कहानी- प्यार को प्यार ही रहने दो 5 (Story Series- Pyar Ko Pyar Hi Rahne Do 5)

हमारे लिए कितना कठिन था एक-दूसरे के सामने औपचारिकता का नाटक करना.
मैंने देखा बाहरी आवरण में तो उसमें बहुत परिवर्तन आ गया था, लेकिन उसकी बोलती आंखें, जैसे अभी भी चालीस साल पहले की तरह मूक प्रेम निवेदन कर रही थीं. दोनों के हाव-भाव से लगा ही नहीं कि हम सालभर से लगातार संपर्क में हैं और हमारे मन के अंदर कितनी हलचल मची हुई है. अभी तक तो सुना था कि जब दो लोग एक-दूसरे को शिद्दत से चाहते हैं, तो सारी कायनात उन्हें मिलाने में जुट जाती है, लेकिन अब यह अनुभव कर रही थी.

हम दोनों ने ही एक-दूसरे को देखने की स्वाभाविक इच्छा प्रकट की, तो मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने कहा, “मैं कभी इंदौर किसी काम से आया, तो तुमसे ज़रूर मिलूंगा. मेरे एक-दो दूर के रिश्तेदार वहां रहते हैं.” जहां चाह वहां राह वाली कहावत चरितार्थ करते हुए वह वक़्त भी आ गया, जब किसी विवाह समारोह में आने का निमंत्रण मिलने पर वह इंदौर आया. वो समय निकालकर मेरे घर भी अपनी पत्नी के साथ आया. मेरे पति घर में ही थे. दो घंटे हमने एक साथ बिताए.
हमारे लिए कितना कठिन था एक-दूसरे के सामने औपचारिकता का नाटक करना.
मैंने देखा बाहरी आवरण में तो उसमें बहुत परिवर्तन आ गया था, लेकिन उसकी बोलती आंखें, जैसे अभी भी चालीस साल पहले की तरह मूक प्रेम निवेदन कर रही थीं. दोनों के हाव-भाव से लगा ही नहीं कि हम सालभर से लगातार संपर्क में हैं और हमारे मन के अंदर कितनी हलचल मची हुई है. अभी तक तो सुना था कि जब दो लोग एक-दूसरे को शिद्दत से चाहते हैं, तो सारी कायनात उन्हें मिलाने में जुट जाती है, लेकिन अब यह अनुभव कर रही थी. पर क्या लाभ ऐसे मिलने का, परिस्थितियां बदल गई हैं. विवाह के बाद ऐसे रिश्ते अनैतिक माने जाते हैं, लेकिन विवाह तो एक समझौता होता है. प्यार का एहसास तो इस रिश्ते से बहुत परे होता है. फिर इसको समाज ने अनैतिकता के दायरे में क्यों कैद कर रखा है?

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शरीर कैद हो सकता है, लेकिन एहसास के तो पंख होते हैं, वह तो कभी भी आज़ाद होकर खुले आसमान में विचरण करने लगता है. मैं मन ही मन बुदबुदाई. वैसे भी मैं आरंभ से ही खुले विचारों की रही हूं. पति-परमेश्‍वर वाली मानसिक संकीर्णता मुझे पसंद नहीं. श्याम ने मेरी इस सोच को और भी हवा दे दी थी. वह चला गया, लेकिन अपने पीछे एक एहसास छोड़ गया, जो किसी रिश्ते का मोहताज नहीं है, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप हम दोनों के बीच की दूरियां अर्थहीन हो गई थीं. मशहूर गीतकार गुलज़ार ने प्यार की परिभाषा को अपने एक गीत में बहुत भावपूर्ण तरी़के से अभिव्यक्त किया है- स़िर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो…

 

        सुधा कसेरा

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