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चंद्रमा पर हुए अब तक के अधिकतर शोध बताते हैं कि यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता…
संगीत और भारतीय संगीत की जहां तक बात है तो उसकी उत्पत्ति वेद- साम वेद से मानी जाती है. कहा जा सकता है किवेदिक चांट्स मूल व प्राचीनतम भारतीय संगीत हैं. चांट्स और मंत्रों की निश्चित रिदम और फ़्रीक्वनसी होती है जो हमारे मन मस्तिष्क को प्रभावित करती है. यही वजह है किसंगीत को एक तरह से थेरपी माना जाता है जिस से मन शांत होता है. शोधों से यह बात सामने आई है कि क्रोध और अग्रेसिव बिहेवीयर को कंट्रोल करने के लिए संगीत काफ़ी कारगर सिद्ध हुआ है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण ये हैं किसंगीत एक तरह से ध्वनि है और साइंस के मुताबिक़ ध्वनि यानी साउंड एक तरह की एनर्जी है. हर साउंड की एक निश्चितफ़्रीक्वन्सी होती है. यही वजह है कि वो हमारे मन मस्तिष्क और शरीर पर असर डालता है. फ़्रीक्वन्सी हमारे शरीर केविभिन्न चक्रों पर असर डालकर उन्हें जागृत करती है. कई जगह यहाँ तक कि डॉक्टर भी संगीत को इलाज के लिए यूज़ करते हैं, क्योंकि जब संगीत से हमारे चक्र जागृत होने लगते हैं तो ऐसे में जब सम्बंधित बीमारी से जुड़े अंगों को वाइब्रेट करता है, चक्रों को जगाकर ऊर्जा प्रदान करता है जिससे हॉर्मोन्स संतुलित होते हैं और बीमारी की अवस्था सुधरने लगती है. यही नहीं, संगीत से मस्तिष्क हैपी होर्मोंस रिलीज़ करता है जिस से हम बेहतर महसूस करते हैं और हमारा व्यवहार और बीमारी भी ठीक होने लगती है. यही प्रभाव जानवरों पर भी पड़ता है और यहाँ तक कि जानवरों को मंत्र भी सुनाए जाते हैं तो उसका भी असर इन्हें शांत बनाता है क्योंकि मंत्र भी साउंड हैं जिनकी अपनी फ़्रीक्वन्सी होती है. जब हम उनका जाप करते हैं तो शरीर में वायब्रेशन पैदा होता है जिससे अंगों में संतुलन आता है, ज़हरीले तत्व बाहर निकलते हैं, प्राण शक्ति उत्पन्न होती है और हम बेहतर स्वास्थ्य की ओर बढ़ते हैं. यह भी पढ़ें: तुलसी को पवित्र मानकर…
आपने देखा ही नहीं ख़ुद अनुभव भी किया होगा कि लोग अपनी सेहत का ख़्याल कई तरह की थेरेपी के मुताबिक करते हैं. मसलन कोई एलोपैथिक मेडिसिन्स ले रहा है, कोई होमियोपैथी, तो कोई आयुर्वेद से अपना इलाज करवाता है, इसी क्रममें स्वस्थ रहने के लिए आज हम आपको मंत्र और ख़ासतौर से तुलसी मंत्र के बारे में जानकारी देंगे, ताकि आप भी मंत्रों केहेल्थ और साइंटिफिक कनेक्शन को बेहतर तरी़के से समझ सकें. दरअसल, तुलसी एक होली प्लांट तो है ही इस पौधे के अनेक हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं. लेकिन यह तुलसी जब तुलसी मंत्रसे सिंक्रोनाइज़्ड होता है, तब यह बीमारियों को ठीक करने में अद्भुत परिणाम देता है. तुलसी मंत्र वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।। एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम। य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।। तुलसी मंत्र के सही जाप करने वाले की सेहत भी दुरुस्त रहती है और अगर उसे कोई बीमारी है तो तुलसी मंत्र के जाप सेबीमारी भी भाग जाती है. आपको पता ही होगा कि प्राचीन काल में भारतीय ऋषियों और मुनियों ने मंत्र विज्ञान का आविष्कार किया था. दरअसल, तपस्या से समाधि की यात्रा के दौरान ऋषियों-मुनियों का ध्वनि के प्रभाव का अद्भुत ज्ञान हो गया था. उन्हें पता चल गयाथा कि ध्वनि के प्रभावों का इस्तेमाल इंसान की सेहत ठीक रखने में किया जा सकता है. लिहाज़ा, ईसा पूर्व 1700 से1300 ईसवी के दौरान, जिसे भारतीय इतिहास में वैदिक काल के रूप में जाना जाता है, अनेक मंत्र बनाए गए. संस्कृत मेंलिखे गए इन मंत्रों को इस तरह पिरोया गया था कि इन तमाम मंत्रों के जाप से हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में एक रिदमपैदा होता है. इस रिदम का कनेक्शन दिमाग़ से होता है और दिमाग़ बहुत ज़्यादा ऐक्टिव हो जाता है. ऐक्टिव दिमाग़ शरीरमें ऊर्जा का अतिरक्त संचार करता है. कमोबेश तुलसी मंत्र भी इसी थ्यौरी के मुताबिक काम करता है. इतना ही नहीं तुलीस मंत्रों के जाप यानी उच्चारण के दौरान जीभ और होंठ में जो मूवमेंट होता है यानी तुलसी मंत्र के जापसे जो फ्रीक्वेंसी पैदा होती है. इस फ्रीक्वेंसी का सकारात्मक असर जाप करने वाले के मन और शरीर पड़ता है. आपनेदेखा होगा, या जब जाप करेंगे तो देखेंगे, तुलसी मंत्र के लगातार जाप से जीभ और तालू बार-बार एक दूसरे को एक ख़ासरिदम से टच करते हैं. इस रिदम का असर इंसान की नाभि या बेलीबटन पर भी पड़ता है. इसका अल्टीमेट असर शरीर केहर प्रेशर पॉइंट पर पड़ता है.. अंततोगत्वा शरीर का हर अंग ऐक्टिव और एनर्जेटिक हो जाता है. इससे हर अंग को ज़रूरीऑक्सीजन मिलने लगता है और ऑक्सीजन मिलते से इंसान स्वस्थ्य महसूस करने लगता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें... तुलसी मंत्र किसी ख़ास बीमारी को दूरी नहीं करता... बल्कि यह अद्भुत मंत्र इंसान केपूरे शरीर को निरोग रखने में मदद करता है. आपको हम बताते चलें कि तुलसी मंत्र का सबसे ज़्यादा असर तुलसी के पौधेके सानिध्य में होता है. इसीलिए, इसीलिए हर थेरेपी की दवा बनाते समय तुलसी के पौधे को भी लिया जाता है. सनातन धर्म में तुलसी का पौधा वैदिक काल से ही विष्णु प्रिया के रूप में पूजा जाता है. इसीलिए तुलसी ही नहीं उसकेपौधे को धार्मिक, पावन, शुद्ध और शुभ माना जाता है. मानयता के अनुसार तुलसी के पत्तों को आमतौपर पर सूर्योदय होनेके बाद ही तोड़ा जाता है. यह भी मान्यता है कि तुलसी के पत्ते 11 दिनों तक बासी नहीं माने जाते. इसीलिए इन पत्तियों कोरोज़ाना जल से धोकर फिर से भगवान को चढ़ाया जा सकता है. अगर आप अपने घर-परिवार को खुशहाल, रोगमुक्त और धन धान्य से संपन्न करना चाहते हैं तो तुलसी मंत्र का जाप करे्ं।अगर मैक्सिमम हेल्थ बेनिफिट्स चाहते हैं, तो विशेष तौर पर एकादशी तिथि पर तुलसी मंत्र का सही जाप ज़रूर करें... तुलसी मंत्र का जाप तुलसी के पौधे को जल चढ़ाते हुए करने से ज़्यादा लाभ स्वास्थ्य लाभ मिलता है. सुबह नहा-धोकरतुलसी के पौधे में जल चढ़ाते हुए तुलसी मंत्र का 108 बार जाप करने से घर में जाप करने वाला सुखी और निरोग रहता हीहै, उसके घर में वैभव भी बढ़ता है. अगर आप अपने शरीर को तंदरुस्त रखना चाहते हैं तो रोजाना सुबह नहाने के बाद तुलसी के पौधे को पानी देते हुए तुलसीमंत्र का 108 बार जाप ज़रूर करें... - रिंकु शर्मा