रंग-तरंग- फिर भी हैप्पी न्यू ईयर… (Rang-Tarang- Phir Bhi Happy New Year…)

पिछले तीन साल भुगत चुका हूं. अब मैं किसी को नए साल के लिए हैप्पी न्यू ईयर का अभिशाप नहीं देनेवाला. साल 2021 में मुझे लोगों ने हैप्पी न्यू ईयर की बद्दुआ दी थी. 14 अप्रैल को कोरोना ने मुझे धर दबोचा.

आप सबको हफ़्ते भर पहले कैसे मालूम हो जाता है कि आनेवाला साल हैप्पी होने जा रहा है? हम बाइस साल की उम्र तक गांव में रहे. इस दौरान कभी नए साल को हैप्पी होकर आते नहीं देखा! एक जनवरी को भी दुखीराम हैप्पी होने की जगह रुआंसे ही नज़र आते थे, “का बताई भइया, गेहूं तौ ठीक है, लेकिन सरसों मा माहू (कीट) लाग गवा.”
ये कमबख्त माहू को भी यही खेत मिलता है. हर साल दुखीराम के खेत में घुस जाता था. बगल पांचू लाला की दूकान में माहू कभी नहीं लगा. पांचू लाला तांगा लेकर गेहूं ख़रीदने गांव-गांव घूमते थे. जब वो लाला से सेठ हो गए, तो गांव ख़ुद पांचू लाला के पास जाने लगा. दुखी राम की लाइफ में नया साल कभी हैप्पी नहीं हुआ. उसकी और पांचू सेठ के घोड़े की कुंडली एक जैसी थी. दोनों अपने-अपने दुर्भाग्य को ढोने में लगे थे. घोड़ा पांच साल में मरा और दुखीराम पचास साल में. सुविधा भोगी संत और विचारक कहते हैं कि परिश्रम करने से आदमी महान हो जाता है. दुखीराम दिन के बारह घंटे फावड़ा चला कर भी पचास साल में महान नहीं हो पाए. पांचू सेठ विधवा आश्रम खोलकर पांच साल में महान हो गए. आदमी होने से महान होना कहीं ज़्यादा आसान है.
ज़माना कितना बदल गया. लोग सांताक्लाज को भी लूट लेते हैं, जो कभी नियति के हाथों लूटे आदमी के आंसू पोछता था. फरवरी 2020 से कोरोना स्वच्छ भारत आभियान में लगा हुआ है. तब से बुद्धिलालजी फेस मास्क लगाकर गुटखा खाते हैं. वो एक कवि हैं. कोरोना काल कवियों के लिए किसी पतझड़ से कम पीड़ादायक नहीं रहा. ‘दो गज की दूरी मास्क ज़रूरी’ का अर्थ अब जाकर समझ में आया. बहादुर शाह ज़फ़र का एक शेर है- दो गज ज़मीन भी न मिली कूचे यार में… दो गज का नारा कब्र (मौत) के लिए है.
कोरोना कहता है- मास्क ख़रीद कर पहनो, नहीं तो कब्र में जाना तय है.
मौलाना साहब ये नहीं बता रहे कि कोरोना से वीरगति को प्राप्त होने पर जन्नत मिलेगी या दोजख. कोरोना को कॉरपोरेट देवताओं ने मास्क का ब्रांड एंबेसडर बनाकर अरबों डॉलर कमाए. ज़िंदा लोग सदियों से मुर्दों का कारोबार संभालते आए हैं. बहुत से विद्वान तो कोरोना को पूज्यनीय बनाना चाहते थे, पर इस असमंजस में आस्था दिग्भ्रमित थी कि वो’ स्त्रीलिंग में आता है या पुलिंग में. ताली,थाली और गाली में से जाने उसे क्या सूट करता है.

यह भी पढ़ें: रंग-तरंग- अथ मोबाइल व्रत कथा (Satire Story- Ath Mobile Vrat Katha)

सही बोलूं, तो कोरोना जैसी महान उपलब्धि के सामने मंदिर-मस्जिद का राग भी छोटा पड़ गया था. इससे दुखी होकर कुछ महापुरुषों ने कोरोना का पीछा किया और जमातीयों में उनका डीएनए ढूंढ़ लिया. आंख और मुंह से गांधीजी का बंदर बन चुकी देश की मीडिया को भी मरकज और जमाती साक्षात कोरोना बम नज़र आने लगे थे.
जमातियों की शक्ल में कुछ लोगों को कोरोना के फूफा नज़र आने लगे थे. कोरोना लाइलाज़ था, लेकिन फूफाजी का इलाज था. पुलिस जमातियो को पकड़-पकड़ कर थाने ले जाने लगी. फिर पुलिसवालों ने गुहार लगाई कि फूफाजी बिरयानी मांग रहे हैं. बिरयानी खिलाई गई, तो पुलिसवालों ने बयान दिया कि फूफाजी थाली में थूक रहे हैं. (गमीमत थी कि वो थाली में छेद करते नहीं पाए गए) सभ्य पुलिस वाले अतिथि देवो भव का पालन करते हुए बिरयानी खिला रहे थे और जनता घरों में क़ैद आर्तनाद कर रही थी- अब तो जीडीपी भी कोमा में चली गई, कोरोना तुम कब जाओगे…
पिछले तीन साल भुगत चुका हूं. अब मैं किसी को नए साल के लिए हैप्पी न्यू ईयर का अभिशाप नहीं देनेवाला. साल 2021 में मुझे लोगों ने हैप्पी न्यू ईयर की बद्दुआ दी थी. 14 अप्रैल को कोरोना ने मुझे धर दबोचा. उस दिन पहला रोजा था. ख़ैर, ऑक्सीजन लेवल 80 और 83 के बीच पींग मारता रहा, मगर मैं शायद अस्पताल न जाने की वजह से ज़िंदा बच गया या फिर इसलिए, क्योंकि कोरोना को जब पता चला कि मैं हिंदी का लेखक हूं, तो वो ख़ुद मुझे छोड़कर चलता बना. सोचा होगा- हिंदी के लेखक को मरने के लिए कोरोना की क्या ज़रूरत..! जाते हुए ज़रूर पाश्चाताप किया होगा, “हम से भूल हो गई, हम का माफ़ी दई दो. ग़लत घर में दाख़िल हो गया यजमान..”
समझ में नहीं आया कि नए साल के आने में मुबारक जैसी क्या चीज़ है. हमारे देश में तो मुसीबतों का आना-जाना लगा ही रहता है, इसमें हैप्पी होने की क्या बात. कभी बर्ड फ्लू, तो कभी स्वाइन फ्लू. हमीं हैं, जो बर्ड फ्लू से ग्रसित मुर्गे को खाकर प्रोटीन प्राप्त करते हैं. गनीमत है कि कोरोना कभी सशरीर सामने नहीं आया, वरना झुरहू चच्चा महुआ की दारू के साथ चखना के तौर पर नया प्रयोग कर डालते.
राहुल गांधी जैसे ही राजस्थान से दिल्ली की ओर चले, वैसे ही मीडिया ने चीन से भारत की ओर पदयात्रा करते कोरोना को देख लिया. वो भी भारत जोड़ो के समर्थन में चल पड़ा है. मॉनसून परख कर दूरदर्शी दुकानदारों ने फेस मास्क से लेकर अर्थी का सामान तक स्टॉक करना शुरू कर दिया है. पांचू सेठ पंडित भगौतीदीन से कन्फर्म करने के लिए पूछ रहे हैं, “पंडितजी, आपका जंत्री क्या कहता है, अफ़वाह है या सचमुच कोरोन चल पड़ा है?”

यह भी पढ़ें: रंग तरंग- कोरोना, बदनाम करो न… (Rang Tarang- Corona, Badnaam Karo Na…)

पंडितजी जानते थे कि सेठ को कौन-सी चिंता खाए जा रही है. उन्होंने फ़ौरन गंभीरता ओढ़ ली, “दुखद सूचना है यजमान. कोरोना की कुंडली से शनि की साढ़े साती दूर हो चुकी है. मंगल ख़ुद लालटेन हाथ में लेकर कोरोना को इधर आने का रास्ता दिखा रहा है. देख लेना, इस बार गेहूं में बाली की जगह कोरोना ही नज़र आएगा. नया साल मुबारक हो यजमान.”
इस दुखद भविष्यवाणी पर पांचू सेठ ने पहली बार पंडितजी को 21 की जगह 51 रुपए की दक्षिणा दी थी.

– सुलतान भारती

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

घर के कामकाज, ज़िम्मेदारियों और एडजस्टमेंट से क्यों कतराती है युवा पीढ़ी? (Why does the younger generation shy away from household chores, responsibilities and adjustments?)

माना ज़माना तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा तेज़ी…

April 9, 2025

कंगना राहत नसलेल्या घराचे वीज बिल तब्बल १ लाख, अभिनेत्रीचा मनाली सरकारला टोला (९ Kangana Ranaut stunned by 1 lakh electricity bill for Manali home Where She Dosent Stay )

बॉलिवूड अभिनेत्री कंगना राणौतने नुकतीच हिमाचल प्रदेशातील मंडी येथे एका राजकीय कार्यक्रमात हजेरी लावली. जिथे…

April 9, 2025

अमृतफळ आंबा (Amritpal Mango)

आंबा हे फळ भारतातच नव्हे, तर जगभरातही इतर फळांपेक्षा आवडतं फळ आहे, असं म्हटल्यास वावगं…

April 9, 2025

उच्‍च एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉलमुळे भारतात हृदयसंबंधित आजारांचे प्रमाण वाढत आहे ( Heart disease rates are increasing in India due to high LDL cholesterol)

भारतात परिस्थिती बदलत आहे, जेथे असंसर्गजन्य आजार प्राथमिक आरोग्‍य धोका म्‍हणून उदयास येत आहेत, तर…

April 9, 2025

कहानी- ढलान (Short Story- Dhalaan)

वर के पिता ताया जी को ठोकर मार कर तेजी से विवाह वेदी तक आए…

April 9, 2025
© Merisaheli