इन्फ्लुएंजा श्वसन तंत्र का एक सीज़नल वायरल इन्फ़ेक्शन है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है और जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है या जो लोग अन्य व सांस की बीमारी से ग्रस्त हैं उनमें इसका रिस्क ज्यादा होता है. इससे बचने का सबसे असरकारी उपाय है टीकाकरण यानी वैक्सिनेशन.
• सालाना आधार पर इन्फ़्लुएन्ज़ा का टीका लगवाना इस संक्रमण से बचने का सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी तरीक़ा है, टीके से फ़्लू-सम्बंधित कॉम्प्लिकेशन्स का ख़तरा 70% से 90% तक कम हो जाता है.
अप्रैल 27, 2022 – भारत में 2020 में केवल अप्रैल से जून तक ही साँस संबंधी गंभीर रूप से घातक संक्रमण के 778,070 मामले देखे गए थे. सौभाग्य से, परम्परागत रूप से इस देश ने टीकाकरण के सहारे विभिन्न संक्रामक रोगों पर जीत हासिल की है. इन्हीं रोगों में से एक है इन्फ्लुएंजा जोकि टीके से रोका जा सकने वाला रोग है. यह श्वसन तंत्र का मौसमी वायरल संक्रमण है जो एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है. भारत में मौसमी इन्फ़्लुएन्ज़ा यानी ‘फ़्लू’ का प्रकोप आम तौर पर बरसात या बेहद ठंड के दौरान होता है. इसके प्रकोप और प्रसार में अलग-अलग क्षेत्र के अनुसार थोड़ा अंतर होता है.
इन्फ्लुएंजा हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. स्वास्थ्य कर्मचारी और डायबिटीज, किडनी, हार्ट या लिवर के रोगी, दमा, खून की खराबी जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों और कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को कॉम्प्लिकेशन का ख़तरा ज्यादा होता है. ऐसे में रोकथाम ही उपाय है. इन्फ्लुएंजा के संक्रमण और सम्बंधित प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए बच्चों और जोखिम वाले लोगों सहित वयस्कों के लिए टीकाकरण ही सबसे अधिक प्रभावकारी उपाय है. इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ताजा व्याप्त फ़्लू स्ट्रेन के साथ, विशेष कर सभी हाई रिस्क ग्रुप्स के लिए वार्षिक इन्फ्लुएंजा टीकाकरण को रिकमेंड किया है.
हालाँकि बच्चों के लिए फ़्लू का टीका लगवाना अपेक्षाकृत ज्यादा सामान्य है, लेकिन वयस्कों में और यहाँ तक कि डायबिटीज और हाइपरटेंशन वालों के लिए भीइन्फ्लुएंजा का टीका लेने का अनुपात कम है, उदाहरण के लिए- यूनाइटेड स्टेट्स जैसे देश में भी वयस्क इन्फ्लुएंजा टीकाकरण का अनुपात 46.1% (2017-18 के दौरान) था. इसी प्रकार, भारत में भी प्रतिरक्षण की समझ बढ़ाने व जागरूकता लाने के लिए अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है.
जबकि ये बेहद ज़रूरी है क्योंकि इन्फ्लुएंजा का टीका ले चुके डायबिटीज के मरीजों में टीका नहीं लगवाने वाले डायबिटीज के मरीजों की तुलना में किसी भी तरह के कॉम्प्लिकेशन में 56% की कमी के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती होने की ज़रुरत में भी 54% गिरावट देखी गई. भारत में डायबिटीज के 74 मिलियन से अधिक मरीज हैं और इसे दुनिया की डायबिटीज राजधानी कहा जाता है. इसे देखते हुए यहाँ टीकाकरण बेहद ज़रूरी है जिससे बड़ी संख्या में लोगों का फ़ायदा होगा.
इन्फ्लुएंजा का टीका लेने की बढ़ती ज़रुरत पर प्रतिक्रिया देते हुए, डॉ. दीपक तलवार, डायरेक्टर और चेयर पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेट्रो हॉस्पिटल्स, नोएडा ने कहा, “अपने चिकित्सीय पेशे में हमने देखा है कि हर महीने लगभग 40 मरीज ऐसे आते हैं जिनमें इन्फ्लुएंजा-जैसी बीमारी होती है. इनमें से 25% लोग, जिनमें जटिलता विकसित होती है, उनमें सम्बंधित बीमारियां होती हैं. इस प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन (टीका) सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावकारी उपलब्ध विकल्प है.”
एबॉट के मेडिकल अफेयर्स के डायरेक्टर, डॉ. जेजो करणकुमार ने कहा, “एबॉट में हम लोग लोगों को उनके जीवन के हर चरण में स्वस्थ रहने में मदद के लिए वचनबद्ध हैं. न केवल बच्चों के लिए, बल्कि जोखिम वाले वयस्कों के लिए भी इन्फ़्लुएन्ज़ा के वार्षिक टीकाकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना ही पूरी आबादी में इस संक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा की कुंजी है. फ़्लू का शॉट लेने की आसानी और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए लोगों के घर पर भी फ़्लू का टीका दिया जाता है. टीके से इन्फ्लुएंजा को रोका जा सकता है और इसके फायदे और सहजता को देखते हुए बेहतर है कि आगे बीमारी की जटिलता झेलने से पहले टीका लगवा लिया जाए.”
इन्फ्लुएंजा के स्ट्रेन हर साल अपना रूप बदल लेते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) प्रसार में मौजूद वर्तमान वायरस स्ट्रेन पर अपने दिशानिर्देश को लगातार अपडेट करता रहता है. न केवल बच्चों, बल्कि वयस्कों और विशेष कर अन्तर्निहित अवस्थाओं वाले लोगों के लिए भी अपने-अपने डॉक्टर की सलाह से वार्षिक इन्फ्लुएंजा टीकाकरण करवा लेना ज़रूरी है.
वर्तमान वैश्विक सन्दर्भ भी अनेक लोगों के लिए भ्रम पैदा कर रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्फ्लुएंजा और दूसरे श्वसन संक्रमण के लक्षण – बुखार, खाँसी, पूरी साँस नहीं ले पाना, थकान, सिरदर्द, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द आदि – समान रूप से अन्य सांस के रोगों में दिख रहे हैं. यह याद रखना चाहिए कि कोविड-19 का टीका फ़्लू से और फ़्लू का टीका कोविड-19 से बचाव नहीं करता है, यानी दोनों के लिए अलग-अलग टीके हैं. फ़्लू का टीका और कोविड-19 का टीका एक साथ दिया जा सकता है और ये एक-दूसरे के सुरक्षा प्रोफाइल या प्रभावकारिता को प्राभावित नहीं करते हैं.
भारत में जनवरी 2018 में स्थापित एडल्ट इम्युनाइजेशन सेंटर और हाल में एसोसिएशन ऑफ़ फिजिशियंस ऑफ़ इंडिया लक्ष्यों को निर्धारित करके इस दिशा में काफ़ी काम करती हैं जिनसे जागरूकता बढ़ाने और अधिक से अधिक टीका कवरेज सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. टीकाकरण से परिवार, दोस्तों और समाज के सदस्यों को सुरक्षा मिलती है. राष्ट्रव्यापी इम्युनाइजेशन कवरेज को बढ़ाकर लोग फ़्लू-सम्बंधित कॉम्प्लिकेशंस से बचने के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रणाली में सहयोग कर सकते हैं.
इसलिए टीका करण करवाएं और अन्य लोगों को भी प्रेरित व जागरुक करें. स्वस्थ रहें और स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग करके सहभागी बनें. हेल्थी इंडिया, हैप्पी इंडिया!
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