डायबिटीज़ (diabetes) मैनेज (management) करने के लिए बेहद ज़रूरी है हेल्दी लाइफ़स्टाइल (healthy lifestyle), जिसमें डायट (diet), ट्रीटमेंट (treatment) के…
हम सभी जानते हैं कि बच्चों के लिए भी आज की लाइफ़ स्टाइल काफ़ी तनावपूर्ण हो चुकी है, बढ़ते कॉम्पटिशन के बीच अनहेल्दी खान-पान और दिनचर्या बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को काफ़ी प्रभावित कर रही है. ऐसे में बेहतरहोगा कि बच्चों को हम कुछ बेसिक हेल्दी चीज़ें सिखाएं जिससे उनका शारीरिक विकास भी हो, वो हेल्दी और स्ट्रॉन्ग रहेंऔर इसके साथ ही उनकी मेंटल हेल्थ भी ठीक रहे. यहां हम बच्चों के लिए बेस्ट योगासन बताने जा रहे हैं जो उनकी बोंस, मसल्स को मज़बूती तो देंगे ही, साथ ही उनमें एकाग्रता, आत्मविश्वास बढ़ाकर उनको स्ट्रेस फ्री रखेंगे और अच्छी नींद लानेमें भी सहायक होंगे. वृक्षासन यानी ट्रीपोज़ सीधे खड़े हो जाएं.दोनों हाथों को बग़ल में रखें.दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाएं पैर की जांघ या घुटने के के पास रखें.गहरी सांस लेते रहें. अब अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर लाएं और हथेलियों को एक साथ मिलाकर नमस्कार की मुद्रा में लाएं. रीढ़ गर्दन सीधी रहे. ये बैलेन्सिंग पोज़ है जिससे पैर, रीढ़ मज़बूत होते हैं और संतुलन करना हम सीखते हैं. भुजंगासन पेट के बल सीधे लेट जाएं.दोनों हथेलियों को सीने के पास रखें.दोनों पैर एक-दूसरे को टच करते हुए बिल्कुल सीधे हों.अब दोनों हाथों की हथेली की सहायता से शरीर का आगे का भाग यानी सिर, कंधे व धड़ को ऊपर की ओर उठाएं जैसे सांप का पोज़ होता है. इसी वजह से इसको कोबरा या स्नेक पोज़ कहते हैं.कुछ देर बाद वापस आ जाएं. अपनी क्षमता के हिसाब से करें. त्रिकोणासन सीधे खड़े होकर सांस अंदर लें.दोनों पैरों के बीच 2-3 फीट की दूरी बनाते हुए सांस छोड़ें.दोनों हाथों को ऊपर उठाकर बाईं ओर झुकें.दाएं हाथ से बाएं पैर को छुएं और बाईं हथेली की ओर देखें.थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें, फिर पहलेवाली स्थिति में आ जाएं.दूसरी ओर से भी यही दोहराएं. धनुरासन पेट के बल लेट जाएं.दोनों हाथों को सीधा रखें.दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर लंबी सांस लें और सीने को ऊपर की ओर उठाएं.दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ियों को इस तरह पकड़ें कि धनुष का आकार बन जाएगा.सांस छोड़कर पहलेवाली स्थिति में आ जाएं. सुखासन पालथी मारकर सीधे बैठ जाएं. हाथों को घुटनों के ऊपर रखें.आंखें बंद रखें और सांस सामान्य हो. रीढ़, गर्दन और सिर सीधे हों.मन से सारे विचार निकालकर शांति बनाए रखें. अपनी क्षमता के हिसाब से जितना देर तक बच्चे बैठ सकें बैठने दें. बालासन घुटनों को मोड़कर घुटनों के बल एड़ी पर आराम से बैठ जाएं.टखनों और एड़ियों को आपस में टच कराएं और घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं.सांस अंदर खींचकर आगे की ओर झुकें.जब पेट दोनों जांघों के बीच आ जाए तब सांस छोड़ दें.दोनों हाथों को सामने की तरफ रखें.हथेलियों को ज़मीन से टच होने दें. सिर को भी ज़मीन से टच करते हुए टिका लें. ताड़ासन आराम से खड़े हो जाएं.दोनों पंजों के बीच ज़्यादा फासला न रखें.शरीर का वज़न दोनों पैरों पर समान हो.अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने हाथों को साइड से ऊपर उठाएं. हथेलियां खुली हों.हाथों को सिर के ऊपर उठा ले जाएं.धीरे-धीरे हथेली को, कलाई को, हाथों को, कंधे, सीने व पैरों को भी ऊपर की तरफ़ खींचें और अंत में पैरों के पंजों पर आ जाएं.पूरा शरीर ऊपर की तरफ़ खिंचा हुआ महसूस हो.कुछ क्षण इस स्थिति में रहें.संतुलन बनाए रखना शुरुआत में मुश्किल होगा लेकिन प्रयास करने से बेहतर तारीके से कर पाएंगे.अब धीरे-धीरे पैरों की एड़ियों को ज़मीन पर रखते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं. नटराजासन…
एक वक़्त था जब मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अब एकदम अनजान थे. न उस पर कभी बात होती थी, न हीकभी विचार-विमर्श, क्योंकि हमें ये ग़ैर ज़रूरी लगता था. लेकिन वक़्त बदलने के साथ ही थोड़ी जागरूकता आती गई, लेकिन फिर भी अन्य देशों के मुक़ाबले हम आज भी पीछे हैं. डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु.…
हार्ट फेलियर धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है. इसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. इसका मतलब यह नहीं है…
हमारा स्वास्थ्य काफ़ी हद तक पेट और आंतोंके स्वास्थ्य से संबंध रखता है, लेकिन आजकल हमारी लाइफ़स्टाइल और हमारा खानपान ऐसा हो चुका है कि पेट संबंधी कई तकलीफ़ें अब आम हो चुकी हैं, जैसे- गैस, एसिडिटी और पाचन संबंधी परेशनियां और जब ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं तो गंभीर रूप औरअन्य रोगों को हुई जन्म देती हैं, जैसे- फ़ैटी लिवर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और जब इन समस्याओं का समय पर इलाज नहींहो पाता तो ये और गंभीर होकर डायबिटीज़ टाइप 2 और हृदय रोगों ke जन्मों का कारण बन जातीं हैं. इनसे बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप अपनी ज़रूरत अनुसार अपनी लाइफ़स्टाइल और डायट चेंज करें ताकि आपकापेट और पाचन रहे फिट, हेल्दी और गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से मुक्त! इसलिए गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से ग्रसित रोगियों को उनकी स्थिति और व्यक्तिगत परिस्थितियों केअनुसार, आहार और जीवनशैली की में बदलाव की आवश्यकता होती है, जो एक्सपर्ट अड्वाइस से ही संभव है. डॉ. रमेश गर्ग, सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट इस संदर्भ में दे रहे हैं ज़रूरी जानकारी- पूरे भारत में गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधीसमस्याएं काफ़ी व्यापक हैं, जिसकी मुख्य वजह है- इनएक्टिव लाइफ़स्टाइल यानी गतिहीन जीवनशैली और अनहेल्दीडायट! इनसे निपटने का एक ही तरीक़ा है- दवाओं व इलाज के साथ-साथ डायट में बदलाव और एक्सरसाइज़, जिनमेंइस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि भारत भिन्नता का देश है, आपकी भौगोलिक स्थिति, जलवायु, मौसम, खान-पान, रहन-सहन आदि इसमें बड़ी भूमिका अदा करते हैं! इसलिए लाइफ़स्टाइल और डायट में बदलाव के लिए ये 6 तत्व हैं बेहदमहत्वपूर्ण- खाना कितनी मात्रा में और कितनी बार खाया जाए: ये हर किसी की व्यक्तिगत ज़रूरत पर निर्भर करता है लेकिन जिन्हेंपेट और आंत संबंधी समस्या है वो 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं और हाई बीपी से हो ग्रसित हैं वो दिन में 3 बार खाना खाएंजिससे एसिड का अधिक निर्माण और स्राव संतुलित हो. खाना बनाने का तरीक़ा: जी हां, आप खाने को उबालते हैं, स्टीम करते हैं या तलते हैं- ये तमाम बातें प्रभावित करती हैं. जैसेडीप फ़्राई यानी तला हुआ खाना डायबिटीज़, फ़ैटी लिवर और क़ब्ज़ से परेशान लोगों को अवॉइड करना चाहिए. इसकेअलावा सब्ज़ियों को अगर बिना छीले पकाया जाए तो वो सबसे बेहतर है क्योंकि धोने और साफ़ लेने के बाद बिनाछिलका निकाले उन्हें पकाया जाए तो हेल्दी होता है क्योंकि छिलके पोषण और फाइबर का बेहतरीन स्रोत होते हैं जिससेआंतों का स्वास्थ्य भी बना रहता है. …
हेल्दी भला कौन नहीं रहना चाहता और यह ज़रूरी भी है, लेकिन हेल्दी रहने के लिए बेहद ज़रूरी है कि…
हेल्दी रहना भले ही आज के दौर में इतना आसान नहीं लेकिन छोटी-छोटी कोशिशें बड़े रंग ला सकती हैं. आप…
विटामिन डी के कई लाभ हैं- हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मज़बूती देने से लेकर इम्यूनिटी बढ़ाने तक में ये लाभकारीहै. सबसे अच्छी बात तो यह है कि हमारा शरीर धूप के द्वारा खुद ही विटामिन डी का निर्माण कर सकता है. लेकिनआजकल की लाइफ़स्टाइल और कम फ़िज़िकल एक्टिविटी के चलते हमें सूरज की रोशनी पर्याप्त रूप में नहीं मिल पाती. इसके अलावा और भी कई तरह की रुकावटें आती हैं जिनमें से बढ़ती उम्र भी एक है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ हीविटामिन डी का निर्माण कम होने लगता है. इसके अलावा वायु प्रदूषण जो कि भारत में बहुत ज़्यादा है वो भी हमारे औरसूरज की रोशनी के बीच रुकावट का काम करता है और फिर सर्दियों में तो वैसे ही विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है. इसीलिए भले ही भारत गर्म प्रदेशों में आता है लेकिन भारतीयों में विटामिन डी की कमी काफ़ी पाई जाती है. डॉक्टर संजीव गोयल द्वारा की गई एक स्टडी में पाया गया कि 76% भारतीय आबादी में विटामिन डी की कमी है, जिनमेंसे 18-30 वर्ष के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं, लगभग 82.5%. इस शोध पर एबॉट के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर श्रीरूपा दास ने कहा है कि शोध से ये बात साफ़ हो जाती है कि सिर्फ़उम्रदराज़ लोगों में ही नहीं, युवाओं में भी विटामिन डी की कमी सोचनीय है. ये एक तरह से लोगों की सेहत के साथ जोखिमवाली बात है. विटामिन डी की कमी हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, ऑस्टीओपरोसिस व अन्य हड्डियों से जुड़े रोगों को जन्म दे सकती है. ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि विटामिन डी के महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई जाए ताकि हर कोई इसमहत्वपूर्ण पोषक तत्व को प्राप्त करने की दिशा में क़दम उठा सके और स्वस्थ रह सके. यहां कुछ बेहद आसान टिप्स हैं जिन पर आप फ़ौरन अमल करके विटामिन डी का स्तर बढ़ाने की दिशा में क़दम उठासकते हैं. 1. सूर्य के प्रकाश में अधिक समय बिताएं सबसे पहला समाधान यही है कि सूरज की रोशनी में अधिक देर तक रहें लेकिन ये भी ज़रूरी है कि आप सही समय परधूप लें जिससे सबसे अधिक लाभ मिले. दोपहर के समय 35-40 मिनट की सीधी धूप सबसे बेहतर होगी. आप अपनी छतया बाल्कनी का उपयोग कर सकते हैं, वो भी अपना लैपटॉप लेकर आप वहां काम भी जारी रख सकते हैं जिससे माहौल मेंभी बदलाव महसूस होगा... या आप ख़ाली समय में वहां कोई बुक पढ़ सकते हैं और इस तरह से आसानी से अपनी सेहतकी ज़रूरतों का भी ख़्याल रख सकते हैं. 2. बाहरी गतिविधियों को तवज्जो दें आजकल की लाइफ़स्टाइल ने शारीरिक गतिविधियों को कम कर दिया है और इसी वजह से विटामिन डी का स्तर कम होरहा है और मोटापा भी बढ़ रहा है. नियमित रूप से वॉक, साइकल, योगा या अन्य कसरत करने से ना सिर्फ़ धूप के संपर्कमें अधिक रहेंगे बल्कि बनाने भी नियंत्रण में रहेगा और सेहत भी बनी रहेगी. हालाँकि आज जब लोग घर से काम कर रहे हैं और कम्प्यूटर व ऑनलाइन ही सारी मीटिंग्स होती हैं तो बाहर जाना इतनाआसान भी नहीं, इसलिए यहां कुछ विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ हम दे रहे हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. 3. अपनी ग्रोसरी शॉपिंग लिस्ट में इन पदार्थों को शामिल करें विटामिन डी के बेहतरीन स्रोत हैं ये- सालमन, टूना और सर्ड़िन जैसी मछलियां, कॉड लिवर ऑइल और झींगा. ये तमामपदार्थ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भी भरपूर हैं. शाकाहारी लोगों को भी परेशान होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि मशरूम औरचीज़ भी विटामिन डी से भरपूर होते हैं. 4. अपने डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें ताकि आप सही दिशा की ओर बढ़ सकें …
जैसे-जैसे हम तऱक्क़ी करते जा रहे हैं, वैसे-वैसे उसकी क़ीमत भी चुका रहे हैं. औद्योगिक विकास हो या फिर तकनीकी,…
हमारा स्वास्थ्य काफ़ी हद तक हमारे पेट और पाचन तंत्र से जुड़ा रहता है, इसलिए हेल्दी रहने के लिए पाचन तंत्र औरमेटाबॉलिज़्म का सही और हेल्दी रहना बेहद ज़रूरी है. कैसे रखें अपने पाचन तंत्र का ख़्याल आइए जाने. हो सही शुरुआत: जी हां, दिन की शुरुआत सही होगी तो पूरा दिन सही होगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी. सही शुरुआत केलिए हेल्दी और पौष्टिक नाश्ता ज़रूरी है. नाश्ता पौष्टिक होना ज़रूरी है- फल, ड्राई फ़्रूट्स, दलिया, उपमा, पोहा, कॉर्नफ़्लेक्स, दूध, फ़्रूट जूस, अंकुरित अनाज,दालें, अंडा, पराठे, दही आदि. पौष्टिक नाश्ता आपका दिनभर संतुष्ट रखताऔर इससे पाचन तंत्र संतुलित रहता है. ये दिनभर की ऊर्जा प्रदान करता है. एसिडिटी से राहत दिलाता है, क्योंकि अगरआप नाश्ता नहीं करते हैं, तो ऐसिड बनने लगती है, जो काफ़ी तकलीफ़ देती है. हेल्दी डायजेशन के लिए प्रोबायोटिक्स ज़रूरी है: क्या आप जानते हैं कि बैक्टीरिया भी हेल्दी और अनहेल्दी होते हैं. हेल्दीबैक्टीरिया पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं और पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. हेल्दी बैक्टीरिया आपको प्रोबायोटिक्स सेमिलते हैं. आप प्रोबायोटिक्स के प्राकृतिक स्रोतों को भोजन में शामिल करें. दही, ख़मीर वाले प्रोडक्ट्स, छाछ व रेडीमेडप्रोबायोटिक्स ड्रिंक्स का सेवन करें. स्ट्रेस से दूर रहें: स्ट्रेस यानी तनाव पूरे शरीर व ख़ासतौर से पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इससे गैस, ऐसिडिटी, क़ब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है. तनाव के कारण पेट में ब्लड व ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिससेपेट में ऐंठन, जलन जैसी समस्या होने लगती है, साथ ही पेट में मैजूद हेल्दी बैक्टीरिया में भी असंतुलन आने लगता है. इसके अलावा तनाव से नींद भी नहीं आती और नींद पूरी ना होने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता. प्रोटीन रिच फूड खाएं: ये मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है. प्रोटीन के लिए आप पनीर, चीज़ व अन्य डेयरी प्रॉडक्ट्स शामिल करसकते हें. इसके अलावा अंडा, चिकन, फिश भी प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं और ये मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाते हैं. सेब, केला और पपीता ज़रूर खाएं: सेब में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं. सेबफाइबर का अच्छा स्रोत भी है और गुड बैक्टीरिया को पनपाने में भी मदद करता है. पपीते में विटामिन ए, बी और सी औरकई तरह के एन्ज़ाइम्स होते हैं, जो खाने को डायजेस्ट करने में मदद करते हैं. रिसर्च बताते हैं कि पपीता खाने सेडायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है. केले में फाइबर और पेक्टिन भरपूर मात्रा में होता है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिएबहुत फायदेमंद होता है. डायट में फाइबर शामिल करें: भोजन में फाइबर जितना ज़्यादा होगा पेट उतना ही स्वस्थ होगा क्योंकि आपको क़ब्ज़ कीसमस्या नहीं होगी. फाइबर कोलोन की कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है और पेट साफ़ रखता है. अपने भोजन में साबूतअनाज, दालें, गाजर, ब्रोकोली, नट्स, छिलके सहित आलू, मकई, बींस व ओट्स को शामिल करें. अदरक का सेवन करें: अदरक पेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. यह पाचन को बेहतर करता है. अदरक के टुकड़ेकरके ऊपर से नींबू का थोड़ा सा रस डालें और भोजन के साथ खाएं. आपका हाज़मा बेहतर होगा. अपच की समस्या नहीं होगी. लहसुन मेटाबॉलिज़्म को बूस्ट करता है: लहसुन को भी डायट में शामिल करें. यह ना सिर्फ़ मेटाबॉलिज़्म को बेहतर करता है बल्कि वज़न कम करने में भी सहायक है और हार्ट को भी हेल्दी रखता है. जीरा भी है बेहद हेल्दी: जीरा आंतों को और गर्भाशय को भी साफ़ रखता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जीरा भूख भीबढ़ाता है और पेट संबंधी कई समस्याओं से राहत दिलाता है. ग्रीन टी है मेटाबॉलिज़्म बूस्टर: जी हां, ग्रीन टी ज़रूर लें इससे पाचन बेहतर होता है. यह मेटाबॉलिज़्म बूस्टर मानी जाती हैऔर वज़न भी कम करती है. साबूत अनाज और बींस: यह पाचन तंत्र को ठीक रखने में सहायक होते हैं. क़ब्ज़ से बचाते हैं और पेट संबंधी कईसमस्याओं से राहत दिलाते हैं. इसी तरह बींस में भी फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर करता है. बींस से गुड़बैक्टीरिया भी बढ़ते हैं और कब्ज़ की समस्या भी नहीं होती. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां: ये प्रोटीन व आयरन का भी अच्छा सोर्स मानी जाती हैं और विटामिंस से भरपूर होती हैं. साथ ही साथये पेट को व पाचन तंत्र को हेल्दी रखती हैं. ये फाइबर का बेहतर स्रोत होती हैं, इनमें ख़ासतौर से पालक और गोभी में कईपोषक तत्व- फोलेट, विटामिन ए, सी और के होता है. शोध बताते हैं कि हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में एक ख़ास तरह का शुगरहोता है जो आंतों के हेल्दी बैक्टीरिया (गट बैक्टीरिया) के निर्माण को बढ़ाता है. रसीले व मौसमी फल व ड्राई फ़्रूट्स खाएं: फल पेट को हेल्दी रखते हैं. क़ब्ज़ की समस्या नहीं होने देते. फाइबर से भरपूरहोते हैं. ड्राई फ़्रूट्स भी फाइबर से भरपूर होते हैं और आंतों को हेल्दी रखते हैं. हाल ही के रिसर्च से पता चला है कि प्रूनयानी सूखा आलूबखारा आंतों, मुंह और वजाइना में पाया जानेवाला ख़ास क़िस्म का बैक्टीरिया के निर्माण में सहायकहोता है जिससे पाचन तंत्र भी मज़बूत होता है. इसी तरह से खजूर भी पेट के लिए काफ़ी हेल्दी माना जाता है. हाईड्रेटेड रहें: पानी ख़ूब पिएं क्योंकि यह ज़हरीले तत्वों को बाहर करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. शरीर मेंपानी व नमी की कमी ना होने पाए. नींबू पानी, नारियल पानी या ताज़ा फल व सब्ज़ी का जूस भी लें. एक्टिव रहें, एक्सरसाइज़ व योगा करें: रोज़ाना 30 मिनट एक्सरसाइज़ करें, वॉक करें, एक्टिव रहें. लिफ़्ट की बजायसीढ़ियों का इस्तेमाल करें. योगा भी कर सकते हैं. साइक्लिंग, स्विमिंग भी कर सकते हें. यह रूटीन आपकी मांसपेशियोंको लचीला बनाएगा और पाचन को बेहतर. वरना शारीरिक गतिविधियों की कमी से क़ब्ज़ जैसी समस्या होने लगेगी.…
हेल्दी तो हम सभी रहना चाहते हैं लेकिन कुछ छोटे छोटे सूत्र हैं जिन पर हम ध्यान ही नहीं देते, अगर ये सूत्र और सीक्रेट हमसमझ जाएँ तो हेल्दी रहना आसान हो जाए. आइए जानते हैं इन्हीं सीक्रेट सूत्रों को- सकारात्मक रहें और अपना महत्व समझें. खुद पर ध्यान देना ज़रूरी है इस तथ्य को समझ लें.दूसरों के लिए जीना अच्छी सोच है लेकिन उससे पहले खुद के लिए जीना सीखें.आप हेल्दी रहेंगे तभी तो दूसरों के लिए भी कुछ कर पाएँगे.हाईड्रेटेड रहें ताकि शरीर में पानी व नमी की कमी ना हो. पानी ज़हरीले तत्वों को बाहर करता है और पाचन क्रियाको बेहतर बनाता है.फ़िज़िकली एक्टिव रहें. एक्सरसाइज़ व योगा करें. आप भले ही कितना भी हेल्दी खा लें पर जब तक शरीर कोक्रियाशील नहीं रखेंगे तब तक कहीं न कहीं कोई कमी रह ही जाएगी. रोज़ाना कम से कम आधा घंटा कसरत करें. जॉगिंग और वॉकिंग करें.लिफ़्ट की बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. यह रूटीन आपकी मांसपेशियों को लचीला बनाएगा और पाचन कोबेहतर. ध्यान और योगा भी कर सकते हैं. मेडिटेशन से ब्रेन में हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होते हैं और एक नई ऊर्जा का एहसासहोता है.ध्यान रहे फ़िज़िकल एक्टिविटी की कमी से क़ब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है. हेल्दी खाना खायें. अपने दिन की शुरुआत पोषण भरे नाश्ते से करें. भले ही लंच ठीक से ना करें लेकिन नाश्ता अच्छी तरह और हेल्दी करेंगे तो फ़ैट्स से बचेंगे.रिसर्च बताते हैं कि जो लोग नाश्ता करते हैं उनका एनर्जी लेवल अधिक होता है और वो दिनभर ऐक्टिव बने रहते हैं.जंक फूड से बचें. हेल्दी खाना खाएँ. मंचिंग के लिए भी हेल्दी ऑप्शन पर ध्यान दें. फ़्राइड सनैक्स की बजाए ड्राई फ़्रूट्स, बेक्ड फ़ूड रखें.स्ट्रेस ना लें, क्योंकि तनाव पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इस से गैस, ऐसिडिटी, क़ब्ज़ जैसी समस्या होसकती है.स्ट्रेस के कारण पेट में रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिससे पेट में ऐंठन, जलन जैसी समस्या होनेलगती है, साथ ही पेट में मैजूद हेल्दी बैक्टीरिया में भी असंतुलन आने लगता है. शराब व कैफेन का सेवन कम करें क्योंकि यह भीतर से शरीर को ड्राई और डीहाईड्रेट करते हैं.अपने भोजन में साबूत अनाज, गाजर, ब्रोकोली, नट्स, मकई, बींस, ओट्स, दालें व छिलके सहित आलू को शामिलकरें.मौसमी फल खाएँ और अपने खाने में हर रंग की फल-सब्ज़ियाँ शामिल करें.दही व छाछ का सेवन करें, क्योंकि इनमें हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं जो पेट और आँतों को स्वस्थ रखते हैं.पनीर का सेवन करें क्योंकि यह वज़न को भी नियंत्रित रखने में कारगर है.हफ़्ते में एक या दो दिन अपनी क्रेविंग्स के लिए रखें. मनपसंद कुछ खाएँ क्योंकि अगर आप बहुत ज़्यादा स्ट्रिक्टडायट करते हो तो बहुत ज़्यादा समय तक उसको फ़ॉलो कर पाना बेहद मुश्किल है.हेल्दी सूप को अपने डायट का हिस्सा बनाएँ. किचन में मौजूद मसाले भी बहुत हेल्दी होते हैं , काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, इलाइची,धनिया आदि को खाने में शामिल करें. अगर गले में ख़राश या सिर में दर्द हो तो चटकीभर दालचीनी पाउडर को पानी के साथ लें. यही नहीं दालचीनी वज़नभी कम करती है. इसे सलाद या दही में मिलाकर ले सकते हैं. यह मुँहासों को भी कम करता है. दालचीनी पाउडर कोपानी में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और अप्लाई करें.अगर कफ़ की समस्या हो तो सरसों के तेल में लहसुन और सेंधा नमक मिलाकर गुनगुना करें और सीने पर मालिशकरें.वज़न को नियंत्रण में रखें क्योंकि बढ़ता वज़न कई बीमारियों को जन्म देता है. हार्ट से लेकर ब्लड प्रेशर औरडायबिटीज़ तक जैसी समस्याएँ बढ़ते वज़न के कारण हो सकती हैं.वज़न कम करने के लिए छोटे गोल्स सेट करें और धैर्य ना खोएँ.वज़न कम करने में नींबू और शहद बेहद कारगर हैं. गुनगुने पानी में रोज़ सुबह खाली पेट सेवन करें.स्पोर्ट्स, स्विमिंग या डांस क्लास से जुड़ सकते हैं.अपने शौक़ को ज़रूर पूरा करें, उन्हें मरने ना दें, क्योंकि यही शौक़ आपको जीवंत बनाए रखते हैं.पर्सनल हाइजीन से लेकर ओरल हाइजीन तक के महत्व को समझें और उनपर ध्यान भी दें. हेल्दी सोशल लाइफ़ मेंटेन करें, क्योंकि इससे आपको अकेलापन और डिप्रेशन नहीं होगा. लोगों की मदद करें यहआपको बेहतर महसूस कराएगा.पार्टी करें, दोस्तों से मिलें और रिश्तों में इंवेस्ट करें.धोखा ना दें क्योंकि यह आपमें अपराधबोध की भावना को जन्म देगा और आप भीतर से अनहेल्दी मेहसूस करेंगे.ज़िम्मेदारी लेना सीखें, यह आपमें आत्मविश्वास बढ़ाएगा.नींद पूरी लें, यह आदत आपको कई तरह के तनावों से बचाएगी और साथ ही दिनभर ऊर्जावान रखेगी. साथ ही यहडिप्रेशन जैसी नकारात्मक भावनाओं से भी आपका बचाव करती है.ओवर ईटिंग और ओवर स्लीपिंग से भी बचें, ये आपको अनहेल्दी बनाती हैं.बहुत ज़्यादा टीवी ना देखें, यह आपको आलसी और इनएक्टिव तो बनाएगा ही साथ ही रिसर्च बताते हैं कि ज़्यादाटीवी देखने वालों की लाइफ़ कम होती जाती है. इसी तरह मोबाइल और बहुत ज़्यादा सोशल साइट्स पर भी ना बने रहें. ये आपके रिश्तों की सेहत के लिएहानिकारक है जिसका असर आपने शरीर पर भी पड़ता है.कुकिंग थेरेपी आज़माएँ. रिसर्च के अनुसार जब आप खुद खाना बनाते हैं तो स्ट्रेस कम होता है, आप बेहतर महसूसकरते हैं, क्रिएटिव बनते हैं और हेल्दी रहते हैं.नए दोस्त बनाएँ और हो सके तो पेट्स रखें. ये आपको खुश और हेल्दी रखने में मदद करते हैं.खुश होने का मौक़ा ना छोड़ें. बड़ी चीज़ों की बजाए छोटी छोटी चीज़ों में ख़ुशियाँ देखें. यह आपको सकारात्मकबनाती है और मन के संतोष को दूर करती हैं.ये तमाम बातें आपको पहले से ही पता होती हैं लेकिन कमी सिर्फ़ जज़्बे की होती है. बेहतर होगा बिना देर किएआज से ही हेल्दी लाइफ़ के इन सीक्रेट और सूत्रोंको अमल में लाया जाए. सरस्वती शर्मा यह भी पढ़ें: हेल्थ अलर्ट- मास्क पहनते समय इन…
फिटनेस प्रोजेक्ट: घी खाएं बिना डरे, बिना शंका व अपराधबोध के... रुजुता दिवेकर का फिटनेस मंत्र (Eat Ghee Without…