कहानी- लव यू विभु…2 (Story Series- Love You Vibhu…2)

“अच्छा बाबा अब नहीं करूंगा ऐसी बातें बस मेरी जान.” उसकी पलकों को चूमते हुए विभु कहता और उसे कसकर अपनी बांहों में भर लेता. तब अनुभा विभु की धड़कनों को अपने दिल के भीतर महसूस करती हुई अपनी सांसों को भारी होते हुए देखते रहती. वह उमंग से भरी एक नदी-सी बन जाती, जो अपने पूरे वेग से बहती हुई समंदर के आगोश में सिमट जाने के लिए उतावली हो जाती.

 

 

 

 

… और फिर अनु आंखों में ढेर सारा प्यार भरकर उसका चेहरा अपने सीने में छुपा लेती. उसके माथे और होंठों पर ढेर सारे चुम्बन ले लेती और देर तक उसके बालों में उंगलियां फेरती रहती. विभु अपलक उसे देखता रहता. किसी सिल्वर ओक या रोडोडेंड्रोन के पेड़ तले वे दुनिया से बेख़बर अपनी ही दुनिया मे घंटों खोए रहते.
ज़िंदगी को भरपूर जीना, एक-एक पल में एक युग को जी लेना विभु की ख़ासियत थी. अनुभा जीवन को ठहरकर, थामकर जीती थी, लेकिन विभु तेज गति से जीता था. कभी अनुभा कहती भी, “क्या जल्दी है तुम्हे इतनी.”
तब विभु कहता, “क्या करें, ज़िंदगी वक़्त ही तो नहीं देती. तभी तुम्हारे पास होता हूं, तो ऐसा लगता है कि कितना डूबकर जी लूं मैं अपनी ज़िंदगी को. हर एक पल को एंजॉय कर लूं. कल का क्या भरोसा.”
“फिर तुमने वही बात की. दुबारा ऐसा बोले, तो मैं कभी बात नहीं करूंगी तुमसे.” अनुभा की आंखें भर आतीं.
“अरे-अरे नहीं बोलूंगा बाबा, माफ़ करो. सॉरी, लेकिन प्लीज़ हंस दो. मैं तुम्हारी आंखों मे आंसू नहीं देख सकता.” विभु तड़प उठता.

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“नहीं देख सकते, तो ऐसी बातें करते ही क्यों हो…” अनुभा उदास स्वर में कहती.
“अच्छा बाबा अब नहीं करूंगा ऐसी बातें बस मेरी जान.” उसकी पलकों को चूमते हुए विभु कहता और उसे कसकर अपनी बांहों में भर लेता. तब अनुभा विभु की धड़कनों को अपने दिल के भीतर महसूस करती हुई अपनी सांसों को भारी होते हुए देखते रहती. वह उमंग से भरी एक नदी-सी बन जाती, जो अपने पूरे वेग से बहती हुई समंदर के आगोश में सिमट जाने के लिए उतावली हो जाती.
विभु के चौड़े सीने में वह चिड़िया-सी दुबक जाती और वह उसे अपने मज़बूत पंखों में समेट लेता. दोनों उड़कर अपने सपनीले संसार में खो जाते. जब तक वह विभु के साथ होती दुनिया कितनी ख़ूबसूरत लगती, उतनी ही ख़ूबसूरत जितना ख़ूबसूरत प्यार होता है. शायद इसीलिए जब प्यार होता है, तो सारी दुनिया ख़ूबसूरत लगने लगती है.
जब विभु वापस चला जाता, तो दुनिया एकदम से खाली और बेरंग लगने लगती.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

 

डॉ. विनीता राहुरीकर

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