romance

पहला अफेयर: अधूरा प्यार, मुकम्मल एहसास! (Pahla Affair, Love Story: Adhura Pyar, Mukammal Ehsaas)

ये भीगता मौसम, ये बरसती फ़िज़ा… मन के किसी कोने में तुम्हारी यादों की सोंधी महक को फिर हवा दे जाते हैं… जब-जब ये बारिश होती है, तन के साथ-साथ मन को भी भिगो देती है… कैसी अजीब सी कशिश थी तुम्हारी उस सादगी में भी, कैसी रूमानियत थी तुम्हारी आंखों की उस सच्चाई में भी… मेरा पहला जॉब वो भी इतने बड़े बैंक में. थोड़ा डर लग रहा थालेकिन तुमने मुझे काफ़ी कम्फ़र्टेबल फील कराया था. हर वक्त मेरी मदद की और न जाने कैसे धीरे-धीरे एक दिन अचानक मुझे ये एहसास हुआ कि कहीं मैं प्यार में तो नहीं?  कुछ दिन अपने दिल को समझने और समझाने में ही बीत गए और उसके बाद मैंने निर्णय ले लिया कि तुमसे अपनीफ़ीलिंग्स का इज़हार कर दूंगी क्योंकि घर में भी मेरी शादी को लेकर बात चलने लगी थी.  मैंने देर करना ठीक नहीं समझा और कहीं न कहीं मुझे भी ये लगने लगा था कि तुम्हारा भी खिंचाव और लगाव है मेरीतरफ़. मैंने लंच में तुमसे बिना झिझके साफ़-साफ़ अपने दिल की बात कह दी. तुमने भी बड़े सहज तरीक़े से मुझसे कहाकि तुम भी मुझसे प्यार करने लगे हो लेकिन एक सच है जो तुम मुझे बताना चाहते हो, लेकिन शाम को फ़ुर्सत में…  ‘निशांत, कहो क्या कहना चाहते हो?’ ‘निधि मैंने तुमको अपने घर इसलिए बुलाया कि बात गंभीर है और मैं तुमको अंधेरे में नहीं रखना चाहता. निधि ये तस्वीर मेरी 3 साल की बेटी किट्टू की है.’  ‘तुम शादीशुदा हो? तो तुमने मुझे अपने घर क्यों बुलाया? तुम्हारी पत्नी और बेटी कहां हैं?’ ‘निधि, यही सब बताने के लिए तो बुलाया है तुम्हें! मेरी पत्नी और मैं अलग रहते हैं. हमने तलाक़ का फ़ैसला लिया है. किट्टू भी राधिका के साथ ही है. मेरी पत्नी राधिका को मेरी सादगी और सहजता पसंद नहीं थी. उसको शुरू से लगता था कि मैंऔरों की तरह स्मार्ट नहीं. उसकी ख्वाहिशें भी बहुत बड़ी थीं जो मैं पूरी न कर सका, इसलिए हमने अलग होने का फ़ैसला किया है.’ ‘निशांत मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं और तलाक़ तक तो क्या, ताउम्र तुम्हारा इंतज़ार कर सकती हूं!’  इसके बाद सब कुछ ठीक चल रहा था, मेरी शामों में रूमानियत घुलने लगी थी, दिन रंगीन हो ही रहे थे कि निशांत ने बताया उसकी बेटी किट्टू बहुत बीमार है और राधिका वापस घर लौट आई है क्योंकि किट्टू अपने मम्मी-पापा दोनों के साथ रहना चाहती थी. किट्टू की रिपोर्ट्स से पता चला कि उसको ब्रेन ट्यूमर है और सर्जरी करनी पड़ेगी, जो काफ़ी रिस्की है!  मैंने निशांत को कहा कि फ़िलहाल वो किट्टू पर ध्यान दे.  ‘क्या बात है निशांत, तुम इतने उलझे-उलझे क्यों रहते हैं इन दिनों? किट्टू ठीक हो जाएगी, ज़्यादा सोचो मत!’ ‘निधि किट्टू की फ़िक्र तो है ही लेकिन एक और बात है, राधिका काफ़ी बदल गई है. उसका कहना है कि किट्टू हम दोनों केसाथ रहना चाहती है और उसकी ख़ातिर वो खुद को बदलना चाहती है, लेकिन मैंने उसे अपने और तुम्हारे रिश्ते के बारे मेंबता दिया है, राधिका को कोई आपत्ति नहीं, पर किट्टू की ज़िद का क्या करूं. वो बस यही कहती है कि उसको मम्मी-पापा दोनों के साथ रहना है!…

July 13, 2021

रिश्तों को पाने के लिए कहीं ख़ुद को तो नहीं खो रहे आप? (Warning Signs & Signals That You’re Losing Yourself In A Relationship)

कोई भी रिश्ता हो, वो कुछ न कुछ चाहता है, कुछ वादे, कुछ सपने, कुछ शर्तें, तो कुछ सामंजस्य व…

March 16, 2021

वैवाहिक जीवन में रोमांस बढ़ाने के स्मार्ट वास्तु टिप्स (Smart Vastu Tips To Increase Romance In Married Life)

आपसी प्यार, देखभाल और सम्मान किसी भी स्वस्थ रिश्ते की मुख्य नींव है. यही वह चीज़ है, जो ज़्यादातर शादीशुदा…

March 12, 2021

रोमांटिक क्विज़: जानिए कितने रोमांटिक कपल हैं आप (Romantic Quiz: How Much Romantic Couple Are You)

शादी के कुछ सालों बाद अधिकतर कपल्स की ये शिकायत होती है कि उनका रिश्ता अब पहले जैसा रोमांटिक नहीं…

March 11, 2021

रूटीन हो गए रिश्ते, तो बदलें रिश्तों का रूटीन… (Relationship Goals: Smart Ways To Kill Routine And Revive Your Romance)

क्या आपके रिश्ते में भी ऐसा मोड़ आ गया है कि आपको उनसे ऊब-सी होने लगी है? क्या ऐसा लगता…

February 11, 2021

पहला अफेयर… लव स्टोरी: हदें प्यार की… (Pahla Affair, Love Story: Hadein Pyar ki)

कहते हैं प्यार में सब कुछ जायज़ है लेकिन सुमित की सोच कुछ अलग ही थी...  आज सुमित को एक अरसे बाद देखा वोभी अपने पति की ऑफ़िस पार्टी में. बालों में हल्की सफ़ेदी झलक रही थी पर व्यक्तित्व उतना ही आकर्षक और शालीन... दिल पुरानी यादों में डूब गया. मुझे याद है एक-एक लम्हा जो सुमित की बाहों में बीता था, कितना हसीन हुआ करता थातब सब कुछ. सुमित और मैं साथ ही पढ़ते थे और उसका घर हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था. वो बस कुछ ही वक़्त पहलेयहां शिफ़्ट हुआ था. कॉलेज का आख़िरी साल था और सुमित ने भी मेरे ही कॉलेज में एडमिशन ले किया था. आते-जातेपहले आंखें मिलीं और फिर साथ पढ़ते-पढ़ते दोस्ती हो गई.  सुमित काफ़ी समझदार था और मैं उसकी इसी समझदारी की क़ायल थी. मैंने उसे अपने दिल की बात कहने में देर नहींलगाई और उसने भी अपनी भावनाओं का इज़हार कर दिया. पढ़ाई पूरी हुई और घर में मेरी शादी की बातें भी होने लगीं. एक रोज़ पापा ने ऐलान कर दिया कि लड़केवाले आ रहे हैं देखने. मैं घबरा गई और भागकर सुमित के पास गई. उसेबताया तो उसने कहा कि मैं घरवालों को बता दूं और कल वो भी आकर पापा से बात करेगा.  मैंने हिम्मत जुटाकर मम्मी-पापा को अपने प्यार का सच बता दिया. पापा ने भी कहा ठीक है सुमित को आने दो कल, तभीबात करेंगे पर फ़िलहाल जो लोग देखने आ रहे हैं उस पर ध्यान दो. लड़केवाले तो आकर चले गए पर मुझे कल का इंतज़ार था. सुमित आया और पापा ने मुझे भी बुलाया. पापा बोले- मुझेलव मैरिज से कोई प्रॉब्लम नहीं है, ये सुन मैं एक पल को खुश हो गई, पर पापा की आगे की बातें सुन मैंने उम्मीद छोड़ दी.  “सुमित अगर तुम हमारे समाज के होते तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती क्योंकि तुम होनहार हो, समझदार हो लेकिन मैंअपने समाज के विरुद्ध जाकर रचना की शादी नहीं कर सकता. मुझे भी नाते-रिश्तेदारों को जवाब देना है. मैं तुम दोनों कोभ्रम में नहीं रखना चाहता इसलिए साफ़-साफ़ कह दिया.” मेरे सारे सपने बिखरते नज़र आए मुझे... रात के एक बज रहे थे... “अरे रचना, इतनी रात तुम मेरे यहां? सब ठीक तो है?”  “सुमित चलो भाग चलते हैं, हम अपने प्यार को ऐसे हारते देख नहीं सकते. शादी कर लेंगे तो पापा ज़रूर माफ़ कर देंगे.” “रचना, मैं अपने प्यार को ऐसे कलंकित नहीं कर सकता, यूं चोरी-छिपे शादी करना ठीक नहीं, तुम्हारे घरवालों की औरतुम्हारी भी बदनामी होगी. मैं तुम्हें बदनाम कैसे कर सकता हूं, सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए? प्यार का अर्थ पाना ही नहीं होताबल्कि खोना भी होता है. मुझे उम्मीद है तुम हमारे प्यार की लाज रखोगी और अपनी शादी को दिल से निभाओगी! मेरीख़ातिर... चलो तुम्हें घर छोड़ दूं.” मैं आंसुओं के सैलाब में डूब गई और चुपचाप शादी भी कर ली. पापा ने विदाई के समय कहा था, “मुझे माफ़ कर देनाबेटा, मैं कायर निकला!” मेरे पति अरुण काफ़ी अच्छे और नेकदिल थे, लेकिन सुमित की कमी हमेशा ही खली!  “अरे रचना, इनसे मिलो, ये सुमित हैं, कुछ ही दिन पहले इनका यहां ट्रांसफ़र हुआ है.” मेरे पति ने सुमित से मिलवाया और मैं बीते वक्त से वर्तमान में लौट आई.  मौक़ा पाते ही मैंने सुमित से उसका नंबर ले लिया. हिम्मत जुटाकर फ़ोन लगाया. हालचाल पूछा, पत्नी-परिवार के बारे मेंपूछा. “रचना, मैंने शादी नहीं की. किसी और से शादी करके मैं उसके साथ अन्याय नहीं करना चाहता था. मेरा प्यार तो तुम होऔर हमेशा रहोगी.” मैं समय निकालकर सुमित के घर जा पहुंची... “रचना तुम्हें इस तरह नहीं आना चाहिए था, किसी को पता चलेगा तोतुम्हारे लिए परेशानी हो जाएगी” “मैं खुद को रोक नहीं पाई और अब जब हम एक ही शहर में हैं तो मिल तो सकते ही हैं ना...” ख़ैर कुछ देर रुककर मैं घर लौट आई. ऐसा लगा ज़िंदगी फिर मुझे सुमित के क़रीब रहने का मौक़ा देना चाहती है... …

February 7, 2021

रिश्तों में बोले गए कुछ झूठ बना सकते हैं आपके रिश्ते को मज़बूत! (Lying In Relationships: 15 Good Lies To Tell Your Partner For Happy And Strong Relationship)

रिश्तों का दूसरा नाम सच्चाई और ईमानदारी है और ऐसे में अगर हम यह कहेंगे कि झूठ बोलने से आपके रिश्ते मज़बूत हो सकते हैं तो आपको लगेगा ग़लत सलाह से रहे हैं, लेकिन यहां हम ऐसे झूठ की बात कर रहे हैं जिनसे किसी का नुक़सान नहीं होगा बल्कि सुनने वालों को ये झूठ बेहद पसंद आएगा.  अगर आपकी पत्नी आपसे पूछती है कि क्या मैं पहले से मोटी हो गई हूं तो भले ही यह सच हो कि उनका वज़न बढ़ा हो पर आप कह सकते हैं कि बिल्कुल नहीं, तुम मोटी नहीं हेल्दी हो और पहले से ज़्यादा ख़ूबसूरत लगती हो.इसी तरह अगर आपकी पत्नी पूछे कि यह रंग मुझपर कैसा लग रहा है तो अगर आप कहेंगे कि अच्छा नहीं लग रहामत पहनो तो उनको चिढ़ होगी, बेहतर होगा आप कहें यह तो खूब फब रहा है लेकिन अगर इसकी जगह ये वालापहनोगी तो और भी हसीन लगोगी.अगर पति ने कुछ बनाकर खिलाने की कोशिश की है और स्वाद उतना अच्छा नहीं बन सका तो भी आप ज़रूर कहेंकि कोशिश तो क़ाबिले तारीफ़ है, अगली बार इसमें थोड़ा सा ये मसाला भी ट्राई करना तो टेस्ट कुछ अलग होगा.अगर आपको पति का फ़ोन पर ज़ोर ज़ोर से बात करना नहीं भाता तो सीधे आवाज़ कम करने या यह कहने के कि कितना ज़ोर से बोलते हो, यह कहें- तुम्हारी धीमी आवाज़ बेहद हस्की और सेक्सी साउंड करती है, फिर देखिए अगली बार से वो खुद ही धीमा बोलेंगे.अगर आपको पति का किसी काम में हस्तक्षेप पसंद नहीं या उनके काम करने का तरीक़ा आपको पसंद नहीं तो यहना कहें कि तुम्हें नहीं आता तो मत करो, बल्कि यह कहें कि तुमने पहले ही इतनी मदद कर दी, तो अब यह काम मुझेकरने दो या कहें कि तुम वो वाला काम कर दो क्योंकि वो तुम मुझसे बेहतर करोगे और मैं यह कर लेती हूं... या आप यह भी कह सकती हैं कि तुम थक गए होगे तो तुम आराम कर लो बाक़ी मैं संभाल लेती हूं.अगर पतिदेव की तोंद निकल गई हो तो उनको ताना ना दें और ना ही उनके किसी दोस्त से उनकी तुलना करें बल्किकहें कि कुछ दिन मैं डायटिंग करने की सोच रही हूं अगर आप भी साथ देंगे तो मुझे मोटिवेशन मिलेगा, इसलिए प्लीज़ मुझे फिट होने में मेरी मदद करो और मैं फिट रहूंगी तो आपको भी तो अच्छा लगेगा ना. इसी तरह अगर पति को लगे कि पत्नी को डायटिंग की ज़रूरत है तो किसी पड़ोसन का उदाहरण देने से बेहतर है किआप कहें कि मेरे कपड़े थोड़े टाइट हो रहे हैं इसलिए सुबह जॉगिंग करने की और डायटिंग की सोच रहा है लेकिन तुम्हें मेरा साथ देना होगा. कभी कभी एक दूसरे की झूठी तारीफ़ में क़सीदे कस दिया करें इससे आप दोनों को ही अच्छा लगेगा. सिर्फ़ पार्टनर ही नहीं, बाक़ी घरवालों के साथ भी थोड़ा बहुत अच्छावाला झूठ बोलने में हर्ज़ नहीं, इससे उन्हें बेहतरफ़ील होगा जिससे वो खुश रहेंगे और रिश्ते भी मज़बूत होंगे.अगर पतिदेव बच्चों की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं देते या ज़िम्मेदारी से बचते हैं तो उनसे कहें कि बच्चे अक्सर बोलते हैंकि मुमकिन आपको तो कुछ नहीं आता, पापा ज़्यादा इंटेलीजेंट लगते हैं, इसलिए कल से हम उनसे ही पढ़ेंगे, ऐसाकहने से पतिदेव बच्चों के प्रति ज़िम्मेदारी ज़्यादा ख़ुशी से निभाएंगे और इससे बच्चों के साथ उनकी बॉन्डिंग भी स्ट्रॉंगहोगी. साथ ही आपका एक काम कम हो जाएगा.अगर आपकी पत्नी और आपकी मां की बनती नहि तो पत्नी से कहें कि मां अक्सर तुम्हारे काम और खाने की तारीफ़करती हैं, मां कहती हैं कि बेचारी दिनभर काम में लगी रहती है, थोड़ा भी आराम नहीं मिलता उसको और मैं भी कुछना कुछ बोलती ही रहती हूं लेकिन वो सब सह लेती है. इसी तरह अपनी मां को भी कहें कि आपकी बहू अक्सर कहती है कि काश मैं भी मम्मी जैसा टेस्टी खाना बना पाती, उनके हाथों में जो स्वाद है वो मेरे में नहीं, वो हर काम सलीके से करती हैं. ऐसी बातों से दोनों के मन में एक दूसरे केप्रति सकारात्मक भाव जागेगा और कड़वाहट दूर होगी.अगर पत्नी को लगता है कि पति और पत्नी के घरवालों की ज़्यादा नहीं बनती तो पत्नी जब भी मायके से आए तोकहे कि मम्मी-पापा हमेशा कहते हैं कि दामाद के रूप में उन्हें बेटा मिल गया है, कितना नेक है, बेटी को खुश रखताहै और किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं देता वरना आज के ज़माने में कहां मिलते हैं ऐसे लड़के.दूसरी तरफ़ अपने मायकेवालों से कहें आप कि वो हमेशा हमारे घर के संस्कारों की तारीफ़ करते हैं कि तुम्हारे मम्मीपापा ने इतने अच्छे संस्कार दिए हैं कि तुमने मेरा पूरा घर इतने अच्छे से संभाल लिया. इन सबसे आप सभी के बीचतनाव काम और प्यार ज़्यादा बढ़ेगा.इसके अलावा एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि शादी के शुरुआती दौर में कभी भी अपने डार्क सीक्रेट्स किसी सेभी शेयर ना करें, अपने अफ़ेयर्स या फैंटसीज़ आदि के बारे में पार्टनर को जोश जोश में बता ना दें. बाद में भी भले हीआप दोनों में अटूट विश्वास हो पर ये बातें कभी साझा ना करें. पार्टनर भले ही अलग अलग तरीक़ों से पूछने कीकोशिश भी करे तब भी यहां आपके द्वारा बोला गया झूठ आपके रिश्ते को बिगड़ने से बचा सकता है! पिंकु शर्मा

January 10, 2021

रिश्तों में बोझ या बोझिल रिश्ते- क्यों और क्या हैं कारण? (When Relationship Feels Like A Burden)

रिश्ते जीने का संबल, जीने का सबब, एक सहारा या यूं कहें कि एक साथ... रिश्तों को शब्दों के दायरे में परिभाषित नहींकिया जा सकता, उन्हें तो सिर्फ़ भावनाओं में महसूस किया जा सकता है. लेकिन बात आजकल के रिश्तों की करें तो उनमेंना भावनायें होती हैं और ना ही ताउम्र साथ निभाने का माद्दा, क्योंकि आज रिश्ते ज़रूरतों और स्वार्थ पर निर्भर हो चुके हैं. यही वजह है कि रिश्तों में बेहिसाब बोझ बढ़ते जा रहे हैं और हर रिश्ता बोझिल होता जा रहा है. ऐसे में इनके करणों को जानना बेहद ज़रूरी है. सबसे पहले जानते हैं रिश्तों में आख़िर बोझ क्यों है?  रिश्तों में बोझ होने की सबसे बड़ी वजह है कि रिश्ते अब दिल से नहीं जुड़े हुए हैं.रिश्ते मजबूरी बन चुके हैं. रिश्तों में स्वार्थ सबसे ऊपर हो चुका है.रिश्ते भावनाविहीन हो रहे हैं.मशीनी हो रहे हैं एहसास.संवेदना ग़ायब हो रही है.हम से ज़्यादा मैं की सोच हावी हो रही है. किस तरह के बोझ हैं और क्यों बोझिल हो गए हैं रिश्ते?  ज़िम्मेदारी का बोझ: लोग ज़िम्मेदारियों से डरने लगे हैं और इन्हें निभाने से कतराते हैं. इन्हें लेने से बचते हैं. हर किसीको लगता है कि वो अपनी ज़िम्मेदारी किसी और को दे दे और खुद सिर्फ़ अपने लिए जिए. जहां इस तरह की सोचपनपने लगती है वहां रिश्ते बोझिल ही लगते हैं.कमिटमेंट का बोझ: लोग कमिटमेंट से बचना चाहते हैं क्योंकि वो खुद नहीं जानते कि इन रिश्तों को वो कब तकनिभा सकेंगे और ना जाने कब वो रस्ता बदल दें. लोगों का स्वार्थ इस हद तक बढ़ चुका है कि वो वही रिश्ते निभानाचाहते हैं जिन रिश्तों से उन्हें किसी तरह का कोई फायदा हो. अगर पार्टनर से कोई फायदा होता नज़र नहीं आता तोवो उसको छोड़ दूसरे का दामन थामने से भी नहीं कतराते. इसी तरह अगर माता-पिता, भाई-बहन से भी लगाव नहीं हैतो वो भी उन्हें बोझ लगने लगते हैं और वो उनसे भी दूरी बनाने लगते हैं.पैसों का बोझ: आर्थिक तंगी भी रिश्तों में बोझ बढ़ाती है और इस वजह से रिश्ते और बोझिल लगने लगते हैं. पैसासबकी ज़रूरत है और पैसों की तंगी से रिश्तों में भी मनमुटाव होने लगते हैं. तनाव बढ़ता है और सारे रिश्ते बोझिल हीलगने लगते हैं.करियर का बोझ: कॉम्पटीशन के इस दौर में करियर को ऊपर ले जाना, वर्क और होम लाइफ को बैलेंस करनाआसान नहीं. जो लोग ऐसा नहीं कर पाते उनके रिश्तों में बोझ बढ़ता जाता है.समाजिक दबाव का बोझ: हम जिस समाज में रहते हैं वहां समाज और आस पास के लोगों के बारे में कुछ ज़्यादा हीसोचा जाता है. ऐसे में हम चाहकर भी अपने मन का नहीं कर पाते क्योंकि हर बात और हर निर्णय पर हमको यहीसमझाया जाता है कि हमारे समाज में ऐसा नहीं चलता या फिर लोग क्या कहेंगे. इस तरह के माहौल में ज़ाहिर हैदम घुटता है और हर बात बोझिल ही लगती है.स्टेटस का बोझ: आज की तारीख़ में कुछ हो ना हो स्टेटस होना बहुत ज़रूरी है. और जबसे सोशल मीडिया कीहमारी लाइफ़ में एंट्री हुई है तबसे तो यह बोझ बढ़ता ही जा रहा है. हर कोई इसी होड़ में रहता है कि हमारी लाइफ़कितनी कूल है, दूसरों को दिखाने के लिए अब हर चीज़ होती है. ब्रांडेड मोबाइल से लेकर हर बात का सेलिब्रेशनजैसे बस दिखावे की चीज़ ही बनकर रह गई. हर वक़्त खुश और हैपनिंग लाइफ़ का टैग लेकर घूमना आज कीसबसे बड़ी ज़रूरत बन गई. ये तमाम चीज़ें रियल लाइफ़ रिश्तों को खोखला बनाती हैं और आप उन्हें भूलकरडिजिटल रिश्तों की नक़ली दुनिया में खोते चले जाते हैं.खुश दिखने का बोझ: आप खुश हों या ना हों लेकिन आज की तारीख़ में आपका खुश दिखना ज़रूरी है, क्योंकिकिसी को फ़ुर्सत भी नहीं आपके दुखों को जानने और समझने की. ऐसे में मन ही मन में घुटने के बाद भी आपको ढोंगकरना पड़ता है कि आप की ज़िंदगी बेहद हसीन है. रिश्तों में बोझ को बढ़ाते हैं यह पहलू पार्टनर या अन्य सदस्य जब साथ ना दें और सारी ज़िम्मेदारी किसी एक पर आ जाए.ज़िम्मेदारी निभाने के बावजूद तारीफ़ या सहयोग ना मिले.अपना दांव कुछ भूलकर भी अपने रिश्तों को सब कुछ देने के बाद भी किसी का सहयोग ना मिले.अर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ना होने पर भी बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है जिससे रिश्तों में बोझ बढ़ता है.अपनों से ही सम्मान ना मिलने पर भी बहुत कुछ बदल जाता है.आपको निर्णय लेने की आज़ादी ना हो या आपकी राय को अहमियत ही ना दी जाए तब भी बोझिल लगता है हररिश्ता. क्या किया जाए कि रिश्ते बोझिल ना लगें बात करें: कम्यूनिकेट करना किसी भी रिश्ते के लिए सबसे ज़रूरी और सबसे अहम् है. बात ना करना किसी भीसमस्या का समाधान नहीं. इससे परेशानी और बढ़ेगी. बेहतर होगा कि आपसी बात चीत से मन का बोझ हल्का करें, अपनी परेशानियों को अपनो से साझा करें. उनकी परेशानियों को जाने. स्वार्थी ना बनें: रिश्तों में सिर्फ़ अपने बारे में नहीं सोचा जाता, रिश्तों का मतलब ही है एकजुट होकर सबके लिएसोचना. स्वार्थ की भावना भले ही आपको कुछ समय के लिए ख़ुशी दे देगी लेकिन आगे चलकर आप एकदम अकेलेपड़ जायेंगे. स्वार्थ छोड़कर देखें, आपको अपने रिश्ते ही इतने प्यारे लगेंगे कि बोझ अपने आप हल्का लगने लगेगा.शेयर करें: शेयरिंग की भावना से रिश्ते गहरे और मज़बूत बनते हैं. सुख-दुःख हो, कामयाबी या असफलता सब कुछशेयर करें. इससे आपकी ख़ुशियाँ और हौसला दोनों बढ़ेंगे और रिश्ते बोझ कम संबल अधिक लगेंगे.जिम्मेदारियाँ साझा करें: ज़िम्मेदारियों से भागने की बजाए उन्हें साझा करें. रिश्तों में सबकी जिम्मेदारियाँ बनती हैंऔर जो कुछ भी निभाना होता है मिलकर ही बेहतर तरीक़े से निभाया जा सकता है. सामने से खुद आगे बढ़कर कहेंकि यह काम मुझ पर छोड़ दें, फिर देखिए रिश्तों से बोझ अपने आप कम होगा और रिश्ते बोझिल नहीं प्यारे लगेंगे.काम बांट लें: घर या बाहर दोनों जगह का काम बांट लें. सब मिलकर करेंगे तो ज़िंदगी और रिश्ते दोनों आसान लगनेलगेंगे. जो काम आप बेहतर कर पायें वो आप लें और दूसरों को भी उनकी क्षमता के अनुसार काम दें.आर्थिक ज़िम्मेदारी भी बांटे: रिश्तों में ज़रूरी है कि आर्थिक ज़िम्मेदारियों का भी बंटवारा हो. आप अगर यह सोचरखेंगे कि मैं अपने पैसे बचा लूं और सामने वाला ही अकेला खर्च करे तो यह सही नहीं. आपको कुछ ख़र्चों कीज़िम्मेदारी खुद ब खुद ख़ुशी ख़ुशी लेनी चाहिए. इससे अपनापन बढ़ेगा और रिश्ते बोझ नहीं लगेंगे. दिल को खोल लें: दिल को खुला रखें ताकि ज़िंदगी जी खोल के जी सकें. अगर आपको किसी चीज़ की कमी भीहोगी तो अपनों के साथ वो कमी महसूस नहीं होगी. चाहे पैसों की कमी हो या सुविधाओं की अगर अपने साथ हैं तोज़िंदगी की राह आसान हो जाती है. अगर आप अपने रिश्तों का ख़याल रखेंगे तो बुरे समय में रिश्ते आपका ख़यालरखेंगे.अपनी सोच बदलें, फ़ायदे-नुक़सान के तराज़ू में रिश्तों को ना तोलें: रिश्तों में कभी भी फ़ायदा या नुक़सान की सोचके साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता. रिश्तों को सिर्फ़ प्यार से ही सींचा जा सकता है वर्ना हर रिश्ता बोझ ही लगेगा. किसने क्या किया इस सोच से ऊपर उठकर यह सोचें कि अपनों को कैसे और क़रीब लाया जाए.चीट ना करें, सबको सम्मान दें: सम्मान देंगे तो सम्मान मिलेगा. चीटिंग की रिश्तों में कोई जगह नहीं होती. पार्टनर कोधोखा ना दें. घर में भी सबकी राय को महत्व दें. सबसे राय लें. किसी को कम ना आंके. कई बार एक बच्चा भी बड़ीसे बड़ी समस्या का आसान रास्ता सुझा देता है.ईगो ना रखें: अहंकार हर रिश्ते को मिटा देता है. अपनों से भला कैसा ईगो? खुद को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को मूर्खसमझने की गलती ना करें. आप अकेले रहेंगे तो बोझ बढ़ेगा, बेहतर है सबको साथ लेकर चलें. नकारात्मक सोचऔर भावनाओं को त्याग दें. यह भी पढ़ें: एकतरफ़ा प्यार के साइड इफेक्ट्स… (How…

November 20, 2020

माफ़ी मांगने से क्यों कतराते हैं पुरुष? (Why Do Guys Never Say Sorry?)

“आई एम सॉरी” आप जितनी आसानी से ये शब्द अपने पार्टनर को कह देती हैं, क्या वो भी उतनी ही…

August 25, 2020

पहला अफेयर: तुम कभी तो मिलोगे (Pahla Affair: Tum Kabhi To Miloge)

पहला अफेयर: तुम कभी तो मिलोगे (Pahla Affair: Tum Kabhi To Miloge) आज फिर मेघों से रिमझिम वर्षा रूपी नेह…

March 1, 2020

पहला अफेयर: काश, तुम समझे होते (Pahla Affair: Kash Tum Samjhe Hote)

पहला अफेयर: काश, तुम समझे होते (Pahla Affair: Kash Tum Samjhe Hote) कभी-कभी अचानक कहे शब्द ज़िंदगी के मायने बदल…

February 16, 2020
© Merisaheli