कहानी- एक फांस 3 (Story Series- Ek Phans 3)

प्रीति खुली डायरी देखकर सारा माजरा समझ गई. बच्चों को सुलाने के बाद उसने दस सालों में पहली बार उन्नत से खुलकर झगड़ा किया और शिखा के बारे में सब कुछ बताने को कहा. दोनों ने चांदनी रात में बालकनी में आराम से बैठकर बात शुरू की. प्रीति जैसे-जैसे उन्नत के प्रफुल्लित विद्यार्थी जीवन और शिखा के बारे में सुनती गई, उसके चेहरे की मुस्कुराहट लौटती गई.

उन्नत लौटे, तो डायरी खुली थी, उस पर प्रीति का मोबाइल रखा था. वो डायरी पढ़ने लगा. जल्दी में इतना ही समझ पाया कि प्रीति शिखा के कारण आहत है. ‘…सब कहते हैं कि मैं बहुत कुशल वक्ता हूं, पर ऐसी प्रतिभा का, ऐसे जीवन का क्या फ़ायदा?’ उसमें अंत में लिखा था. उन्नत की आंखें अंतिम शब्दों पर अटक गईं- ‘ऐसे जीवन का क्या फ़ायदा?’

‘कहां चली गई प्रीति ये सब लिखकर? कैसे पता करे?’ वो घबरा गया.

प्रीति के साथ बिताए दस सालों के सुखी विवाहित जीवन के दृश्य उसकी आंखों में तैरने लगे. कितनी अच्छी है प्रीति, कितना अच्छा है उसका निश्छल और समर्पित प्यार, उसका एक-एक कथन आदेश होता है प्रीति के लिए, कैसे उसने प्रीति को इतनी बड़ी चोट पहुंचा दी?, कैसे उसे ये ग़लतफ़हमी हो गई? उ़फ्! कहां ढूंढ़े? तभी बच्चों को छोड़कर उनके मामा बाहर से ही निकल गए. उन्हें कुछ काम था.

बच्चों ने मां के बारे में पूछने पर कह दिया कि उन्हें कुछ पता नहीं. उन्नत ने घबराकर हर जगह फोन किया, पर किसी को प्रीति के बारे में कुछ पता नहीं था. सबसे घनिष्ठ सहेली साधना तो फोन उठा ही नहीं रही थी. अब उन्नत का दिल रो उठा.

प्रीति को लौटते समय देर हो गई, तो उसने खाना पैक करवा लिया. घर में घुसते ही उसने उन्नत का बुझा चेहरा देखा, तो बोली, “बच्चों को भूख लगी होगी, इसलिए मैं…” “मुझे पता था कि तुम बच्चों को छोड़कर कहीं नहीं जा पाओगी.” उन्नत ने उसकी बात काटकर आगे बढ़कर उसके हाथ पकड़ लिए.

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प्रीति खुली डायरी देखकर सारा माजरा समझ गई. बच्चों को सुलाने के बाद उसने दस सालों में पहली बार उन्नत से खुलकर झगड़ा किया और शिखा के बारे में सब कुछ बताने को कहा. दोनों ने चांदनी रात में बालकनी में आराम से बैठकर बात शुरू की. प्रीति जैसे-जैसे उन्नत के प्रफुल्लित विद्यार्थी जीवन और शिखा के बारे में सुनती गई, उसके चेहरे की मुस्कुराहट लौटती गई. बातचीत सूर्य की पहली किरण के साथ ख़त्म हुई, तो उन्नत ने भावुक होकर प्रीति को बांहों में ले लिया और उसके माथे को चूमते हुए कहा, “तुम मेरा आज हो और आज मैं तुम्हें बहुत-बहुत प्यार करता हूं. मैं सपने में भी तुम्हें आहत नहीं कर सकता.”

आज पति के आलिंगन की उष्णता ने प्रीति के संपूर्ण अस्तित्व को पिघला दिया. उसका बदन वैसे ही सिहर उठा, जैसे प्रथम स्पर्श में सिहरा था. उसकी आखें नम थीं और वो पति के मधुर स्पर्श में पूरी तरह खोई थी, तभी वो बोले, “काश! मेरी शिखा से दोबारा मुलाक़ात न होती और तुम्हें चोट न पहुंचती. अब मैं उससे बात नहीं किया करूंगा.”

“किसने कहा कि आपके शिखा से मिलने या बात करने से मुझे चोट पहुंची है?” प्रीति चुहलभरे स्वर में बोली. उसकी बात सुनकर उन्नत ने उसका चेहरा अपने सीने से हटाकर अपने हाथों में ले लिया और उसकी आंखों को पढ़ने की कोशिश करते हुए बोला, “क्या कहा तुमने? तुम आहत नहीं हो? फिर तुम्हारी वो डायरी की बातें और झगड़ा?”

“डायरी में तो मैंने केवल अपनी उत्सुकता लिखी थी, आप में आए अचानक परिवर्तन के प्रति. आपके मन में चोर था, इसलिए आपने उसे अलग ढंग से लिया. रही बात लड़ाई की, तो जब आप इतनी मुश्किल से अपने कवच से बाहर आए थे, तो मुझे भी कुछ तो करना था, आपके मन का बंद दरवाज़ा खोलने के लिए.”

प्रीति ने अपना सिर फिर से उन्नत के सीने पर रख दिया. “मैं तो बहुत ख़ुश हूं कि आपकी शिखा से दोबारा मुलाक़ात हुई. जिस प्यार के कारण, जिस मुलाक़ात के कारण दस साल में पहली बार आपने मुझे अपनी बांहों में लेकर ‘आई लव यू’ कहा, पहली बार इतने प्यार से मेरा चेहरा हाथों में लेकर मेरी आंखों को पढ़ने की कोशिश की, पहली बार खुले मन से चहककर नितांत व्यक्तिगत बातें मेरे साथ बांटी. पहली बार हमने सारी रात बात की, जिस प्यार के कारण आपने मुझे बताया कि आप मुझे इतना प्यार करते हो कि मुझे आहत नहीं करना चाहते, वो प्यार तो अमृत कलश है. शायद उसी मुलाक़ात के कारण आपको पता चला कि आप मुझे कितना प्यार करने लगे हैं और अपने जीवन से कितने संतुष्ट हैं. आपसी भरोसे और कर्त्तव्यनिष्ठा की बुनियाद पर टिका हमारा प्यार इतना कमज़ोर नहीं कि अतीत के ख़ुशगवार हवा के झोंके से डर जाए या बिखर जाए. जिस प्यार ने आपमें इतना प्यारा बदलाव ला दिया, मुझे ऐसे प्यार से कोई आपत्ति नहीं है.” प्रीति ने आख़िरी वाक्य सीधे उन्नत की आंखों में देखकर बड़ी ही शरारती मुस्कुराहट के साथ कही.

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“हट पागल, अब हमारे बीच कोई प्यार-मुहब्बत की बातें नहीं होतीं. लेकिन हां, तुमने कहा है कि तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है. याद रखना.” अब उन्नत के स्वर में भी वही खनक भरी शरारत आ गई और उसने पूरी उष्णता के साथ प्रीति को बांहों में भर लिया. “चलिए, आज हम अपने जीवन का सबसे सुंदर वैलेंटाइन डे मनाएंगे. कहां ले चल रहे हैं आज?” प्रीति की आवाज़ में भी चहक थी.

भावना प्रकाश

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Usha Gupta

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