कहानी- तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय 2 (Story Series- Tumahari Bhi Jai Jai, Humari Bhi Jai Jai 2)

“लड़कियों को ख़ुद को साबित करने का मौक़ा मिलना चाहिए.”

“मैं आपको कैसा लगा? पसंद हूं?”

श्रेष्ठी को प्रश्‍न आकस्मिक कम, पर अस्वाभाविक अधिक लगा. अभी तक जिन लड़कों से सामना पड़ा वे उसे पसंद, बल्कि नापसंद करने आए. यह पहला है, जो ख़ुद को पसंद करवाने आया है. वो बोली, “पहले आप बताएं.” श्रेयस ने एक भौंह ऊपर चढ़ा ली. लड़की बुद्धिमान है. सोच-समझकर उत्तर दे रही है.

“मैं आपकी स्टाइल से प्रभावित हूं, लेकिन आप थोड़ी मोटी हैं. आगे चलकर अधिक मोटी हो सकती हैं. मोटापा कम करना होगा.”

श्रेष्ठी पर दायित्व भार नहीं रहेगा. हरे कृष्ण को संतोष है, श्रेयस के पिता कृषि महाविद्यालय के रिटायर प्रिंसिपल हैं और फायनांस में एम.बी.ए. श्रेयस का पैकेज 15 लाख है. उधर श्रेष्ठी इन सब से बहुत व्यथित थी. बड़ी आरज़ू-मिन्नत के बाद आने को तैयार हुई, “आ रही हूं मां, पर लड़केवालों ने दंभ दिखाया, तो सबक सिखाऊंगी.”

“लड़कीवालों को नम्र होना चाहिए.”

“नम्रता से सबक सिखाऊंगी.”

लड़केवालों के लिए होटल में दो रूम बुक कर दिए गए. मैहर समीप होने से वे लोग शारदा देवी के मंदिर भी जाएंगे. होटल के माध्यम से मैहर के लिए बड़ी गाड़ी बुक की है. श्रेष्ठी का बड़ा भाई और भाभी मिर्ज़ापुर में रहते हैं, इसलिए नहीं आ सके. माता-पिता के साथ रहता श्रेष्ठी का छोटा भाई हर्ष मुस्तैदी से तैयारी में लगा है. हर्ष अपनी बाइक से श्रेयस को और हरे कृष्ण कार से बाकी लोगों को रेलवे स्टेशन से होटल ले आए.

पिता-पुत्र का चेहरा ऐसा हो रहा है, मानो कृतार्थ किए जा रहे हैं. शाम को बाइक और कार से मेहमान घर लाए गए. बैठक की सजावट देख संभावित लेन-देन का अनुमान बनेगा. ऐसे प्रायोजित अवसर पर वही तयशुदा बातें होती हैं, जिनका ज़िक्र बायोडाटा में साफ़-साफ़ छपा होता है, “हरे कृष्णजी आपका बड़ा बेटा क्या करता है? बहू कहां की है? आपका नेटिव प्लेस… परिवार में और कौन-कौन हैं…?”

हरे कृष्ण और अनुराधा कभी हंसते, कभी मुस्कुराते हुए वही बता रहे हैं, जो श्रेष्ठी के बायोडाटा में लिखा है. ऐसे मौक़ों पर लड़कीवालों को वजह-बेवजह हंसना पड़ता है कि ख़ुशहाल मिलनसार परिवार जान पड़े.

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संकेत मिलने पर हर्ष श्रेष्ठी को बुला लाया. जींस-टॉप श्रेष्ठी की फेवरेट ड्रेस है, लेकिन लड़के वालों के सम्मुख भारतीयता पर ज़ोर देना चाहिए. वह सलवार-कुर्ते और अत्यधिक सलीके से डाले गए दुपट्टे के साथ प्रस्तुत हुई. अतिथियों की

खोजी नज़रें श्रेष्ठी पर. बायोडाटा से काफ़ी कुछ मालूम होने के बावजूद श्रेयस की अल्पशिक्षित मां ने तुम्हारा नाम क्या है? पूछने जैसी मूर्खता न दिखाकर यह पूछा, “एम.बी.ए. कउन कॉलेज से की हो?”

यद्यपि बायोडाटा में संस्थान का नाम अंकित है, “सिमबॉयसिस, पूना.”

श्रेयस के पिता बोले, “तुम पूना में जॉब कर रही हो, श्रेयस दिल्ली में. कैसे होगा?”

श्रेष्ठी बोली, “तमाम लड़कियां जॉब कर रही हैं. मैनेज हो जाता है.”

“नीति (श्रेयस की भाभी) नौकरी नहीं करती.” कहकर पिता इस तरह मुस्कुराए कि अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि श्रेष्ठी को नौकरी करने देंगे या नहीं. श्रेष्ठी की इच्छा हुई कहे, “हो सकता है नीतिजी मेरी तरह डिज़र्विंग न हों, हो सकता है नौकरी न करना चाहती हों, हो सकता है नौकरी न मिल रही हो…” पर नहीं कहा, वरना लड़की तेज़ है का ठप्पा लग जाएगा.

डिनर के बाद हर्ष श्रेष्ठी और श्रेयस को छत पर छोड़ गया कि श्रेयस श्रेष्ठी से कुछ पूछना चाहता हो, तो पूछ ले. श्रेयस ने अब तक कई लड़कियों को छेड़ा है. एक लड़की से एकतरफ़ा प्रेम किया. दो लड़कियों से ब्रेकअप हो चुका है. तीन लड़कियों को रिजेक्ट किया. दो लड़कियों को लटकाए हुए है कि सोचने के लिए वक़्त चाहिए. इस वक़्त असमंजस में शांत बैठा है.

आत्मविश्‍वास से भरपूर श्रेष्ठी. रोमियो टाइप लड़कों को टाइट करना जानती है. अपने बॉस के ग़लत इरादे को नेस्तनाबूद कर चुकी है.

आवेदकों का इंटरव्यू कुशलतापूर्वक लेती है, पर वो भी इस वक़्त असमंजस में शांत बैठी है. आख़िर श्रेयस ने बात शुरू की, “आप पूना में जॉब करती हैं, मैं दिल्ली में. डिस्टेंट मैरिज में फैमिली लाइफ प्रभावित होती है.”

“दोनों मिलकर एडजस्ट करें, तो कोई परेशानी नहीं होती. वैसे मैं रिक्वेस्ट करूंगी मुझे दिल्ली ऑफिस में भेज दिया जाए या जॉब छोड़कर दिल्ली में दूसरे जॉब के लिए ट्राई करूंगी.” कहते हुए श्रेष्ठी ने निर्णायक नज़र से श्रेयस को देखा.

लंबा और हैंडसम है. सामने के बाल गिर गए हैं, पर केश पतन से भव्य दिखता ललाट इसे बुद्धिमान दर्शा रहा है.

“नौकरी नहीं छोड़ना चाहतीं?”

“लड़कियों को ख़ुद को साबित करने का मौक़ा मिलना चाहिए.”

“मैं आपको कैसा लगा? पसंद हूं?”

श्रेष्ठी को प्रश्‍न आकस्मिक कम, पर अस्वाभाविक अधिक लगा. अभी तक जिन लड़कों से सामना पड़ा वे उसे पसंद, बल्कि नापसंद करने आए. यह पहला है, जो ख़ुद को पसंद करवाने आया है. वो बोली, “पहले आप बताएं.” श्रेयस ने एक भौंह ऊपर चढ़ा ली. लड़की बुद्धिमान है. सोच-समझकर उत्तर दे रही है.

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“मैं आपकी स्टाइल से प्रभावित हूं, लेकिन आप थोड़ी मोटी हैं. आगे चलकर अधिक मोटी हो सकती हैं. मोटापा कम करना होगा.”

श्रेष्ठी ने माना लड़केवाले अपनी कल्पना को कितना ही नीचे खिसका लाएं, इनके अहंकार में फ़र्क़ नहीं आता. अब तक के अनुभव और अनुमान उसके जेहन में दबाव बनाने लगे. अब तक बात नहीं बन पाई, क्योंकि लेन-देन लड़केवालों को नहीं जम रहा था. इस तरह मुंह पर उसे किसी लड़के ने मोटी नहीं कहा. यह बड़ा घाघ है. सीधे मोटी. बाद में पता नहीं क्या-क्या कहेगा. इसे पाठ पढ़ाना पड़ेगा कि लड़केवाले सर्वश्रेष्ठ नहीं होते. उनमें भी कमियां होती हैं.

“आप थोड़ा टकलू हैं.”

“क्या मतलब?”

   सुषमा मुनीन्द्र

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