1. आदत- शायद ही कोई पुरुष हो, जिसे अपनी आदत को लेकर किसी भी तरह का कमेंट सुनना या भाषणबाज़ी व उपदेश सुनना पसंद आता हो. इस मामले में अधिकतर पुरुषों का एक ही जवाब रहता है कि ‘ऐसा ही हूं मैं’… यानी आप इसे अपना लो या फिर हंसते-रोते झेलो. आदत में बहुत कुछ हो सकता है, जैसे- खानपान की आदत, मज़ाक करने की आदत, बेवजह ग़ुस्सा हो जाना या फिर शॉर्ट टेंपर, शंकालु प्रवृत्ति, छोटी-छोटी बातों को तूल देना, बिना बात लड़ाई-झगड़ा करना, ओवर प्रोटेक्टिव होना, केयरिंग, साफ़-सफ़ाई को अनदेखा करना, दोस्तों के साथ व़क्त-बे़क्त घूमना आदि.
एक्सपर्ट सलाह- ऐसा नहीं है कि उनको अपनी ग़लत आदतों से होनेवाले फ़ायदे-नुक़सान का पता नहीं होता है, उन्हें सब मालूम होता है, बस मेल ईगो और आलस के चलते वे अपनी आदतें नहीं बदलते. इनकी बुरी आदतें बदलने का एक ही तरीका है धैर्य और समझदारी से काम लें.
2. दोस्त- पुरुषों को, ख़ासकर पतियों को पत्नियों का उनके दोस्तों के मामले में दख़लअंदाज़ी करना बिल्कुल पसंद नहीं आता. ‘आपका वो दोस्त सही नहीं है…’ ‘आप अपने उस दोस्त से अधिक मेल-जोल न रखें…’ पत्नियों की इस तरह की बातें पतियों को नागवार गुज़रती हैं. दरअसल, पुरुष ही नहीं, स्त्रियों की ज़िंदगी में भी उनके दोस्तों के लिए ख़ास जगह होती है. कुछ दोस्त तो इतने ख़ास व राज़दार होते हैं कि पैरेंट्स, पत्नी या फिर पति भी उनकी जगह नहीं ले सकते. इसलिए कोई भी पुरुष अपने अज़ीज़ दोस्तों को लेकर दख़लअंदाज़ी पसंद नहीं करता.
एक्सपर्ट सलाह- बचपन से लेकर बड़े होने तक पुरुषों के जीवन में उनके दोस्त बेहद अहम् भूमिका निभाते हैं. वे उनसे अपने कई अनकहे दुख-दर्द, इच्छाएं व ख़्वाबों को शेयर करते हैं, जो वे पैरेंट्स या अपनों से नहीं कह पाते. इसलिए वाजिब-सी बात है कि ऐसे हमदर्द को लेकर दख़लअंदाज़ी उन्हें रास नहीं आएगी. अतः जहां तक हो सके, इस मैटर को स्मार्टली हैंडल करने की कोशिश करें, पर बेवजह अधिक तूल न दें.
3. लुक्स- पुरुषों के लुक्स को लेकर बातें करना, राय देना या फिर कमेंट करना उन्हें आहत कर जाता है. उनकी सोच के अनुसार तन से ज़्यादा उनके मन को तवज्जो दिया जाना चाहिए. वैसे भी व़क्त के साथ चेहरा-स्वभाव आदि बदलता रहता है. करियर, नौकरी, घर-परिवार की ज़िम्मेदारी कई बार पुरुषों को व़क्त से पहले उम्रदराज़ बना देती है.
एक्सपर्ट सलाह- लुक्स बेहद सेंसिटिव पहलू है. इसे लेकर दख़लअंदाज़ी या कमेंट स्त्रियों को तो बुरा लगता ही है, पर पुरुष भी इससे अछूते नहीं है. वे अपने लुक्स से अधिक अपनी बुद्धिमानी, समझदारी और हिम्मत को अधिक महत्व देते हैं. इसलिए उनके साथ डील करते समय अतिरिक्त ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
4. आलोचना- पुरुषों का एक वर्ग ऐसा भी है, जिन्हें लगता है कि आलोचना करने का
कॉपीराइट उनके पास ही है. यदि भूले से भी पत्नी, प्रेमिका या फिर किसी और ने ही किसी बात को लेकर उनकी आलोचना कर दी, उनके काम पर कमेंट किया, तो इस तरह की दख़लअंदाज़ी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती. कमेंट करने पर उनके ईगो व भावनाओं को चोट पहुंचती है. उस पर ग़लती से कमेंट्स पैरेंट्स या फिर घर की आर्थिक स्थिति को लेकर हो जाए, तो मूड और माहौल को बिगड़ते देर नहीं लगती.
एक्सपर्ट सलाह- मेल डॉमिनेटिंग सोसाइटी होने के कारण लड़कों की परवरिश ही कुछ ऐसी होती है कि वे कह तो बहुत कुछ सकते हैं, पर सुन नहीं सकते. उस पर आलोचना, तो कतई नहीं बर्दाश्त कर सकते. अतः यह ज़रूरी है कि उनसे तोल-मोल कर बोलें.
5. शौक़- हर व्यक्ति के अपने कुछ शौक़ होते हैं. पार्टनर या फिर किसी और का उनकी हॉबीज़ को लेकर दख़ल देना और यह कहना कि यह ठीक नहीं, इसे बदल दो, कुछ और करो, क्या यह ज़रूरी है कि तुम इस तरह के शौक़ पालो… इस तरह की बातें पुरुषों के मन में उस शख़्स को लेकर चिढ़ पैदा कर देती हैं. कोई भी पुरुष अपने शौक़ के साथ समझौता करना पसंद नहीं करता. उनके अनुसार, यही तो उनके ज़िंदगी को मस्ती में जीने का सबसे बड़ा ज़रिया है व आप उसी पर आरी चलाएंगे, तो कैसा लगेगा?
एक्सपर्ट सलाह- कहते हैं, एक मुकम्मल ज़िंदगी जीने के लिए कुछ मज़ेदार, तो कुछ अजीबो-गरीब शौक़ का होना बेहद ज़रूरी है. पुरुष वर्ग में शायद ही कोई हो, जो अपने शौक़ से समझौता करता हो. इसलिए बेहतरी इसी में है कि इसमें दख़लअंदाज़ी न की जाए, क्योंकि वे तो नहीं बदलेंगे, पर इसे लेकर मनमुटाव ज़रूर हो जाएगा.
– ऊषा गुप्ता
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