कविता- हर बार मेरा आंचल तुम बनो… (Poetry- Har Baar Mera Aanchal Tum Bano…)

हूं बूंद या बदली या चाहे पतंग आसमान तुम बनो हूं ग़ज़ल या कविता या कोई छंद अल्फ़ाज़ तुम बनो हूं सुबह या सांझ या…

हूं बूंद या बदली या चाहे पतंग आसमान तुम बनो

हूं ग़ज़ल या कविता या कोई छंद
अल्फ़ाज़ तुम बनो

हूं सुबह या सांझ या रात की पहर
वक़्त के साथ तुम रहो

हूं धुंध या कुहासा या ओस सुबह की
आफ़ताब तुम बनो

हूं धारा या नदी या कोई लहर
किनारा तुम बनो

हूं दर्द या आंसू या कोई भी ग़म
सहारा तुम बनो

हूं पौष या आषाढ़ या कोई भी माह
सावन तुम बनो

हूं मेहंदी या सिंदूर या बिंदिया कोई
हां, हर बार मेरा आंचल तुम बनो…

– नमिता गुप्ता ‘मनसी’

यह भी पढ़े: Shayeri

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Published by
Usha Gupta

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