कहानी- कविता के शब्द 6 (Story Series- Kavita Ke Shabad 6)

हारने से अच्छा होगा कि वह इस प्रतियोगिता से वाॅकआउट कर जाए. कम से कम हार का धब्बा तो उसके माथे पर नहीं लगेगा. उसे आयोजकों को सूचित कर देना चाहिए कि उसकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए वह कल की प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो सकती. उन्हें शब्द कुमार को विजेता घोषित कर देना चाहिए. विचलित कविता के अन्तर्मन ने निर्णय लिया.

 

 

 

… ‘‘बहुत बड़ी ग़लती कर रही हो तुम.’’ कुमार शेखर खड़े होते हुए गुर्राए.
‘‘सर प्लीज़, चुपचाप चले जाइए यहां से…’’ कविता चीख उठी.
अब कहने-सुनने को कुछ शेष नहीं बचा था. किसी पराजित योद्धा-सा अपने शरीर को घसीटते हुए कुमार शेखर कमरे से बाहर चले गए. कविता ने दरवाज़ा बंद किया और फफकते हुये बिस्तर पर गिर पड़ी. इन चंद पलों में जो कुछ भी घटित हुआ था, उस पर वह विश्वास नहीं कर पा रही थी. जिस कुमार शेखर को वह अपना आदर्श मानती रही थी, उनका यह रूप उसकी कल्पना से भी परे था. किंतु सत्य अपनी पूर्ण प्रचंडता के साथ सामने उपस्थित था.
भावानाओं का दावानल कविता के अन्तर्मन को झुलसाए दे रहा था. फाइनल में वह कितना ही अच्छा क्यूं न गाए कुमार शेखर के कॉन्ट्रैक्ट में बंधे रोनित सिंह और हिमानी चतुर्वेदी उसे पराजित घोषित करने के लिए मजबूर होंगे. आज तक वह संगीत की छोटी-बड़ी हर प्रतियोगिता जीतती आई थी. अब वह हार का सामना नहीं करना चाहती थी, किंतु परिणाम किसी खुले पृष्ठ की तरह सामने था.

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हारने से अच्छा होगा कि वह इस प्रतियोगिता से वाॅकआउट कर जाए. कम से कम हार का धब्बा तो उसके माथे पर नहीं लगेगा. उसे आयोजकों को सूचित कर देना चाहिए कि उसकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए वह कल की प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो सकती. उन्हें शब्द कुमार को विजेता घोषित कर देना चाहिए. विचलित कविता के अन्तर्मन ने निर्णय लिया.
उसने गिडवानी साहब को सूचित करने के लिए मोबाइल उठाया, लेकिन यह क्या? मोबाइल की रिकाॅर्डिंग अभी भी ऑन थी. कुमार शेखर और उसकी सारी बातें अन्जाने में ही रिकाॅर्ड हो गई थीं. कविता के चेहरे के भाव तेजी से बदलने लगे. चंद पलों तक अनिर्णय की स्थित में रहने के बाद उसने गिडवानी साहब को फोन करने का इरादा त्याग दिया.
अगली शाम शिवाजी ऑडिटोरियम एक बार फिर रौशनी से जगमगा रहा था. उपस्थित जनसमुदाय का उत्साह चरम पर था. पूरे देश के दर्शक फाइनल राउंड का लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए टीवी के सामने मौजूद थे.
मंच पर एंकर की जोशभरी आवाज़ गूंजी, ‘‘दोस्तों, सेमीफाइनल में हम लोगों ने बिल्कुल नया प्रयोग किया था. अंतिम पड़ाव में हमारे साथ दो कलाकार शेष बचे हैं. दोनों ही श्रेष्ठ हैं, किन्तु सर्वश्रेष्ठ का चुनाव करने के लिए हमने एक बार फिर कुछ अलग करने का फ़ैसला किया है…’’
‘‘सर, इससे पहले कि आप फाइनल राउंड की शर्तें बताएं मैं कुछ कहना चाहती हूं.’’ अचानक कविता ने मंच पर आते हुए कहा.
कविता के इस तरह बीच में आ जाने से एंकर पल भर के लिए हड़बड़ाया, फिर अपने को संभालते हुए बोला, ‘‘आइए-आइए, आपका स्वागत है.’’
दर्शकों ने भी तालियां बजाकर कविता का स्वागत किया. कई दर्शक तो जोश में ‘कविता-कविता’ चिल्लाने लगे.
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…


संजीव जायसवाल ‘संजय’

 

 

 

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Usha Gupta

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