डिप्रेशन ऐसी नकारात्मक भावना, जहां आपकी सारी ऊर्जा लगभग ख़त्म हो जाती है, उम्मीदें, आशाएं, ख़ुशियां… सब कुछ धूमिल-सी नज़र आती हैं. ज़िंदगी बेकार लगने लगती है… ऐसा महसूस होता है जैसे इन परिस्थितियों से निकलना अब नामुमकिन है, ज़िंदा रहना मुश्किल लगने लगता है. ऐसे में बहुत ज़रूरी हो जाता है कि आप ख़ुद कुछ प्रयास करें, ताकि अपने इस डिप्रेशन को मैनेज कर सकें और पॉज़िटिव सोच अपना सकें.
बाहर जाएं, कनेक्टेड रहें: यह सच है कि डिप्रेशन के दौरान बाहर जाना और लोगों से मिलना-जुलना बेहद मुश्किल काम है, क्योंकि आपमें वो ऊर्जा नहीं रहती, लेकिन थोड़ा-सा प्रयास आपकी मदद कर सकता है. सोशल गैदरिंग्स में जाएं, दोस्तों से मिलें, रिश्तेदारों से कनेक्टेड रहें. अकेलापन आपकी तकलीफ़ और बढ़ाएगा. बेहतर होगा, नए दोस्त बनाएं और पुरानों से मिलना-जुलना शुरू करें. आपके क़रीबी हमेशा आपकी मदद करने को तत्पर रहेंगे, इसलिए अपनी तकलीफ़ उनसे शेयर करें, इससे आपका मूड बदलेगा और मन हल्का होगा.
किस तरह से कनेक्ट करें?
कनेक्शन के बेस्ट टिप्स
अच्छा महसूस करानेवाली गतिविधियां करें: जिन बातों से, जिन गतिविधियों से आप रिलैक्स्ड और ऊर्जावान महसूस करते हों, उन पर ध्यान दें. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. शेड्यूल बनाएं और दिनभर में फन एक्टिविटीज़ के लिए टाइम फिक्स करें.
कैसे करें?
अपनी हेल्थ को ज़रूर सपोर्ट करें
वेलनेस टूलबॉक्स
एक्टिव रहने की कोशिश करें: एक्सरसाइज़ डिप्रेशन से लड़ने का सबसे बेहतर तरीक़ा है. शोध कहते हैं कि एक्सरसाइज़ डिप्रेशन से लड़ने में उतनी ही कारगर है, जितनी दवा. इसके अलावा एक्सरसाइज़ से डिप्रेशन के दोबारा होने की संभावना भी कम हो जाती है.
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एक्सरसाइज़ से मूड को बूस्ट कैसे करें?
हेल्दी खाएं, डिप्रेशन से लड़नेवाली डायट फॉलो करें: जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन… ये कहावत यूं ही नहीं बनी है. हम जो खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे शरीर व मन पर पड़ता है. फैटी, ऑयली, कैफीन या अल्कोहल जैसी चीज़ों का सेवन कम करें, क्योंकि ये आपके हार्मोंस पर असर करते हैं और मूड पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
कैसी हो आपकी डायट?
ज़रूरी है सनलाइट का डेली डोज़: सनलाइट सेरोटोनिन हार्मोंस के स्तर को बढ़ाकर मूड बेहतर करने में मददगार है. जब भी मौक़ा मिले, रोज़ाना 15 मिनट की धूप ज़रूर लें.
कब और कैसे लें यह डेली डोज़?
विंटर ब्लूज़ से कैसे निपटें?
नकारात्मक सोच को चुनौती दें: ज़िंदगी से ऊब महसूस होना, कमज़ोरी-थकान लगना, निराशा महसूस होना… इस तरह के नकारात्मक भाव डिप्रेशन के चलते आते हैं. आपको यह बात मन में बैठा लेनी होगी कि ये तमाम नकारात्मक विचार असल में हैं ही नहीं. आपको अपने माइंड को पॉज़िटिव सोचने के लिए प्रशिक्षित करना होगा. हालांकि यह मुश्किल है, लेकिन लगातार प्रयास से यह संभव हो सकता है.
इस तरह के विचारों से रहें दूर
बहुत कुछ या कुछ भी नहीं सोचना: ब्लैक एंड व्हाइट में चीज़ों को न देखें. ये सही है और ये ग़लत… ऐसा नहीं होता. बीच का रास्ता भी होता है.
बुरे अनुभव को मन में बैठा लेना: एक जगह अगर असफलता हाथ लगी हो, तो इसका यह मतलब नहीं कि हर बार और हर जगह ही असफलता मिलेगी. अपने बुरे अनुभवों को मन में बैठा न लें.
पॉज़िटिव बातों को भूलकर स़िर्फ निगेटिव ही याद रखना: आपके साथ बहुत कुछ अच्छा होता है, लेकिन आप उसे अधिक समय तक याद नहीं रखते, लेकिन कोई एक बात ग़लत हो, तो उसे बार-बार याद करते हैं. इस सोच से बाहर निकलें. अच्छा-बुरा सभी के साथ होता है और दोनों को ही समान रूप से लें और जब मन निराश हो, तो पॉज़िटिव बातों को याद करें.
पॉज़िटिव बातों को कम आंकना: कुछ अच्छा हो, तो उसके बारे में भी यह सोचना कि ये तो सामान्य-सी बात है, इसमें कुछ ख़ास क्या है… इस तरह के विचारों से दूर रहें और हर छोटी-छोटी बात में ख़ुशियां ढूंढ़ें.
फ़ौरन निष्कर्ष पर पहुंच जाना: प्रयास करने से पहले ही यह सोच लेना कि परिणाम ग़लत ही होगा या हमें असफलता ही मिलेगी… ग़लत व नकारात्मक पहलू है. इससे दूर रहें.
अपने बारे में इमोशनली निगेटिव सोचना: ‘मैं ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकता’ या ‘मेरे साथ कभी भी कुछ अच्छा नहीं हो सकता’… इस तरह की बातों से अपने बारे में निगेटिविटी न बढ़ाएं. हम जो सोचते हैं हम वही बन जाते हैं, इसलिए अपनी सोच को पॉज़िटिव बनाएं.
बहुत अधिक नियमों में ख़ुद को बांध लेना: अपने लिए बहुत स्ट्रिक्ट रूल्स बना लेना, जिससे आप ज़िंदगी जीना ही भूल जाएं, आपको नकारात्मकता की ओर ले जाएंगे. फ्लेक्सिबल बनें.
कब लें एक्सपर्ट एडवाइस?
जब तमाम सेल्फ हेल्प टेक्नीक्स के बाद भी आपको लग रहा हो कि आपका डिप्रेशन ठीक नहीं हो रहा, तब आपको एक्सपर्ट के पास जाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए. आपको अपनी मदद ख़ुद ही करनी होगी. ये न सोचें कि एक्सपर्ट के पास जाना किसी कमज़ोरी की निशानी है. अगर शरीर में तकलीफ़ हो, तो आप डॉक्टर के पास जाते ही हैं, तो मन की तकलीफ़ के लिए क्यों नहीं जाना चाहते?
हां, एक बात का ध्यान रहे कि प्रोफेशनल हेल्प के बाद भी ये सेल्फ हेल्प टेक्नीक्स फॉलो करते रहें और यह बात भी मन में बैठा लें कि डिप्रेशन ठीक हो सकता है और आप इससे निकलकर बेहतर व हैप्पी लाइफ जी सकते हैं.
– गीता शर्मा
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