कहानी- कविता के शब्द 7 (Story Series- Kavita Ke Shabad 7)

‘‘कविताजी, मैं आपकी हार पर अपनी जीत की इमारत नहीं खड़ी कर सकता. प्लीज़ रुक जाइए.” शब्द कुमार ने इसरार किया, मगर कविता फिर भी नहीं रुकी.

‘‘कविताजी, दुनिया में हर कोई कुमार शेखर नहीं होता. कोई कविता का शब्द भी हो सकता है. प्लीज़ रुक जाइए. आपको आपके श्रोताओं की सौगन्ध…’’

 

 

 

… कविता ने एक गहरी सांस भरी फिर सधे स्वर में बोलना शुरू किया, ‘‘पिछले तीन महीने से देशभर के दर्शकों का जो प्यार मुझे मिला है, उसके लिए मैं आप सबकी हृदय से आभारी हूं. यह प्रतियोगिता देश के सर्वश्रेष्ठ सिंगर की खोज के लिए आयोजित की गई है. प्रतियोगिता के विभिन्न चरणों में हमने सभी कलाकारों को कई-कई बार सुना है, जिसके आधार पर मैं इस नतीजे पर पहुंची हूं कि आज के दौर के सर्वश्रेष्ठ गायक शब्द कुमार हैं. इसलिए मैं फाइनल राउंड से अपना नाम वापस लेती हूं. आयोजकों से अनुरोध है कि वे शब्द कुमार को विजेता घोषित कर दें.’’
पूरे ऑडिटोरियम में सन्नाटा छा गया. किसी की समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह क्या हो गया. इससे पहले कि कोई कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त कर पाता कविता की वाणी एक बार फिर गूंजी, ‘‘आज तक आयोजकों और दर्शकों ने जो चाहा हमने वही सुनाया, लेकिन जाने से पहले मैं आज अपनी मर्ज़ी से आप लोगों को कुछ सुनाना चाहती हूं, अगर इजाज़त हो तो…’’
इतना कहकर कविता ने एंकर की ओर देखा. हतप्रभ एंकर ने आंखो ही आंखो में भी इजाज़त दे दी. कविता ने अपना मोबाइल निकाला और उसे माइक के सामने ऑन कर दिया.
‘‘मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, मगर तुम्हारा स्थान मेरे चरणों में नहीं, बल्कि हृदय में है… कविता, फिल्मी दुनिया की राह बहुत कंटीली है. यहां बिना गॉडफादर के एक कदम भी बढ़ोगी, तो लहुलुहान हो जाओगी. इसलिए मेरी बन जाओ, मैं तुम्हारी ज़िंदगी बना दूंगा…’’
‘‘… कुछ नहीं कर पाओगी तुम. रोनित और हिमानी मेरे साथ पांच साल के काॅन्ट्रैक्ट में बंधे हैं. उनका करियर मेरी मुट्ठी में हैं, इसलिए वे उसी को विजेता घोषित करेंगे, जिसको मैं चाहूंगा…’’
एक-एक करके कुमार शेखर के संवाद माइक पर गूंजने लगे. ऑडिटोरियम में बैठे श्रोताओं और टीवी के सामने बैठे करोड़ों दर्शकों को अपने सुने पर विश्वास नहीं हो रहा था. जिस कुमार शेखर को पूरा देश अपनी पलकों पर बिठाए था उसका यह रूप? इंसान की खाल में छुपा हुआ भेड़िया! कैमरा जूरी की कुर्सी पर बैठे कुमार शेखर के ऊपर टिक गया. उनके चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं. उन्होंने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि उनको इस तरह पूरे देश के सामने बेनकाब किया जा सकता है.
‘‘सर, प्लीज़ चुपचाप यहां से चले जाइए…’’ मोबाइल पर अंतिम संवाद गूंजा. इसी के साथ कविता ने मोबाइल का स्पीकर ऑफ कर दिया और वहां से जाने लगी. एंकर ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं रूकी. सधे कदमों से वह मंच से नीचे उतरने लगी.
‘‘कविताजी, रुक जाइए प्लीज़.’’ तभी माइक पर शब्द कुमार की आवाज़ गूंजी, मगर कविता के कदम नहीं रुके.
‘‘कविताजी, मैं आपकी हार पर अपनी जीत की इमारत नहीं खड़ी कर सकता. प्लीज़ रुक जाइए.” शब्द कुमार ने इसरार किया, मगर कविता फिर भी नहीं रुकी.
‘‘कविताजी, दुनिया में हर कोई कुमार शेखर नहीं होता. कोई कविता का शब्द भी हो सकता है. प्लीज़ रुक जाइए. आपको आपके श्रोताओं की सौगन्ध…’’ शब्द कुमार ने एक-एक शब्द पर ज़ोर देते हुए कहा.
कविता के बढ़ते हुए कदम ठिठक गए. उसने पीछे मुड़ कर देखा, तो शब्द कुमार ने कहा, ‘‘आपने जिस दिलेरी के साथ सच्चाई को सामने रखा है, वैसी हिम्मत कोई विजेता ही कर सकता है. इसलिए इस प्रतियोगिता की असली विजेता आप हैं. मैं अपना नाम वापस लेता हूं. आयोजकों से अनुरोध है कि विजेता का ताज आपके माथे पर पहना दें.’’

यह भी पढ़ें: शब्दों की शक्ति (Power Of Words)

यह सुन कविता के होंठ कंपकंपा उठे. वह कुछ कहना चाह रही थी, मगर कह न पाई. तभी मंच पर श्रीकृष्ण गिडवानी ने आते हुए कहा, ‘‘हां बेटा, वापस लौट आओ. इस प्रतियोगिता के विजेता तुम दोनों ही हो. तुम दोनों ही सच्चे कलाकार हो. तुम दोनों ही मेरी सभी फिल्मों में गाओगे.’’
“सर…’’ कविता के होंठ कांप कर रह गए.
‘‘दोस्तों!’’ श्रीकृष्ण गिडवानी दर्शकों की तरफ़ मुड़े और बोले, ‘‘यह कार्यक्रम अभी समाप्त नहीं हुआ है. कविता और शब्द दोनों अभी गाएंगे, लेकिन जीतने या दूसरे को पराजित करने के लिए नहीं. वे अपनी ख़ुशी के लिए गाएंगे, आपकी ख़ुशी के लिए गाएंगे और आज की इस शाम को अविस्मरणीय बना देगें. आज दो सितारों का उदय हो रहा है आप सब इसके साक्षी होंगे.”
भाव विह्वल कविता अपनी भावनाओं को रोक न सकी. वह दौड़कर वापस आई और श्रीकष्ण गिडवानी के गले से लिपट कर फफक पड़ी. वे उसका सिर सहलाने लगे. ऑडिटोरियम में जमा भीड़ तालियां बजा कर उसकी वापसी का स्वागत कर रही थी. उधर सिक्योरिटी वाले कुमार शेखर को अपने साथ लेकर जा रहे थे.


संजीव जायसवाल ‘संजय’

 

 

 

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

 

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli