“थैंक्यू मैम.’’ दीपा के चेहरे पर ख़ुशी के चिह्न उभर आए. अंजान प्रिंसिपल से मिलने का तनाव पल भर में गायब हो गया. किंतु अगले ही पल वह एक बार फिर चौंक पड़ी. दामनी मैम की मांग का सूनापन किसी अनहोनी की गवाही दे रहा था.
‘‘मैम, वो गीतेश सर…’’ उसने अटकते हुए अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया.
‘‘यह काॅलेज है. शाम को घर आओ, तब इत्मिनान से बात करेगें.’’ दामनी मैम ने मुस्कुराने की कोशिश की.
… मन तो दीपा का भी आशंकित था, लेकिन वह इतनी जल्दी इतना बड़ा फ़ैसला नहीं लेना चाहती थी. अतः तय हुआ कि अभी वह बरेली चली चले, बाद में जब रवीश को अपनी ग़लती का एहसास हो जाए तब वापस आ जाएगी.
किंतु हुआ उसका उल्टा. दीपा के इस कदम ने रवीश की क्रोधाग्नि को दावानल में परिर्वतित कर दिया. दीपा या प्रखर भैया जब भी उसे फोन करते, समझने की बजाय वह गाली-गलौज पर उतर आता. उसका कहना था कि दीपा ने उसके विश्वास को ठेस पहुंचाई है, इसलिए जब तक वह लिखित माफ़ी नहीं मांगती उसके लिए मेरे घर में कोई जगह नहीं है. हताश प्रखर भैया ने एक वकील से तलाक़ के काग़ज़ात तैयार करवा लिए. उन्होंने बहुत समझाया, किंतु दीपा अपने आप को उन पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं कर पा रही थी.
उधर हर बीतते दिन के साथ हेमा भाभी का व्यवहार भी ख़राब होता जा रहा था. दीपा को लेकर प्रखर भैया से उनकी अक्सर बहस हो जाती थी. इसके चलते दीपा की स्थित सांप-छछूंदर जैसी हो गई थी. उससे न तो रवीश के पास लौटते बन रहा था और न ही यहां रहते.
पिछले महीने ज़रा-सी बात पर हेमा भाभी ने उसे धक्का दे दिया था. दूसरे कमरे से प्रखर भैया ने पत्नी की इस हरकत को देख लिया था. दीपा ने भी साफ़ देखा था कि बेबसी से उनकी आंखे भर आई हैं, जिन्हें वे चुपके से पोंछ रहे थे. उसने उसी दिन देहरादून के काॅलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन भेज दिया था. लाॅकडाउन के चलते ऑनलाइन इंटरव्यू हुआ था और कुछ ही दिनों में उसका नियुक्ति पत्र आ गया.
दो दिन पहले एक विवाह में शामिल होने प्रखर भैया, भाभी के साथ ससुराल गए थे, तब दीपा चुपचाप देहरादून चली आई. काॅलेज के ही हास्टल में उसे एक कमरा मिल गया था. तैयार हो वह ज्वाइनिंग के लिए प्रिंसिपल से मिलने गई. डी. सिंह कक्ष के बाहर उनकी नेम प्लेट जगमगा रही थी.
‘‘दामनी मैम, आप?’’ भीतर प्रवेश करते ही दीपा चौंक पड़ी.
‘‘हां मैं…’’ प्रिंसिपल ने अपना चश्मा उतारकर मेज पर रखा, फिर बोलीं, ‘‘तुम्हारी एप्लीकेशन देखते ही मैंने मैनजमेंट से कहा था कि तुमसे अच्छी टीचर इस काॅलेज को नहीं मिल सकती.”
“थैंक्यू मैम.’’ दीपा के चेहरे पर ख़ुशी के चिह्न उभर आए. अंजान प्रिंसिपल से मिलने का तनाव पल भर में गायब हो गया. किंतु अगले ही पल वह एक बार फिर चौंक पड़ी. दामनी मैम की मांग का सूनापन किसी अनहोनी की गवाही दे रहा था.
‘‘मैम, वो गीतेश सर…’’ उसने अटकते हुए अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया.
‘‘यह काॅलेज है. शाम को घर आओ, तब इत्मिनान से बात करेगें.’’ दामनी मैम ने मुस्कुराने की कोशिश की.
दीपा क्लास में चली आई, किंतु उसका मन व्यथित हो रहा था. दामनी मैम उसके काॅलेज की सबसे लोकप्रिय टीचर थीं और वह उनकी सबसे प्रिय छात्रा. दामनी मैम और फिजिक्स के प्रोफसर गीतेश सर एक-दूसरे को पसंद करते थे. सभी जानते थे कि दोनों शादी करनेवाले है. एक दिन ख़बर आई कि गीतेश सर का चयन आई.ए.एस. के लिए हो गया है. पूरे काॅलेज में चर्चा हो रही थी कि पता नहीं अब वे दामनी मैम से शादी करेगें या नहीं.
फेयरवेल पार्टी में बधाइयों के बीच जब गीतेश सर के बोलने का नंबर आया, तो उनका कहा गया पहला वाक्य आज भी दीपा को अच्छी तरह से याद है, ‘‘दोस्तों, आप सब कल शाम मेरी और दामनीजी की रिंग सेरेमनी में आमंत्रित है. ज्वाइनिंग से पहले मैं आपकी सबसे अच्छी टीचर को चुरा ले जाना चाहता हूं.’’
बहुत देर तक तालियों की गूंज गूंजती रही थी. सभी के होंठों पर दामनी मैम के भाग्य और गीतेश सर की शराफ़त के चर्चे थे. अगले ही महीने दामनी मैम शादी करके चली गईं. सात साल बीत गए. इस बीच गीतेश सर का कई जगह ट्रांसफर हुआ, फिर धीरे-धीरे उन सबसे सम्पर्क टूट गया था. आज दामनी मैम से मुलाक़ात हुई, तो उनकी मांग का सूनापन दीपा को बेचैन किए दे रहा था. क्या गीतेश सर के साथ कोई हादसा हो गया? अभी उनकी उम्र ही क्या थी?
किसी तरह शाम हुई तो वह दामनी मैम के घर जा पहुंची. वह उसी का इंतज़ार कर रही थी.
“मैम, वो…’’ सोफे पर बैठते हुए दीपा के होंठ हिले. वह चाहते हुए भी अपना वाक्य पूरा नहीं कर पाई…
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…
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