कहानी- नई किरण 1 (Story Series- Nai Kiran 1)

45 दिन ही तो हुए हैं केशव को… उस रात दिल का दौरा पड़ा, तो फ्लैट की सोसायटी के गार्ड ने ही एम्बुलेंस की व्यवस्था की. आनन-फानन में अस्पताल भी ले गए, पर सब ख़त्म हो चुका था. दिल का दौरा ऐसा ही होता है कि इंसान को सम्भलने भी नहीं देता.

 

कावेरी ने आज बहुत हिम्मत की और बिस्तर से उठकर खिड़की तक पहुंची. परदों को डोरी को कांपते हाथों से बांधा. खिड़की की चिटकनियों को खोलने के प्रयास में पिछले कईं दिनों की संचित ऊर्जा का इस्तेमाल करना पड़ा. चूं-चूं की आवाज़ के साथ चिटकनी सरक कर नीचे आ गई.
ये तो भला हो कि खिड़की के पल्ले बाहर की ओर खुलते थे, उसने एक हथेली की थाप फिर एक मुक्के की थाप दी, तो खिड़की बाहर की ओर खुल गई. एक ताज़ा हवा का झोंका कावेरी के चेहरे पर आया, तो वो ताज़गी से नहा उठी.
आज से 45 दिन पहले कावेरी भी केशव के संग अपने फ्लैट की पूर्व रुखवाली बालकनी में बैठे हुए धूप लेती थी. केशव अख़बार पढ़ते, बालकनी में पड़े गमलों में पानी देते और कावेरी कभी मटर छीलने के बहाने, तो कभी स्वेटर बुनने के बहाने बालकनी में जमे रहने का बहाना ढूंढती. जब तक धूप दूसरे छोर का रुख ना कर लेती.
यादों की खिड़की उसे और गहरी यादों में ले जाने का प्रयास करने लगी. कावेरी की आंखों से अश्रुकण ढुलक उठे. वो खिड़की से हट गई. खिड़की से धीरे-धीरे कमरे की ओर आई, तो कमरे की दक्षिणी दीवार पर आईना देखकर चौंक गई.
उसके चेहरे की त्वचा पर ना जाने कितनी लकीरों का इज़ाफा हुआ था. उसकी आंखें ढलकी हुई थी और पलकों की बरौनियों मानो सूजन भरे पहाड़ी पर उगी हुई लग रही थी. नाक के दोनों ओर गहरी लकीरें, माथे पर शिकन भरी सिलवटें और बालों का धूसर रंग उसे समय से ज़्यादा आगे बता रहा था.
45 दिन ही तो हुए हैं केशव को… उस रात दिल का दौरा पड़ा, तो फ्लैट की सोसायटी के गार्ड ने ही एम्बुलेंस की व्यवस्था की. आनन-फानन में अस्पताल भी ले गए, पर सब ख़त्म हो चुका था. दिल का दौरा ऐसा ही होता है कि इंसान को सम्भलने भी नहीं देता. प्रांजल और स्वाति जब तक पहुंचे, तब तक तो डॉक्टर्स ने वापस घर ही रवाना कर दिया था. आख़िर नोएडा से यहां तक पहुंचने में ट्रैफिक के बीच से पहुंचने में देर तो लगती ही है ना. प्राची तो छतीसगढ़ से अगले ही दिन पहुंच पाई थी.

यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित घर पर सेल्फ आइसोलेशन में कैसे रहें? जल्दी रिकवरी के लिए रखें इन बातों का ख्याल (Treating COVID-19 at home: Self Isolation Guidelines For Covid Positive Patients)

13 दिन की दुनियावी रस्मों-रिवाज़ के बाद सब रिश्तेदार तो चले ही गए. अब प्रांजल भी स्वाति को लेकर जाऊं-जाऊं वाले भाव में दो दिन ही ज़्यादा रह पाया. कावेरी अकेली रह गई थी, दूसरा विकल्प भी कहां था. केशव ने हमेशा ही कावेरी को मानसिक रूप से तैयार किया था कि वो कहीं नहीं जाएगी और ना ही ये फ्लैट बेचेगी भले ही कितनी विपरीत परिस्थिति आए.
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

संगीता सेठी

 

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Usha Gupta

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