी प्रक्रिया और जिस्म की ज़रूरत बनकर रह गया. पार्टनर की भावनाओं को समझने से ज़्यादा ज़रूरी अब कामयाबी हो गई है… बूढ़ी दादी की बात सुनना तो वेस्ट ऑफ़ टाइम है, समय से दोस्तों की पार्टी में पहुंचना ज़्यादा ज़रूरी है.पिता को दवा तो मां भी दिलाकर ला सकती है, बहूरानी के लिए मॉल की वीकेंड सेल ज़्यादा मायने रखती है.लेकिन क्यों हमारा नज़रिया रिश्तों के प्रति बदल गया या यूं कहें कि इतना कठोर हो गया? इसकी एक बड़ी वजह हैहमारा मिज़ाज… जो अब बदल गया है… गर्म हो गया है… क्यों गर्म हो रहे हैं हमारे मिज़ाज? हम अब एडजेस्टमेंट नहीं करना चाहते अब, क्योंकि हम आज़ादपसंद हो गए हैं.हमारी लाइफ़स्टाइल बदल चुकी है, जीने के तौर-तरीक़े बदल गए हैं.ऐसे में ज़रा सी टोका-टोकी या किसी ने ये भी पूछ लिया कि कहां जा रहे हो… या आज आने में देर कैसे हो गई… हमें बर्दाश्त नहीं होतीं… हमें फ़ौरन ग़ुस्सा आ जाता है.हमारा गर्म मिज़ाज हमको ये सोचने का तर्क ही नहीं दे पाता कि हमारे अपनों को हमारी फ़िक्र है, परवाह है, इसलिएवो फ़िक्रमंद रहते हैं और सवाल करते हैं.काम का स्ट्रेस, आगे बढ़ने की होड़ और इस फ़ास्ट लाइफ़स्टाइल ने हमारे मिज़ाज को और भी गर्म बना दिया औरहमारे रिश्तों को सर्द.काम का प्रेशर, शौहरत और पैसा कमाने का प्रेशर, यंग और फिट दिखने का प्रेशर, लक्ज़री लाइफ़ जीने का प्रेशर, महंगी गाड़ी से लेकर ब्रांडेड कपड़े पहनने का प्रेशर… ये तमाम ख्वाहिशें अब हमारी ज़रूरतें बन चुकी हैं और इनकोपूरा करने में जब हम पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाते तब भी मिज़ाज गर्म रहने लगता है. और अगर ये सब मिल भी जाए तब भी इतना कुछ करते-करते हम अपनी कोमलता खो चुके होते हैं, अपनों से औरअपने रिश्तों से दूर हो चुके होते हैं. इसके अलावा व्यसन, लत, नशा… चाहे पैसों का हो, कामयाबी का हो, शराब या सिगरेट का हो… ये हमारे मिज़ाजको ठंडा होने देता… लेकिन ये नशा रिश्तों को लेकर हम पैदा क्यों नहीं करते…? हमारा खान-पान भी ऐसा हो गया है कि हमें हाइपर एक्टिव बना रहा है. अनहेल्दी लाइफ़स्टाइल से लेकर अनहेल्दीखानपान हमारे मिज़ाज को बिगाड़ रहा है. कैसे बढ़ाएं अपने रिश्तों में गर्मी और कैसे रखें अपना मिज़ाज ठंडा? संतुष्ट और सुकून को पैसे और शौहरत से ज़्यादा महत्व देने का प्रयास करें, कोशिश करेंगे तो कामयाबी ज़रूरमिलेगी.रिश्तों को प्राथमिकता बनाएं.अपनों को वक़्त दें. पैसों के पीछे भागना बंद कर दें. हॉबी डेवलप करें.डायट बदलें.योगा और मेडिटेशन ज़रूर करें, साथ ही लाइट एक्सरसाइज़ या वॉक करें. इससे ब्रेन में हैप्पी होर्मोंस रिलीज़ होंगेऔर आप पॉज़िटिव बनेंगे.ज़िंदगी के प्रति अपना नज़रिया बदलें.पॉज़िटिव सोच के साथ हर काम करें और कोशिश करें कि वर्क लाइफ़ और पर्सनल लाइफ़ में संतुलन बना सकें. पार्टनर की अच्छाइयों और कोशिशों को सराहें. अपनों से कनेक्टेड रहें, चाहे फ़ोन या मैसेज के ज़रिए, इससे मन को सुकून और ज़िंदगी में तसल्ली रहती है.दूसरों की मदद करें, अपनों का दर्द बांटें, क्योंकि एक वक़्त के बाद अपने और ये रिश्ते ही काम आते हैं, वर्ना ऐसा नहो कि ये गर्म मिज़ाजी आपको अपनों से इतना दूर और आपको इतना तनहा कर दे कि कहने को तो आपके पासनाम, पैसा, शौहरत तो हो लेकिन सिर रखने को कोई कंधा न हो, थामने को कोई हाथ न हो और साथ मिलकरहंसने-रोने वाला कोई हमदर्द न हो! बिट्टू शर्मा
आंखों से दिल का हाल बताने वाली महिलाओं से यूं तो कोई बात छुपाए नहीं छुपती, पर बात जब जीवनसाथी…
कॉलेज का वो दौर, वो दिन आज भी याद आते हैं मुझे. 18-19 की उम्र में भला क्या समझ होती है. मैं अपने बिंदास अंदाज़में मस्त रहती थी. कॉलेज में हम चार दोस्तों का ग्रुप था. उसमें मैं अकेली लड़की थी, लेकिन मुझे लड़कों के साथ रहने परभी कभी कुछ अटपटा नहीं लगा. उनमें से सिद्धार्थ तो सीरियस टाइप का था,पर दूसरा था सुबीर, जो कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक था. उसे मेरे बाल और कपड़ों की बड़ी चिंता रहती. लेकिन अजीब से रोमांटिक अंदाज़ में उसके बात करने से मुझेबड़ी चिढ़ होती थी. लेकिन इन सबसे अलग था हमारे ग्रुप का वो तीसरा लड़का, नाम नहीं लिखना चाहती, पर हां, सुविधा के लिए अवनि कहसकते हैं. करीब चार साल तक हमारा साथ रहा, लेकिन पढ़ाई और घर के सदस्यों के हाल चाल जानने तक तक ही हमारी बातचीतसीमित थी. आगे भी एक साल ट्रेनिंग के दौरान भी हम साथ थे, लेकिन हमारे डिपार्टमेंट अलग थे और काफ़ी दूर-दूर थे. वो दौर ऐसा था कि लड़के-लड़कियों का आपस में बात करना समाज की नज़रों में बुरा माना जाता था, लेकिन अवनिआधे घंटे के लंच टाइम में भी पांच मिनट निकाल कर मुझसे मिलने ज़रूर आता था, बस थोड़ी इधर-उधर की बातें करके चला जाता. फिर वो समय भी आ गया जब साल भर की ट्रेनिंग भी ख़त्म होने को आई और अवनि को उसके भाई ने नौकरी के लिएअरब कंट्री में बुला लिया था. उसकी कमी खल तो रही थी लेकिन हमारे बीच सिर्फ़ एक दोस्ती का ही तो रिश्ता था. वो जबभी अपने पैरेंट्स से मिलने इंडिया आता तो मुझसे भी ज़रूर मिलकर जाता. मेरे घर में सभी लोग उससे बड़े प्यार से मिलते थे, वो था ही इतना प्यारा. निश्छल आंखें और बिना किसी स्वार्थ के दोस्तीनिभाना- ये खूबी थी उसकी. मैं अक्सर सोचती कि हम दोनों के बीच कुछ तो ख़ास और अलग है, एक लगाव सा तो ज़रूरहै, वही लगाव उसे भारत आते ही मुझ तक खींच लाता था. वो जब भी आता मेरी लिए बहुत सारे गिफ़्ट्स भी लाता. उसे पता था कि मेकअप का शौक़ तो मुझे था नहीं, इसलिए वो मेरे लिए परफ़्यूम्स, चॉक्लेट्स और भी न जाने क्या-क्या लाता. इसी बीच उसकी शादी भी तय हो गई और जल्द ही उसने सात फेरे ले लिए. मैं खुश थी उसके लिए, लेकिन उसकी शादी में मैं नहीं जा पाई. हां, अगले दिन ज़रूर गिफ्ट लेकर अवनि और उसकी पत्नीसे मिली. इसके बाद उससे अगली मुलाकात तब हुई, जब वो अपने एक साल के बेटे को लेकर मुझसे मिलने आया. कुछ समय बाद मेरी भी शादी हो गई. वो भी मेरी शादी में नहीं आ पाया. फिर मैं भी घर-परिवार में इतनी खो गई कि कुछसोचने का वक़्त ही नहीं मिला. लेकिन दिल के किसी कोने में, यादों की धुंधली परतों में उसका एहसास कहीं न कहीं था. मुझे याद आया कि आख़री बार जब उससे मिली थी तो जाते समय उसने एक फिल्मी ग़ज़ल सुनाई, जिसका कुछ-कुछअर्थ था कि मैं अपना वादा पूरा नहीं कर पाया, इसलिए मुझे फिर जन्म लेना होगा… उसे सुनकर मैं भी अनसुलझे से सवालों में घिरी रही. अब घर-गृहस्थी में कुछ राहत पाने के बाद यूं ही अवनि का ख़यालआया और मन में हूक सी उठी. मैंने एक दिन सोशल मीडिया पर अवनि को ढूंढ़ने की कोशिश की और मैं कामयाब भी होगई. हमारे बीच थोड़ी-बहुत बात हुई और जब मैंने उससे पूछा कि इतने वक़्त से कहां ग़ायब थे, न कोई संपर्क, न हाल-चाल पूछा, मेरी इस बात पर उसने कहा, "तुम्हारी याद तो बहुत आई, पर मैंने सोचा तुम अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो, तोबेवजह डिस्टर्ब क्यों करना.” मैं हैरान रह गई उसकी यह बात सुनकर कि अवनि इतनी भावुक बात भी कर सकता है? फिर काफ़ी दिन तक हमारी बातनहीं हुई. एक दिन मैं अपने लैपटॉप पर कुछ देख रही थी कि अचानक अवनि का मैसेंजर पर वीडियो कॉल आया, क्योंकि अरब देशों…
हेल्दी रहना (Healthy Habits) सिर्फ़ आपके शरीर व संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि आपके रिश्तों (Relationship) के लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है. ऐसी कौन-सी हेल्दी हैबिट्स (Healthy Habits) हैं जो आपके रिश्ते को भी फिट रखेंगी, आइए जानें… पॉज़िटिव सोच रखना एक ऐसी आदत है, जो आपको तो तनाव मुक्त रखती ही है, आपके पार्टनर को भी वो खुशऔर तनावमुक्त रखने में मदद कर सकती है. सिर्फ़ पार्टनर ही क्यों, घर में सब पर इसका असर होगा, क्योंकि एकसकारात्मक सोच ही जीवन और रिश्तों को सकारात्मक रख सकती है. अध्ययन बताते हैं कि सकारात्मक सोच सेकपल में आपसी टकराव और मनमुटाव कम होता है और उनकी बॉन्डिंग मज़बूत होती है. वर्कआउट करना फ़िज़िकल फ़िटनेस के लिए ज़रूरी है, लेकिन ये आपके हार्ट, बोंस, मसल्स आदि को भी फिटरखता है, जिसका सीधा असर आपके रिश्तों पर भी पड़ता है. आप खुद को फिट महसूस करते हैं तो खुश रहते हैंऔर एक अलग ही आत्मविश्वास से भर जाते हैं. बेहतर होगा कि अपने पार्टनर के साथ वर्कआउट करें, जिससे आपसाथ में ज़्यादा वक़्त भी बिता पाएंगे और एक-दूसरे को हेल्दी कॉम्पटिशन भी दे सकते हैं कि कौन ज़्यादा फिट है. सर्वे से ये बात स्पष्ट हुई है कि कपल्स ने खुद यह महसूस किया कि फिटनेस से उनके व्यक्तित्व व रिश्ते परसकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे वो ज़्यादा ऊर्जावान और कॉन्फ़िडेंट महसूस करते हैं और ज़्यादा खुशरहते हैं. योगा या ध्यान करने की आपको अगर आदत है तो ये बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इससे आपका तनाव कम होगा, आप सुबह जल्दी उठकर एक साथ योगा करते हैं तो आपकी क्लोज़नेस भी बढ़ेगी. अगर सुबह टाइम न हो तो आपशाम को या फिर कोई योगा क्लास जॉइन करके भी अपना स्ट्रेस लेवल कम कर सकते हैं. इसी तरह मेडिटेशन से भीमस्तिष्क में हैप्पी होर्मोंस रिलीज़ होते हैं, जो आपको खुश व तनावमुक्त रखते हैं. एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि तनाव आपको शारीरिक व भावनात्मक रूप से कमज़ोर बनाकर रिश्तों की आत्मीयता को धीरे-धीरे ख़त्म करता है. यहां तक कि सेक्स लाइफ पर भी इसका असर होता है. ऐसे में जब तनाव कम होगा, तोआपका रिश्ता भी तनाव से मुक्त होगा.हेल्दी खाना ऐसी हेल्दी आदत है जो अपने शरीर में फैट्स को बढ़ने नहीं देती और आपके हैप्पी होर्मोंस को बढ़ाती हैं, जिससे आपका रिश्ता हैप्पी और फिट रहता है. फिटनेस से आपकी सेक्स लाइफ़ पर भी असर होता है. आपकीसेक्स लाइफ़ बेहतर होती है, क्योंकि आपको तनाव और थकान कम होती है. अच्छी सेक्स लाइफ़ का मतलब है किआपका रिश्ता भी हेल्दी है.पर्सनल हाइजीन को लेकर जो लोग सतर्क रहते हैं उनकी पर्सनल लाइफ़ भी बेहतर होती है, क्योंकि उनकोइंफ़ेक्शन्स का ख़तरा कम होता है, पार्टनर को भी अच्छा लगता है और वो आपके ज़्यादा क़रीब आते हैं. सिर्फ़प्राइवट पार्ट्स ही नहीं, ओरल हाइजीन का ख़याल रखना भी एक ऐसी हेल्दी आदत है जिसका सीधा असर आपकेरिश्ते पर पड़ता है, क्योंकि अगर आपकी सांस से बदबू आएगी तो भले ही झिझक के मारे पार्टनर कुछ कहे नहीं, लेकिन वो आपके क़रीब आने में झिझकेंगे. ग़ुस्से, ईगो और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहना या उनको कंट्रोल में रखना भी बेहद हेल्दी हैबिट है औरइसका प्रभाव साफ़ तौर पर आपके रिश्तों पर भी देखा जा सकता है. आपमें झगड़े कम होंगे और अपनापन बढ़ेगा.ज़ाहिर सी बात है कि एक फिट और हेल्दी बॉडी और एक पॉज़िटिव माइंड आपको ज़्यादा अट्रैक्टिव पर्सन बनाता है, जिससे आपका पार्टनर भी आपके प्रति ज़्यादा प्यार और आकर्षण महसूस करता है. इसके अलावा आप अपनेपार्टनर के लिए अगर हेल्दी हैबिट अपनाते हैं तो उनको और भी अच्छा महसूस होता है, जैसे- शराब या सिगरेट कमकरना या छोड़ देना, फ़िज़ूलखर्ची कम करके सविंग्स पर ध्यान देना, अपने ग़ुस्सैल स्वभाव को कंट्रोल करने कीचुनौती स्वीकार करना आदि.डिजिटल वर्ल्ड में टाइम कम स्पेंड करके अपने रिश्तों को समय देना भी एक बेहतरीन आदत है, जिससे आपका मन-मस्तिष्क भी शांत रहता है और आप ज़्यादा कम्यूनिकेट करते हैं, शेयरिंग और केयरिंग भी बढ़ती है इससे, इसलिएअपने मोबाइल और लैप्टॉप से ब्रेक लेकर अपनों के साथ कुछ पल रोज़ ज़रूर बिताएं. अपने साथ-साथ घर और कमरे को भी साफ़ रखने की आदत आपके रिश्ते को और रोमांटिक बनाएगी. अपने बेड, चादर, तकिया आदि साफ़ रखें. कमरे में अरोमा का इस्तेमाल भी अच्छा उपाय है रोमांटिक लाइफ़ को रिक्रिएट करनेके लिए. बेहतर होगा एनर्जी के साथ अपने बेड पर जाएं और शिकवे-शिकायत को कमरे के बाहर छोड़ आएं. अगरकोई बात करनी भी है तो अलग से समय निकालकर शांत मन से गम्भीरता से बात करें. बेड पर ब्लैक मेलिंग से बचें.सहयोग और अपनेपन की भावना को बढ़ावा दें क्योंकि ये ऐसी आदत है जो अपने सभी रिश्तों को हेल्दी रखेगी. बिनाकिसी स्वार्थ के अपनों की व औरों की मदद को हमेशा तैयार रहना आपके रिश्तों को बेहतर बनाता है और आपकोआत्मिक संतुष्टि भी देता है. कोई बीमार हो तो उसका हालचाल पूछ लेना या पत्नी की तबियत ठीक न होने परउसकी मदद करना, ख़्याल रखना, छुट्टी लेकर साथ वक़्त बिताना भी रिश्तों ke लिए बेहद ज़रूरी और हेल्दी है. इसी तरह ज़िम्मेदारियों व अन्य कामों में भी मदद व सहयोग का रवैया आपको बेहतर फ़ैमिली पर्सन बनाता है. येकाम उसका है, ये ज़िम्मेदारी उसी की है… ये न सोच कर सभी लोग मिलजुल कर काम करें और खुलकर बात करें.अपने पार्टनर को सम्मान देकर उसके विचारों को भी निर्णय लेने से पहले तवज्जो देना भी एक बेहतरीन आदत है. ऐसा न सोचें कि इस बारे में उसे जानकारी नहीं तो उससे क्या पूछना, बेहतर होगा सभी लोग मिलकर ही निर्णय लें. किसी को नीचा न दिखाएं.इसी तरह थैंकयू, सॉरी कहने, आभारव्यक्त करने, तारीफ़ करने, गिफ़्ट देने व सरप्राइज़ की आदत भी बेहद हेल्दी है. ये आदत सिर्फ़ पति-पत्नी के रिश्ते को ही नहीं, बल्कि तमाम रिश्तों को हेल्दी रखेगी. मां ने आपको पसंद का खानाबनाया हो या पत्नी ने आपकी कोई ख़ास शर्ट पर प्रेस किया हो, किसी दोस्त ने कोई छोटी से मदद की हो याऑफ़िस बॉय ने टेबल पर चाय लाकर दी हो- उनको थैंक यू कहने भर से या उनकी तारीफ़ कर देने से रिश्तों में नईऊर्जा और सम्मान का भाव आ जाता है. इसी तरह गलती होने पर माफ़ी मांगने की आदत भी आपके रिश्तों कोहमेशा फिट रखेगी. अपनों को छोटी सी ख़ुशी देने के लिए थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत या एफ़र्ट करने की आदत भी बहुत पॉज़िटिव है. चीकू शर्मा
मैं अपनी चचेरी बहन के पास अस्पताल में बैठी थी. उसका छोटा-सा एक्सीडेंट हुआ था और पांव में फ़्रैक्चर हो जाने कीवजह से वह तीन-चार दिनों के लिए एडमिट थी. मैं उसके पास कुर्सी पर बैठी कोर्स की किताब पढ़ रही थी कि तभी उसकेस्कूल के दोस्त उससे मिलने आए. दो लड़कियां और तीन लड़के. कुछ ही देर में बाकी सब तो चले गए लेकिन रश्मि काएक दोस्त, जिसका नाम जतिन था रुक गया. हम तीनों बातें करने लगे. बातों के सिलसिले में पूरी दोपहर कब निकल गईपता ही नहीं चला. दूसरे दिन फिर आने का वादा करके वह घर चला गया. उसके जाने के बाद मैं यूं ही उसके बारे में सोचने लगी… बिखरे बालों वाला वह बहुत सीधा-सादा, भोला-सा लगा मुझे. रात में चाची रश्मि के पास रुकी और मैं घर चली गई. सुबह नहाकर जब वापस आई तो देखा जतिन महाराज पहले से ही वहां बैठे थे. चाची के चले जाने के बाद हम तीनों फिर गप्पे मारने लगे. एक आम और साधारण-सा चेहरा होने के बाद भीएक अजब-सी, प्यारी-सी रूमानियत थी जतिन के चेहरे पर और उसकी बातों में कि दिल और आंखें बरबस उसकी ओर खींची चली जाती थी. चार दोपहरें कब निकल गई पता नहीं चला. रश्मि को अभी डेढ़ महीना घर पर ही रहना था. इस बीच उसके बाकी दोस्तों के साथ ही जतिन भी घर आता रहा. वह स्कूल में होने वाली पढ़ाई की जानकारी रश्मि को देकर उसकी मदद करता और खाली समय में हम तीनों खूब बातें करते और मस्ती करते. अब तो जतिन से मेरी भी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी. जिस दिन वह नहीं आता वो दिन खाली-खाली-सा लगता और मैं बेसब्री से उसका इंतजार करती. रश्मि भी हंसी-हंसी में उसे ताना मारती, "तुम मुझसे मिलने थोड़े ही आते हो, तुम तो चेतना से मिलने आते हो…" तब जतिन एक शर्मीली-सी हंसी भरी नज़र मुझ पर डाल कर सिर झुका लेता. बारहवीं पास होते ही मैं डेंटल कॉलेज में पढ़ने दूसरे शहर चली गई और जतिन भी आगे की पढ़ाई करने दूसरे शहर चला गया, लेकिन फोन पर हम बराबर संपर्क में बने रहते. कभी-कभी रात की ट्रेन से सफर करके जतिन मुझसे मिलने आता. दिन भर हम साथ में घूमते, लंच करते और रात की ट्रेन से वह वापस चल आ जाता. पढ़ाई खत्म होने तक हम दोनों को ही इस बात का एहसास हो चुका था कि हम दोस्ती से आगे बढ़ चुके हैं. हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं और अब अलग नहीं रह सकते. हम दोनों ही अपनी एक अलग रूमानी दुनिया बसा चुके हैं, जहां से लौटना अब संभव नहीं था. कितनी खूबसूरत थी वह दुनिया, बिल्कुल जतिन की दिलकश मुस्कुराहट की तरह और उसकी आंखों में झलकते प्यार सेसराबोर जिसमें मैं पूरी तरह भीग चुकी थी. नौकरी मिलते ही जतिन ने अपने घर में इस बारे में बात की. उसके माता-पिता अपने इकलौते बेटे की खुशी के लिए सहर्षतैयार हो गए, लेकिन मेरे पिताजी ने दूसरी जाति में शादी से साफ इनकार कर दिया. यहां तक कि जतिन के घर आने पर अपनी बंदूक तान दी. महीनों घर में तनाव बना रहा, लेकिन मैं जतिन के अतिरिक्त किसी और से शादी करने के लिए किसी भी हालत में तैयार न थी. महीनों बाद सब के समझाने पर पिताजी थोड़े नरम हुए. उन्होंने पंडित जी से कुंडली मिलवाई तोपंडित जी ने मुझे मंगली बता कर कहा कि यदि यह शादी हुई, तो लड़की महीने भर में ही विधवा हो जाएगी. साथ ही लड़के की कुंडली में संतान योग भी नहीं है. घर में सब पर वज्रपात हो गया. अब तो शादी की बिल्कुल ही मनाही हो गई. चार-पांच पंडितों ने यही बात की. अलबत्ता जतिन के घर वाले अब भी अपने बेटे की खुशी की खातिर इस शादी के लिए तैयार थे. बहुत संघर्षों और विवादों के बाद…
शादी का रिश्ता तय करते समय बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है. होनेवाले वर-वधु के परिवार से लेकर…
अगर आपका लक्ष्य वज़न घटाने (Weight Loss) का है, लेकिन कई महीनों से डायट फॉलो करने या वर्कआउट करने से…
शादी जहां एक ओर कई हसीन और रंगीन सपने लाती है वहीं ढेर सारी जिम्मेदारियां भी उससे जुड़ जाती हैं, लेकिन अक्सरकुछ लोग ख़ासतौर से लड़कियां शादी को सिर्फ़ एक रंगीन व हसीन ज़िंदगी मानकर इससे जुड़ती हैं और फिर सारी उम्रबस शिकायतें ही करती रह जाती हैं. बेहतर होगा कि अपनी सोच बदलें और खुद को मानसिक तौर पर परिपक्व बनाएंऔर शादी के बाद ससुराल के लिए खुद को तैयार करें… सबसे पहले तो नए घर में जाने से जुड़े अपने मन से सारे डर और सारी दुविधा निकाल दें.ससुराल व सास-ससुर या ननद-देवर को लेकर कोई छवि या राय न बनाएं. सकारात्मक रहें, मन में नकारात्मक विचारों को न आने दें. ये न सोचें कि ये सब नए लोग हैं और ये सिर्फ़ आपका विरोध ही करेंगे या आप में कमियां ही निकालेंगे.शादी से पहले हर काम ये सोचकर न करें कि अरे अब तो कुछ टाइम में शादी हो जाएगी, तब मैं ये नहीं कर पाऊंगी, ये नहीं पहन पाऊंगी, हंस नहीं सकूंगी, बात नहीं कर पाऊंगी… आदि… ये तमाम सोच ही नकारात्मक है, जो आपकोशादी व ससुराल के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होने देगी और आपको कमज़ोर बनाएगी.बेहतर होगा कि आप अपनी सोच और मानसिकता को बदलें, ये सोचें कि नए घर में मैं ये करूंगी, ऐसे घर सजाऊंगी, ऐसे सबको अपना बना लूंगी.अपने हुनर और गुणों पर ध्यान दें न कि कमियों पर. आपके यही गुण व हुनर आपको ससुराल के एक अलगआत्मविश्वास देगा, जिससे आप मेंटली स्ट्रॉन्ग रहेंगी. शांत मन से इसके बारे में सोचें. मन शांत होगा तभी सब बेहतर होगा. शांत मन से ये सोचें कि किस तरह आप अपने इस घर और रिश्तों को संजोकररखेंगी. अपनी अपेक्षाओं का दायरा बहुत न बढ़ाकर रखें. ये मानकर चलें कि मायके जैसा माहौल वहां नहीं होगा, इसलिएएडजेस्टमेंट के लिए तैयार रहें.शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है, लेकिन ज़िंदगी तो बदलाव का ही नाम है, इसलिए इन बदलावों के लिए खुदको तैयार रखें.अब पहले की तरह सहेलियों के साथ घूमना-फिरना कम ही हो पाएगा और पहले जैसे आज़ादी भी नहीं रहेगी, क्योंकि शादी से जुड़े बंधन और मर्यादा आपके रिश्ते व भविष्य को बेहतर करेगी.ज़िंदगी के इस बदलाव पर चिढ़ें नहीं, वर्ना आपके लिए ही मुश्किल होगी.ग़ुस्सा कम करें, माहौल को बेहतर बनाने की कोशिश ज़्यादा करें. अगर आपको जल्दी ग़ुस्सा आता है तो आपकोअपनी इस भावना पर काम करना होगा. अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखें. भावुक होकर कोई फ़ैसला न लें.अपनी ज़रूरत की चीज़ें तो आप साथ लेकर जाएंगी ही, लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जिनसे आप नए घर में भी कनेक्टकरके ज़्यादा खुश हो सकती हैं, जैसे- आपकी सुबह का रूटीन! जी हां, अगर आपको वॉक या जॉगिंग की आदत हैतो इसे न बदलें. ये हैबिट्स आपको मेंटली मज़बूत बनाएंगी.लेकिन अगर आपको सुबह देर से उठने की आदत है तो बेहतर होगा इसे आप शादी से पहले ही बदलने की कोशिशकरें. कुछ अच्छी हैबिट्स डालें, अपना रूटीन बदलें, जॉगिंग या स्विमिंग जाना शुरू करें. ये आपको रिफ्रेश औरपॉज़िटिव बनाएगी. अगर आप वर्किंग है तो इसका मतलब ये नहीं कि घर के काम को कम आंकें. शादी से पहले ही घर के कामों में हाथबंटाएं या कुकिंग क्लास जॉइन करें. कुछ नया ट्राई करें, ताकि ससुराल में भी आप अपनी कुकिंग स्किल का कमालदिखा सकें. वैसे भी रिसर्च कहते हैं कि कुकिंग एक थेरेपी है जो आपको क्रीएटिव तो बनाती ही है, साथ ही आपमें हैप्पी व फ़ीलगुड हार्मोन्स भी बढ़ाती है. माना नए रिश्तों के साथ आपकी दिनचर्या बदलेगी, काम, उम्मीदें व जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी, लेकिन अपने लिए थोड़ासमय ज़रूर निकालें. थोड़ा और जल्दी उठ जाएं और सुबह की सैर कर आएं. चाहें तो पति देव को भी साथ ले जाएंया घर कोई ऐसा सदस्य जिसे सुबह वॉक की आदत हो, उसके साथ जाया करें. अगर बाहर जाना फ़िलहाल मुश्किल लगे तो घर पर योगा व प्राणायाम करें. ये आपको न सिर्फ़ दिनभर की ताज़गीऔर ऊर्जा देगा बल्कि स्ट्रेसफ़्री भी रखेगा.बेहतर होगा कि अपने ससुरालवालों को भी इसकी आदत डलवाएं. इससे सबका कनेक्शन भी बेहतर होगा और सबहैप्पी फ़ील करेंगे.अगर आपके ससुराल में लोग ज़्यादा हेल्थ को लेकर अलर्ट नहीं हैं तो आप उनके लिए कुछ हेल्दी बनाएं या उन्हेंइसकी ज़रूरत का एहसास कराएं. उनके लिए डायट व एक्सरसाइज़ चार्ट बनाएं, इससे पॉज़िटिव माहौल बनेगा औरआप भी मानसिक रूप se नई ऊर्जा का अनुभव करेंगी. बहुत ज़्यादा शिकायतें करने से बचें. ये आदत आपको मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है, क्योंकि इससेआपके मन में कुढ़ने की भावना जन्म लेगी. मायके से हर चीज़ की तुलना करके खुद को दुखी न करें वर्ना आप मेंटली एडजेस्ट नहीं हो पाएंगी.ये मानकर चलें कि अब आपका एक और घर हो गया है, जिसे आपको बेहतर बनाना है, धीरे-धीरे आप अपनेअनुरूप यहां भी बदलाव ला सकेंगी, कुछ आपको यहाँ के अनुसार ढलना होगा तो कुछ लोगों को आप अपने अनुसारढाल पाएंगी.बीच का रास्ता ही बेहतर होता है. अपने मन में ज़िद न करके बैठें कि सब कुछ पहले जैसा ही रहना चाहिए आपकीलाइफ़ में, क्योंकि इससे सिर्फ़ रिश्ते बिखरेंगे. मन में ईर्ष्या की भावना को भी जन्म न दें. तारीफ़ सुनने के लिए आपको भी तारीफ़ करने की आदत डालनी होगी. सास या ननद को आप भी कॉम्प्लिमेंट दें. उनकी खूबियों को सराहें. शिकायत करने की आदत न पड़ने दें. अच्छा सोचेंगी तो ज़िंदगी अच्छी और आसान लगेगी. पति को मुट्ठी में करलेनेवाली सोच मानसिक कमज़ोरी दर्शाती है. इससे बचें. सबको जोड़कर रखने के प्रयासों पर ज़ोर दें. ये आपकोअलग ही ख़ुशी और मानसिक बल देगा. इसी तरह ईगो और घमंड को अपने व्यवहार में न आने दें. अगर आपके स्वभाव में ये चीज़ें हैं तो इन्हें वक़्त रहते क़ाबूमें करें. दूसरों के गुणों और सफलता से जलें नहीं. मानसिक रूप से मज़बूत लोग जलने की भावना से दूर रहते हैं, क्योंकिजलन या द्वेष आपको बेहद कमजोर और टूटा हुआ बना देता है.अतीत में जीना छोड़कर आगे की सोचें. आपके मायके में क्या था या आप वहां कितनी खुश थीं इस सोच को लेकरससुराल में न जाएं या न रहें. ये सोचें कि आपको नए रिश्ते और अच्छा घर मिला है, इसलिए इसे अब आपको औरबेहतर बनाना है ताकि आपकी ज़िंदगी व आपसे जुड़े नए लोग भी बेहतर महसूस करें.तोड़ने की बजाय हमेशा जोड़ने की तरफ़ ही प्रयास करने हैं, इस सोच को खुद से कभी दूर न होने दें.भले ही नए घर में कोई आपसे ज़्यादा खुश न हो, लेकिन आपको उनके प्रति भी अच्छी भावना बनाए रखनी है, अपनादिल बड़ा रखें, दिमाग़ खुला रखें. माफ़ करना सीखें. माफ़ करने वाला हमेशा बदला लेनेवाले से बड़ा होता है. बदले की भावना से बचें क्योंकि ये भी मानसिक कमज़ोरी को दर्शाती है. अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तोआपको उसे नादान समझकर माफ़ करना है, इस सोच के साथ खुद को तैयार करें.बेहतर होगा कि कोई हॉबी क्लास जॉइन कर लें, इससे आपको नेगेटिव एनर्जी व नकारात्मक सोच बाहर निकलजाएगी और आप मेंटली फिट व पॉज़िटिव महसूस करेंगी.इस पॉज़िटिविटी का असर आपके रिश्तों पर भी पॉज़िटिव पड़ेगा, वर्ना आप बुझी-बुझी रहेंगी तो रिश्तों की ऊर्जा कोभी ख़त्म होने में समय नहीं लगेगा.हनी शर्मा