कहानी- दिल ढूंढ़ता है 3 (Story Series- Dil Dhoondta Hai 3)

 सभी का इतना स्नेह और प्रेम पा उसके दिल में बुझ रही प्रेम की चिंगारी फिर से भड़क उठी और दिल में प्यार का एक सैलाब-सा उमड़ा और ख़ुशी से उसकी आंखें नम हो गईं.  बालू पर बैठी कावेरी के मन में ऐसे ही अनेक विचार उमड़-घुमड़ रहे थे. तभी योगेशजी दो आइस्क्रीम लेकर आ गए. दोनों चुपचाप बैठे आइस्क्रीम खाते रहे.  हालांकि योगेशजी चुप थे, फिर भी न जाने क्यूं कावेरी को लग रहा था कि योगेशजी कुछ कहना चाह रहे थे, पर अंतस में छिपी बातें उनके होंठों पर आकर जम-सी गई थीं.

 गाहे-बगाहे फोन कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं. बच्चे सुखी व सम्पन्न हैं, अपनी-अपनी दुनिया में मस्त हैं, यही उसके लिए काफ़ी है.

क्यों जाए वो बेटे के यहां? बच्चों को उसे पकड़ाकर दोनों घूमते फिरेंगे. अब नहीं पड़ना उसे रिश्तों के छलावे में. भले ही वे उसके अस्तित्व के ही हिस्से हैं, पर अब उनकी अलग हस्ती है, जिसमें हस्तक्षेप करने के बदले अपने बचे हुए साल स़िर्फ अपने लिए जीएगी. उसे देश के दर्शनीय स्थलों पर घूमने का बहुत शौक़ था. अब अपनी बची हुई शक्ति और धन वह उसी में लगाएगी. अभी वह अपनी योजना को अंजाम देने की सोच ही रही थी कि एक दिन योगेशजी ने बताया कि निधि और वरुण के साथ-साथ उसकी ननद प्रियंका और देवर दिनेश सभी अपने-अपने परिवार के साथ जाड़े की छुट्टियां बिताने पटना आ रहे हैं.

सुनते ही असंतोष की लहर उसके तन-मन में उतरती चली गई. ये लोग कभी उसे उसके मन का नहीं करने देंगे. फिर भी ‘हां’ करने की विवशता थी, उसने मन ही मन ठान लिया था, इस बार वह सारे कामों की ज़िम्मेदारी अपने सिर नहीं लेगी. अब पहले की तरह उसमें ऊर्जा नहीं बची है. सभी से बांटकर काम करवाएगी.

एक ही दिन बारी-बारी से चारों अपने-अपने परिवार के साथ आ गए. आते ही उन सभी ने घर में अपने काम बांट लिए और हंसी-ख़ुशी से उसे पूरा करने में जुट गए. कावेरी के किचन में पहुंचते ही उन लोगों ने ज़बरदस्ती उसे किचन से बाहर कर दिया.

देवरानी बोली, “बहुत काम कर लिया आपने, अब हम लोगों के बनाए खाने का भी आनंद उठाएं.”

रात में सारे काम जल्दी समाप्त कर उसकी बहू नेहा एक बड़े बैग में उसका सामान व्यवस्थित करने लगी.

उसे ऐसा करते देख कावेरी बुरी तरह चौंकी, “नेहा, ये तुम क्या कर रही हो?”

“मैं इस बैग में आपके कपड़े और दूसरे बैग में खाने-पीने का कुछ सामान पैक कर रही हूं, क्योंकि कल सुबह आप और पापा दोनों ही पुरी घूमने जा रहे हैं. उसके आगे तिरुपति तक जाने की व्यवस्था हम लोगों ने करवा दी है. बस, आप बिना किसी हिल-हुज्जत के अपनी पसंद के कुछ कपड़े और दूसरी चीज़ें भी मुझे बता दीजिए, मैं बैग में डाल दूंगी, क्योंकि सुबह नौ बजे ही यहां से ट्रेन पुरी के लिए रवाना हो जाती है.”

“योगेशजी का सामान…?” कावेरी को अपने कानों पर विश्‍वास नहीं हो रहा था.

“पापाजी की चिंता मत कीजिए. उन्होंने पहले से ही अपना सामान व्यवस्थित कर रखा है. जितने दिनों तक आप लोग घर से बाहर रहेंगे, उतने दिनों तक हम सब इस घर की ज़िम्मेदारियां संभालेंगे और साथ-साथ समय बिताने का आनंद उठाएंगे.”

यह भी पढ़े7 टाइप के किस: जानें कहां किसिंग का क्या होता है मतलब?(7 Different Kisses And Their Hidden Meaning)

बहू की बातों ने उसे एक बार फिर चौंका दिया और ताज्जुब हुआ कि योगेशजी भी सभी के साथ इस सब में शामिल थे. कावेरी की समझ में एक बात नहीं आ रही थी कि लोग ये सब करके उसके लिए स्नेह की ज्योति जला रहे थे या फिर उसके जीवन के छीने गए सबसे अच्छे पलों की भरपाई कर रहे थे. जो कुछ भी हो, मन में अब तक पलता आक्रोश और ग़ुस्सा पिघलने लगा था. सभी का इतना स्नेह और प्रेम पा उसके दिल में बुझ रही प्रेम की चिंगारी फिर से भड़क उठी और दिल में प्यार का एक सैलाब-सा उमड़ा और ख़ुशी से उसकी आंखें नम हो गईं.

बालू पर बैठी कावेरी के मन में ऐसे ही अनेक विचार उमड़-घुमड़ रहे थे. तभी योगेशजी दो आइस्क्रीम लेकर आ गए. दोनों चुपचाप बैठे आइस्क्रीम खाते रहे. हालांकि योगेशजी चुप थे, फिर भी न जाने क्यूं कावेरी को लग रहा था कि योगेशजी कुछ कहना चाह रहे थे, पर अंतस में छिपी बातें उनके होंठों पर आकर जम-सी गई थीं. थोड़ी देर बाद योगेशजी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा.

“सच कहूं तो कावेरी, मुझे भी ऐसी ही किसी यात्रा की चाह थी, जो बहुत कोशिशों के बाद भी कभी पूरी नहीं हो पाई, अब जाकर पूरी हुई है. कभी तुम्हारी तरह मैं भी तुम्हारे साथ के लिए तरसता था. पुरुष हूं न, प्रकट नहीं कर पाया. तुम तो अपने सारे असंतोष का कारण मुझे ठहराकर मन हल्का कर लेती थी, मैं किसे दोषी ठहराता?”

पहली बार कावेरी पति के दर्द को महसूस कर उनके और पास खिसक आई थी व उनके सीने पर सिर रखकर आंखें बंद करते हुए बोली, “देर से ही सही, पर फुर्सत के वे रात-दिन मिले तो सही, जिनको अब तक हम ढूंढ़ रहे थे.”

       रीता कुमारी

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORiES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli