रोज़मर्रा की व्यस्त जीवनशैली में हम अक्सर कुछ न कुछ ऐसा खा लेते हैं, जो संतुलित तो बिल्कुल नहीं होता, लेकिन उसे खाने से कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या (Health Problems) ज़रूर खड़ी हो जाती है. न चाहते हुए डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. यदि आप डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते हैं, तो आपके लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि किस बीमारी में क्या खाएं और क्या न खाएं?
क्या खाएं?
– हरी सब्ज़ियां, सोया, मूंग, काला चना, ब्राउन राइस, राजमा और अंडे का स़फेदवाला भाग- ये लो ग्लाइसेमिक इंडेक्सवाली चीज़ें होती हैं, जो शरीर में जाकर धीरे-धीरे ग्लूकोज़ में बदलती हैं.
– प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीज़ें खाएं, जैसे- लोबिया और स्प्राउट्स आदि.
– फलों में चेरी, स्ट्रॉबेरी, सेब, संतरा, अनार, पपीता आदि और सब्ज़ियों में करेला, लौकी, तोरई, कद्दू, खीरा, टमाटर आदि खाएं.
– रोज़ाना एक मुट्ठी मिक्स ड्रायफ्रूट्स ज़रूर खाएं.
– करेला, लौकी, टमाटर, ऐलोवीरा का जूस डायबिटीज़ में बहुत फ़ायदेमंद होता है.
क्या न खाएं?
– गुड़, शक्कर, शहद, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री आदि मीठी चीज़ें न खाएं.
– मैदा, सूजी, स़फेद चावल, स़फेद ब्रेड, नूडल्स, पिज़्ज़ा, बिस्किट्स न खाएं. ये हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्सवाली चीज़ें होती हैं, जो शरीर में जाकर जल्दी-जल्दी ग्लूकोज़ में परिवर्तित होती हैं.
– तली हुई चीज़ें, मक्के का आटा, पैक्ड फूड बिल्कुल न लें.
– आम, चीकू, केला, अंगूर, अनन्नास में ज़्यादा शक्कर होता है, इसलिए इन्हें न खाएं.
– स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर सब्ज़ियां- आलू, अरवी, जिमीकंद, कटहल, शकरकंद, चुकंदर न खाएं, क्योंकि इनमें ग्लूकोज़ अधिक होता है.
क्या खाएं?
– हरी सब्ज़ियां, दालें, स्ट्रॉबेरी, संतरा, केला, सीताफल- इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम होता है.
– सूप, सलाद, खट्टे फल, आड़ू, सोया, नींबू पानी, काला चना, लोबिया खाना बहुत फ़ायदेमंद होता है.
– ओमेगा3 से भरपूर- बादाम, अलसी, फिश ऑयल और अखरोट ज़रूर लें.
क्या न खाएं?
– हाई फैट डायट (मक्खन, घी, मलाई आदि) में सैचुरेटेड फैट होता है, इसलिए इनका सेवन कम करें.
– खाने में नमक की मात्रा कम रखें. टेबल सॉल्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.
– अजीनोमोटो, बेकिंग पाउडर, सॉस, अचार, पैक्ड फूड, बेकरी फूड न खाएं.
क्या खाएं?
– नींबू, कीवी, आंवला, ब्रोकोली, टमाटर, शिमला मिर्च में विटामिन सी अधिक होता है.
– डायट में जौ और चोकर सहित गेहूं के आटे की रोटियां, दलिया, मूंग दाल ज़रूर लें.
– चेरी, खुबानी, शकरकंद, हरी मिर्च, गाजर में बीटा कैरोटिन होता है, इन्हें ज़रूर खाएं.
– प्रोटीन, विटामिन बी और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे- दाल, सोयाबीन, अंडा, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां आदि खाएं.
– भिगोई हुई मूंगफली अस्थमा में बहुत फ़ायदेमंद होती है.
क्या न खाएं?
– तला हुआ भोजन, जंक फूड, पैक्ड फूड, बासी खाना, मक्खन न लें.
– तली हुई मूंंगफली बिल्कुल न खाएं.
– डेयरी प्रोडक्ट्स, खट्टी व ठंडी चीज़ें न खाएं.
– केला, पका हुआ चुकंदर, कटहल, लोबिया आदि न लें.
क्या खाएं?
– कब्ज़ होने पर बिना नमक और बटरवाले पॉपकॉर्न खाएं. कम कैलोरीवाले इस फूड आइटम में फाइबर बहुत अधिक होता है.
– आलूबुखारे में फाइबर के साथ-साथ सोर्बिटोल (विशेष तरह का कार्बोहाइड्रेट) होता है, जो कब्ज़ से राहत दिलाता है.
– सब्ज़ियों की तुलना में बीन्स में दोगुना फाइबर होता है. बीन्स को सब्ज़ी के तौर पर ही नहीं, सूप, पास्ता और पुलाव में भी डालकर खा सकते हैं.
– खुबानी, अंजीर, खजूर और किशमिश में फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं, जो कब्ज़ दूर करते हैं.
– ब्रोकोली, साबूत अनाज, होल गे्रन ब्रेड, पका हुआ केला, फल और फाइबरयुक्त चीज़ें विशेष रूप से खानी चाहिए.
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क्या न खाएं?
– पनीर, आइस्क्रीम आदि डेयरी प्रोडक्ट्स दूध से बने होते हैं और दूध कब्ज़ बढ़ाता है.
– फैट बढ़ानेवाले स्नैक्स, विशेष रूप से पोटैटो वेफर्स, फे्रंचफ्राइज कब्ज़ की समस्या और बढ़ा सकते हैं.
– बेकरी प्रोडक्ट्स, जैसे- कुकीज़, पेस्ट्री और केक न खाएं, क्योंकि इनमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं.
– कच्चा केला, प्याज़, मूली, रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड (व्हाइट राइस, व्हाइट ब्रेड, व्हाइट पास्ता आदि) से कब्ज़ बढ़ता है.
– उड़द दाल, अरवी, बैंगन, मसूर, मैदा से बनी चीज़ें, ठंडा व बासी खाना न खाएं.
क्या खाएं?
– केला, दही-चावल, मूंग दाल खिचड़ी, धुली मसूर या मूंग दाल का सूप, लौकी का रायता जैसी हल्की चीज़ें खाएं.
– ककड़ी, खीरा, तरबूज़, खरबूजा आदि वॉटरी फ्रूट्स ज़्यादा लें.
– पपीता, बेल का मुरब्बा, मीठा सेब, अनार आदि फलों का सेवन करें.
– नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी, लस्सी, गन्ने का रस या फलों का जूस पीएं.
– दही में केला मिलाकर नाश्ते, दोपहर और शाम को खाने से डायरिया में आराम मिलता है.
क्या न खाएं?
– आलू, इमली, बैंगन, अरवी, ब्रोकोली, प्याज़, बीन्स, पत्तागोभी, अचार न खाएं.
– तला, मसालेदार, बासी और गरिष्ठ भोजन खाने से बचें.
– बिना ढकी हुई या बहुत देर से काटकर रखी हुई चीज़ें न खाएं.
– सड़क के किनारे खड़े हॉकर्स या
शादी-पार्टी में पहले से कटा हुआ फ्रूट चाट-सलाद न खाएं.
क्या खाएं?
– सेब, चीकू, पपीता, अंजीर, शहतूत, अनार, कीवी, अंगूर आदि विटामिन सी से भरपूर फल व सब्ज़ियां खाएं.
– सब्ज़ियों में पालक, चुकंदर, ब्रोकोली, लाल शिमला मिर्च, मशरूम, शलगम और गाजर ज़रूर खाएं.
– गुड़ की तासीर गरम होती है, इसलिए गुड़ से बनी हुई चीज़ें खाएं.
क्या न खाएं?
– यदि आपको सर्दी-ज़ुकाम जल्दी-जल्दी होता है, तो दही, पनीर, चीज़ कम खाएं. ये चीज़ें कफ़बढ़ाती हैं. सर्दी-ज़ुकाम सीज़नल प्रॉब्लम है, तो रात को दही न खाएं.
– फ्राइड फूड, मसालेदार खाना, ठंडी चीज़ें, व्हाइट ब्रेड, पास्ता, नूडल्स न खाएं.
क्या खाएं?
– जिन चीज़ों की तासीर गरम हो, वे अधिक खाएं, जैसे- गरम सूप, गरम चाय आदि.
– सिट्रस फल, अनन्नास, अनार, सेब, मौसंबी, बेरीज़, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, सोयाबीन, फलियां ज़्यादा से ज़्यादा खाएं.
– तुलसी, सोंठ, शहद और अदरक का सेवन अधिक करना चाहिए.
क्या न खाएं?
– दूध, बटर, पनीर, फैट बढ़ानेवाले फूड और नॉनवेेज फूड कम खाएं.
– ठंडी चीज़ें खाने से कफ़ बढ़ता है, इसलिए उन्हें अवॉइड करें.
– देवांश शर्मा
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