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डिप्रेशन को ऐसे करें मैनेज (Self Help: Tips For Managing Depression)

डिप्रेशन को ऐसे करें मैनेज (Self Help: Tips For Managing Depression)

डिप्रेशन ऐसी नकारात्मक भावना, जहां आपकी सारी ऊर्जा लगभग ख़त्म हो जाती है, उम्मीदें, आशाएं, ख़ुशियां… सब कुछ धूमिल-सी नज़र आती हैं. ज़िंदगी बेकार लगने लगती है… ऐसा महसूस होता है जैसे इन परिस्थितियों से निकलना अब नामुमकिन है, ज़िंदा रहना मुश्किल लगने लगता है. ऐसे में बहुत ज़रूरी हो जाता है कि आप ख़ुद कुछ प्रयास करें, ताकि अपने इस डिप्रेशन को मैनेज कर सकें और पॉज़िटिव सोच अपना सकें.

बाहर जाएं, कनेक्टेड रहें: यह सच है कि डिप्रेशन के दौरान बाहर जाना और लोगों से मिलना-जुलना बेहद मुश्किल काम है, क्योंकि आपमें वो ऊर्जा नहीं रहती, लेकिन थोड़ा-सा प्रयास आपकी मदद कर सकता है. सोशल गैदरिंग्स में जाएं, दोस्तों से मिलें, रिश्तेदारों से कनेक्टेड रहें. अकेलापन आपकी तकलीफ़ और बढ़ाएगा. बेहतर होगा, नए दोस्त बनाएं और पुरानों से मिलना-जुलना शुरू करें. आपके क़रीबी हमेशा आपकी मदद करने को तत्पर रहेंगे, इसलिए अपनी तकलीफ़ उनसे शेयर करें, इससे आपका मूड बदलेगा और मन हल्का होगा.

किस तरह से कनेक्ट करें?

  • जिनके साथ आप सुरक्षित महसूस करते हों और जिन पर विश्‍वास करते हों, उनसे मिलें.
  • मिलने का अर्थ है आमने-सामने मिलना. यह सही है कि सोशल नेटवर्किंग और फोन कॉल्स से भी कनेक्ट किया जा सकता है, लेकिन फ़ायदा अधिक तभी होगा, जब फेस टु फेस मिलेंगे.
  • दूसरों की सहायता करने का मन बनाएं. दूसरों के लिए कुछ करेंगे, तो आपको कहीं न कहीं संतुष्टि महसूस होगी. मदद चाहे छोटी ही क्यों न हो, किसी के काम आने की भावना आपको पॉज़िटिव बनाएगी.
  • पेट्स रखें और उसके साथ समय बिताएं. यह काफ़ी कारगर तरीक़ा है डिप्रेशन से निपटने का. जानवरों से प्यार करते हैं, तो उनकी केयर करें, इससे आप बेहतर महसूस करेंगे.
  • एक्सरसाइज़, वर्कआउट, योग व मेडिटेशन करें. यह काफ़ी अच्छा उपाय है. इससे आप ऊर्जा व नई शक्ति महसूस करेंगे. मेडिटेशन व योग से मन शांत होगा और नकारात्मक भाव बाहर निकलेंगे.
  • एक्सपर्ट की मदद लें. हिचकिचाएं नहीं. आप सच में अच्छा महसूस करेंगे. ज़िंदगी को देखने का नज़रिया बदलेगा और डिप्रेशन से बाहर आने में मदद मिलेगी.

कनेक्शन के बेस्ट टिप्स

  • किसी क़रीबी या भरोसेमंद से अपनी तकलीफ़ व दुख का कारण शेयर करें.
  • किसी दोस्त के साथ कॉफी या टी डेट पर जाएं.
  • मूवी या डिनर प्लान करें.
  • किसी पुराने दोस्त को कॉल करें.
  • कोई हॉबी क्लास जॉइन कर लें.

अच्छा महसूस करानेवाली गतिविधियां करें: जिन बातों से, जिन गतिविधियों से आप रिलैक्स्ड और ऊर्जावान महसूस करते हों, उन पर ध्यान दें. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. शेड्यूल बनाएं और दिनभर में फन एक्टिविटीज़ के लिए टाइम फिक्स करें.

कैसे करें?

  • जो चीज़ें आपको पहले मज़ेदार लगती थीं, उन्हें फिर करना शुरू करें.
  • यह सच है कि आपका मन नहीं करेगा, ये तमाम चीज़ें करने का, लेकिन ख़ुद को फोर्स करें, क्योंकि एक बार आप इस तरह की फन एक्टिविटीज़ में ख़ुद को व्यस्त कर लेंगे, तो आपको विश्‍वास ही नहीं होगा कि कितना बेहतर महसूस करेंगे.
  • हो सकता है कि एक बार में आप डिप्रेशन से बहुत ज़्यादा बाहर न आ पाएं, लेकिन धीरे-धीरे आप ख़ुद को अधिक सकारात्मक व ऊर्जावान महसूस करने लगेंगे.
  • आप कोई स्पोर्ट्स एक्टिविटी या स्विमिंग, डांस व साइकिलिंग जैसे शौक अपना सकते हैं.

अपनी हेल्थ को ज़रूर सपोर्ट करें

  • डिप्रेशन सबसे पहले आपकी नींद पर असर डालता है. या तो आप बहुत कम या बहुत अधिक सोने लगते हैं. अच्छी नींद लेने की कोशिश करें. हेल्दी स्लीप टेक्नीक्स के बारे में जानें और नींद पूरी लें. इससे आपको रेस्ट मिलेगा और आप फ्रेश फील करेंगे.
  • स्ट्रेस को बढ़ने न दें, क्योंकि स्ट्रेस से डिप्रेशन और बढ़ सकता है. उन तमाम तत्वों पर ध्यान दें, जो स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जैसे- काम का प्रेशर, आर्थिक समस्या, ख़राब रिलेशनशिप… बेहतर होगा इन सबसे निपटने के तरीक़ों पर ध्यान दें. एक्सपर्ट की सहायता भी ले सकते हैं.
  • रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाएं. ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें, ध्यान करें, म्यूज़िक सुनें, मसल रिलैक्सेशन तकनीक सीखें.

वेलनेस टूलबॉक्स

  • अपने बारे में सकारात्मक बातें लिखें.
  • लिस्ट बना लें कि आपको अपनी कौन-सी बातें और आदतें सबसे ज़्यादा पसंद हैं.
  • कोई फनी मूवी या टीवी सीरीज़ देखें.
  • म्यूज़िक सुनें.
  • नेचर में समय बिताएं. समंदर के किनारे या किसी पार्क में सुबह-शाम जाएं.
  • हॉट बाथ लें. जल्दबाज़ी न करके आराम से गर्म पानी से नहाएं, इससे शरीर हल्का लगेगा.
  • ख़ुद को किसी न किसी काम में बिज़ी रखें. हेल्दी डायट लें. मनपसंद डिश बनाएं.

एक्टिव रहने की कोशिश करें: एक्सरसाइज़ डिप्रेशन से लड़ने का सबसे बेहतर तरीक़ा है. शोध कहते हैं कि एक्सरसाइज़ डिप्रेशन से लड़ने में उतनी ही कारगर है, जितनी दवा. इसके अलावा एक्सरसाइज़ से डिप्रेशन के दोबारा होने की संभावना भी कम हो जाती है.

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एक्सरसाइज़ से मूड को बूस्ट कैसे करें?

  • यह सच है कि डिप्रेशन के चलते एक्सरसाइज़ का मन बनाना बेहद मुश्किल है, लेकिन एक बार आप इच्छाशक्ति दिखा देंगे, तो यह बेहद फ़ायदा पहुंचाएगी.
  • रिसर्च बताते हैं कि डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को एक्सरसाइज़ से ऊर्जा मिलती है और हताशा कम होती है.
  • रिदमवाली एक्सरसाइज़ अधिक फ़ायदेमंद होती है, जैसे- वॉकिंग, वेट ट्रेनिंग, स्विमिंग या डान्सिंग.
  • किसी क्लब के मेंबर बनकर अन्य लोगों के साथ एक्सरसाइज़ करना और बेहतर परिणाम देगा.
  • घर में अगर पेट्स हैं, तो उनके साथ ईवनिंग वॉक पर जाएं.

हेल्दी खाएं, डिप्रेशन से लड़नेवाली डायट फॉलो करें: जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन… ये कहावत यूं ही नहीं बनी है. हम जो खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे शरीर व मन पर पड़ता है. फैटी, ऑयली, कैफीन या अल्कोहल जैसी चीज़ों का सेवन कम करें, क्योंकि ये आपके हार्मोंस पर असर करते हैं और मूड पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

कैसी हो आपकी डायट?

  • शुगर और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन कम कर दें. फ्रेंच फ्राइज़, पास्ता, एरिएटेड ड्रिंक्स कुछ समय के लिए ही बेहतर महसूस करवाते हैं. आगे चलकर ये आपके मूड को प्रभावित कर सकते हैं.
  • दिन में 3-4 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं. खाने में बहुत ज़्यादा अंतर रखेंगे, तो चिड़चिड़ापन बढ़ेगा.
  • विटामिन बी ज़रूर लें, क्योंकि फॉलिक एसिड और विटामिन बी 12 की कमी से डिप्रेशन बढ़ता है. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, अंडा, बींस, सिट्रस फ्रूट्स अधिक लें.
  • ओमेगा 3 फैटी एसिडयुक्त भोजन लें. मूड को संतुलित रखने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. फैटी फिश और ठंडे पानी की मछलियों के तेल का सेवन करें.

ज़रूरी है सनलाइट का डेली डोज़: सनलाइट सेरोटोनिन हार्मोंस के स्तर को बढ़ाकर मूड बेहतर करने में मददगार है. जब भी मौक़ा मिले, रोज़ाना 15 मिनट की धूप ज़रूर लें.

कब और कैसे लें यह डेली डोज़?

  • आप लंच टाइम में बाहर जा सकते हैं, कुछ देर टहलें.
  • आसपास कोई गार्डन वगैरह हो, तो वहां जा सकते हैं.
  • अपने घर पर और वर्कप्लेस में जितना संभव हो, नेचुरल लाइट में रहने की कोशिश करें.
  • छुट्टी के दिन सुबह-सुबह की धूप लेने के लिए छत का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर रोज़ाना वॉक के लिए भी जा सकते हैं.

विंटर ब्लूज़ से कैसे निपटें?

  • सर्दियों के मौसम में सनलाइट वैसे भी कम होती है और इस मौसम में डिप्रेशन अधिक महसूस होता है, जिसे सीज़नल इफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं. लेकिन यदि आप प्रयास करें, तो सालभर आपका मूड बेहतर बना रह सकता है.

नकारात्मक सोच को चुनौती दें: ज़िंदगी से ऊब महसूस होना, कमज़ोरी-थकान लगना, निराशा महसूस होना… इस तरह के नकारात्मक भाव डिप्रेशन के चलते आते हैं. आपको यह बात मन में बैठा लेनी होगी कि ये तमाम नकारात्मक विचार असल में हैं ही नहीं. आपको अपने माइंड को पॉज़िटिव सोचने के लिए प्रशिक्षित करना होगा. हालांकि यह मुश्किल है, लेकिन लगातार प्रयास से यह संभव हो सकता है.

इस तरह के विचारों से रहें दूर

बहुत कुछ या कुछ भी नहीं सोचना: ब्लैक एंड व्हाइट में चीज़ों को न देखें. ये सही है और ये ग़लत… ऐसा नहीं होता. बीच का रास्ता भी होता है.

बुरे अनुभव को मन में बैठा लेना: एक जगह अगर असफलता हाथ लगी हो, तो इसका यह मतलब नहीं कि हर बार और हर जगह ही असफलता मिलेगी. अपने बुरे अनुभवों को मन में बैठा न लें.

पॉज़िटिव बातों को भूलकर स़िर्फ निगेटिव ही याद रखना: आपके साथ बहुत कुछ अच्छा होता है, लेकिन आप उसे अधिक समय तक याद नहीं रखते, लेकिन कोई एक बात ग़लत हो, तो उसे बार-बार याद करते हैं. इस सोच से बाहर निकलें. अच्छा-बुरा सभी के साथ होता है और दोनों को ही समान रूप से लें और जब मन निराश हो, तो पॉज़िटिव बातों को याद करें.

पॉज़िटिव बातों को कम आंकना: कुछ अच्छा हो, तो उसके बारे में भी यह सोचना कि ये तो सामान्य-सी बात है, इसमें कुछ ख़ास क्या है… इस तरह के विचारों से दूर रहें और हर छोटी-छोटी बात में ख़ुशियां ढूंढ़ें.

फ़ौरन निष्कर्ष पर पहुंच जाना: प्रयास करने से पहले ही यह सोच लेना कि परिणाम ग़लत ही होगा या हमें असफलता ही मिलेगी… ग़लत व नकारात्मक पहलू है. इससे दूर रहें.

अपने बारे में इमोशनली निगेटिव सोचना: ‘मैं ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकता’ या ‘मेरे साथ कभी भी कुछ अच्छा नहीं हो सकता’… इस तरह की बातों से अपने बारे में निगेटिविटी न बढ़ाएं. हम जो सोचते हैं हम वही बन जाते हैं, इसलिए अपनी सोच को पॉज़िटिव बनाएं.

बहुत अधिक नियमों में ख़ुद को बांध लेना: अपने लिए बहुत स्ट्रिक्ट रूल्स बना लेना, जिससे आप ज़िंदगी जीना ही भूल जाएं, आपको नकारात्मकता की ओर ले जाएंगे. फ्लेक्सिबल बनें.

कब लें एक्सपर्ट एडवाइस?

जब तमाम सेल्फ हेल्प टेक्नीक्स के बाद भी आपको लग रहा हो कि आपका डिप्रेशन ठीक नहीं हो रहा, तब आपको एक्सपर्ट के पास जाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए. आपको अपनी मदद ख़ुद ही करनी होगी. ये न सोचें कि एक्सपर्ट के पास जाना किसी कमज़ोरी की निशानी है. अगर शरीर में तकलीफ़ हो, तो आप डॉक्टर के पास जाते ही हैं, तो मन की तकलीफ़ के लिए क्यों नहीं जाना चाहते?

हां, एक बात का ध्यान रहे कि प्रोफेशनल हेल्प के बाद भी ये सेल्फ हेल्प टेक्नीक्स फॉलो करते रहें और यह बात भी मन में बैठा लें कि डिप्रेशन ठीक हो सकता है और आप इससे निकलकर बेहतर व हैप्पी लाइफ जी सकते हैं.

– गीता शर्मा

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Geeta Sharma

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