इन्फ्लुएंजा श्वसन तंत्र का एक सीज़नल वायरल इन्फ़ेक्शन है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है और जिनका…
आजकल सभी का फ़ेवरेट शब्द हैं कूल और ख़ासतौर से युवाओं का तो ये बेहद पसंदीदा शब्द है. हर किसी को कूलदिखना है, अपनी लाइफ़स्टाइल भी कूल दिखानी है, कपड़ों से लेकर एटिट्यूड तक कूल होना चाहिए… और इन्हीं केचक्कर में युवा एक-दूसरे से ज़्यादा कूल लगने की चाह में ऐसा कुछ करने लग जाते हैं जो न तो उनकी ज़िंदगी के लिएऔर न सेहत के लिए ठीक होता है. हलांकि कुछ ऐसी भी आदतें हैं जो दरअसल अच्छी भी होती हैं और कूल लगने केचक्कर में वाक़ई यंगस्टर को सुपरकूल हो जाते हैं. आइए जानें कौन सी हैं ये लाइफ़स्टाइल हैबिट्स… लक्ज़री लाइफ़: आजकल तो सबको चाहिए लक्ज़री लाइफ़ और वो भी बिना ज़्यादा मेहनत के. महंगे शौक़, ब्रांडेड चीज़ेंऔर खर्च करने के लिए हो बहुत सारा पैसा. महंगे शौक़ रखना ग़लत नहीं, लेकिन दूसरों की देखा-देखी अपनी चादर सेज़्यादा पैर फैलाने की कोशिश सही है क्या? बच्चे पैरेंट्स पर दबाव डालते हैं कि मेरे सभी फ्रेंड्स के पास स्मार्ट फ़ोन है तोमेरे पास क्यों नहीं. और अगर डिमांड पूरी नहीं होती तो या तो बच्चे ज़िद्दी व बाग़ी होने लगते हैं या वो ग़लत रास्ता औरतरीक़ा अपनाने लगते हैं. बेहतर होगा कि पैरेंट्स बच्चों पर नज़र रखें कि उनका फ्रेंड सर्कल कैसा है और उनके पास अचानक बहुत सी महंगी चीज़ेंया पैसे तो नहीं मिलने लगे? पार्टी हार्ड, ड्रिंक मोर: पार्टी करना इन दिनों यंगस्टर का शग़ल बन गया है. कम उम्र में ही वो नशा करने से परहेज़ नहीं करतेऔर ये उम्र भी ऐसी ही होती है जो बंदिशों को तोड़ना एंजॉय करती है. कभी-कभार पार्टी करने में बुराई नहीं, लेकिन ध्यानरखें कि बच्चे किस तरह की पार्टी में किस तरह के दोस्तों के साथ जाते हैं. क्या देर रात नशे में तो घर नहीं लौटते? ये नशाकहां तक सीमित है- सिगरेट, शराब या ड्रग्स? ये न सोचें कि हमारे बच्चे तो ये सब करते ही नहीं, हम बच्चों की जासूसीकरने को नहीं कह रहे लेकिन उनके प्रति बेपरवाह होना सही नहीं. उनको भटकने से रोकने के किए आपकी नज़र उन परज़रूर होनी चाहिए. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार स्कूली बच्चों में पिछले कुछ सालों से नशे की लत बढ़ती जा रही है. सेक्स से परहेज़ नहीं: एक्सपेरिमेंट करने की चाह में कब युवा हदें पार कर जाते हैं उसका अंदाज़ा खुद वो भी नहीं लगापाते. पढ़ाई या आगे बढ़ने की उम्र में उनकी अच्छी ख़ासी एक्टिव सेक्स लाइफ़ होती है, जो न उनके भविष्य के लिए और नसेहत के लिए अच्छी होती है. अच्छा होगा कि पेरेंट्स बढ़ते बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें ताकि वो अपनी जिज्ञासाएं औरशंकाएं आपसे शेयर कर सकें. उनको सेक्स एजुकेशन दें और सेफ सेक्स के बारे में भी समझाएं. सोशल मीडिया की लत: आजकल जो सोशल मीडिया पर नहीं है वो तो आउट डेटेड माना जाता है. लेकिन सोशल मीडियापर दिनरात रहने से न सिर्फ़ स्वास्थ्य पर असर पड़ता है बल्कि ग़लत रिश्ते भी बनने के चान्स बढ़ जाते हैं, बच्चे क्राइम काभी शिकार हो सकते हैं. पोर्न देखने की भी उनको आदत पड़ जाती है. हो सके तो बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट कीजानकारी रखें. ऑनलाइन गेमिंग पड़ सकती है भारी: ऐसे कई मामले आजकल प्रकाश में आए हैं जहां स्कूली बच्चे भी ऑनलाइन गेमिंगके चक्कर में क्राइम तक कर जाते हैं. इन गेम्स की लत लग जाती है और ये पैसे भरकर खेले जानेवाले गेम्स इस कदर उन्हेंजकड़ लेते हैं कि बच्चे अपने पैरेंट्स का क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी चुराकर इस्तेमाल करने लगते हैं. एक-दूसरे से गेम मेंआगे बढ़ने के लिए वो आपस में दुश्मन भी बन जाते हैं और कुछ मामलों में संगीन अपराध कर बैठते हैं. पेरेंट्स को अपनेकार्ड्स और फ़ोन का एक्सेस टीनएज बच्चों को नहीं देना चाहिए और उनके फ़ोन पर भी नज़र बनाए रखनी चाहिए. कुछ अच्छी आदतें भी हैं, लेकिन इनकी भी अति नुक़सानदायक हो सकती है… फिटनेस-बॉडी बनाने का चस्का: फिट रहना अच्छी आदत है लेकिन जल्दी मसल्स व बॉडी बनाने के लिए स्टेरॉड्स याइंटरनेट से जानकारी हासिल करके कुछ भी खा लेना जानलेवा तक साबित हो सकता है. और लड़कियों को इम्प्रेस करनेके लिए बॉडी बनाने से बेहतर हेल्दी और फिट रहने के लिए एक्सरसाइज़ किया जाए. कुछ यंगस्टर तो महज़ दिखावे केलिए जिम जाने की आदत या शौक़ पाल लेते हैं. पेरेंट्स को चाहिए कि उनको समझाएं योग, वॉक, साइक्लिंग-जॉगिंग, मेडिटेशन व डान्सिंग-स्विमिंग से भी फिटनेस बनी रह सकती है. ट्रैवल: ये अच्छी आदत है और दोस्तों के साथ ट्रैवल करना का का युवा पसंद करता है. लेकिन ये शौक़ अलग-अलगजगहों व वहां के कल्चर को एक्स्प्लोर करने के लिए हो तो हेल्दी है, पर घरवालों से दूर आज़ाद रहकर, झूठ बोलकरअपनी गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ मौज-मस्ती करने, दारू पीने या ऐसी ही चीज़ों के लिए ट्रैवल करना सही नहीं और येअनसेफ भी हो सकता है. कुछ युवा तो कॉलेज ट्रिप या फ़्रेंड्स पिकनिक कहकर लोकल एरिया में ही लॉज बुक करकेअपने दोस्तों के साथ रहते हैं. पेरेंट्स बच्चों को पॉकेट मनी दें लेकिन बीच-बीच में उसका हिसाब भी लें. कहां जा रहे हैं औरकिसके साथ इसे क्रॉस चेक कर लें. ग्रुप स्टडीज़: साथ मिलकर पढ़ाई करना मज़ेदार हो सकता है लेकिन अक्सर यहां पढ़ाई कम और बाक़ी चीज़ें ज़्यादा होतीहैं. फ्रेंड के घर ग्रुप स्टडी के लिए जा रहे हैं कहकर बच्चे कहीं और तो नहीं जा रहे? इसलिए ये ज़रूर पता करें कि किसकेघर बच्चे जा रहे हैं, वहां और कौन-कौन होगा, दोस्तों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स के भी फ़ोन नम्बर्स रखें. कई बार ऐसेमामले भी प्रकाश में आते हैं जहां टीनएजर्स अपने ख़ाली फ़्लैट की चाबी दूसरे दोस्तों को मज़े करने, गर्लफ्रेंड को साथ लानेया ऐसी ही चीज़ों के लिए दे देते हैं. ये माना स्मार्टफ़ोन से लेकर लैप्टॉप तक आज की ज़रूरत है क्योंकि सारे प्रोजेक्ट्स और जानकारी इन्हीं के ज़रिए मिलतीहै लेकिन टीनएज में थोड़ी नज़र और लगाम रखनी ज़रूरी हो जाती है, वर्ना कूल दिखने की ये चाह महंगी पड़ सकती है. परी शर्मा
हमारा स्वास्थ्य काफ़ी हद तक पेट और आंतोंके स्वास्थ्य से संबंध रखता है, लेकिन आजकल हमारी लाइफ़स्टाइल और हमारा खानपान ऐसा हो चुका है कि पेट संबंधी कई तकलीफ़ें अब आम हो चुकी हैं, जैसे- गैस, एसिडिटी और पाचन संबंधी परेशनियां और जब ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं तो गंभीर रूप औरअन्य रोगों को हुई जन्म देती हैं, जैसे- फ़ैटी लिवर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और जब इन समस्याओं का समय पर इलाज नहींहो पाता तो ये और गंभीर होकर डायबिटीज़ टाइप 2 और हृदय रोगों ke जन्मों का कारण बन जातीं हैं. इनसे बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप अपनी ज़रूरत अनुसार अपनी लाइफ़स्टाइल और डायट चेंज करें ताकि आपकापेट और पाचन रहे फिट, हेल्दी और गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से मुक्त! इसलिए गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से ग्रसित रोगियों को उनकी स्थिति और व्यक्तिगत परिस्थितियों केअनुसार, आहार और जीवनशैली की में बदलाव की आवश्यकता होती है, जो एक्सपर्ट अड्वाइस से ही संभव है. डॉ. रमेश गर्ग, सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट इस संदर्भ में दे रहे हैं ज़रूरी जानकारी- पूरे भारत में गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल संबंधीसमस्याएं काफ़ी व्यापक हैं, जिसकी मुख्य वजह है- इनएक्टिव लाइफ़स्टाइल यानी गतिहीन जीवनशैली और अनहेल्दीडायट! इनसे निपटने का एक ही तरीक़ा है- दवाओं व इलाज के साथ-साथ डायट में बदलाव और एक्सरसाइज़, जिनमेंइस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि भारत भिन्नता का देश है, आपकी भौगोलिक स्थिति, जलवायु, मौसम, खान-पान, रहन-सहन आदि इसमें बड़ी भूमिका अदा करते हैं! इसलिए लाइफ़स्टाइल और डायट में बदलाव के लिए ये 6 तत्व हैं बेहदमहत्वपूर्ण- खाना कितनी मात्रा में और कितनी बार खाया जाए: ये हर किसी की व्यक्तिगत ज़रूरत पर निर्भर करता है लेकिन जिन्हेंपेट और आंत संबंधी समस्या है वो 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं और हाई बीपी से हो ग्रसित हैं वो दिन में 3 बार खाना खाएंजिससे एसिड का अधिक निर्माण और स्राव संतुलित हो. खाना बनाने का तरीक़ा: जी हां, आप खाने को उबालते हैं, स्टीम करते हैं या तलते हैं- ये तमाम बातें प्रभावित करती हैं. जैसेडीप फ़्राई यानी तला हुआ खाना डायबिटीज़, फ़ैटी लिवर और क़ब्ज़ से परेशान लोगों को अवॉइड करना चाहिए. इसकेअलावा सब्ज़ियों को अगर बिना छीले पकाया जाए तो वो सबसे बेहतर है क्योंकि धोने और साफ़ लेने के बाद बिनाछिलका निकाले उन्हें पकाया जाए तो हेल्दी होता है क्योंकि छिलके पोषण और फाइबर का बेहतरीन स्रोत होते हैं जिससेआंतों का स्वास्थ्य भी बना रहता है. …
हर कोई स्लिम दिखना चाहता है लेकिन स्लिम होने के साथ-साथ आपका फिटनेस लेवल भी उतना ही बेहतर होना चाहिए!…
हेल्थ और फिटनेस से जुड़े कई ऐसे भ्रम हैं, जिनका सच से कोई वास्ता नहीं होता, लेकिन हम इन्हें इतनी…
हमारा स्वास्थ्य काफ़ी हद तक हमारे पेट और पाचन तंत्र से जुड़ा रहता है, इसलिए हेल्दी रहने के लिए पाचन तंत्र औरमेटाबॉलिज़्म का सही और हेल्दी रहना बेहद ज़रूरी है. कैसे रखें अपने पाचन तंत्र का ख़्याल आइए जाने. हो सही शुरुआत: जी हां, दिन की शुरुआत सही होगी तो पूरा दिन सही होगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी. सही शुरुआत केलिए हेल्दी और पौष्टिक नाश्ता ज़रूरी है. नाश्ता पौष्टिक होना ज़रूरी है- फल, ड्राई फ़्रूट्स, दलिया, उपमा, पोहा, कॉर्नफ़्लेक्स, दूध, फ़्रूट जूस, अंकुरित अनाज,दालें, अंडा, पराठे, दही आदि. पौष्टिक नाश्ता आपका दिनभर संतुष्ट रखताऔर इससे पाचन तंत्र संतुलित रहता है. ये दिनभर की ऊर्जा प्रदान करता है. एसिडिटी से राहत दिलाता है, क्योंकि अगरआप नाश्ता नहीं करते हैं, तो ऐसिड बनने लगती है, जो काफ़ी तकलीफ़ देती है. हेल्दी डायजेशन के लिए प्रोबायोटिक्स ज़रूरी है: क्या आप जानते हैं कि बैक्टीरिया भी हेल्दी और अनहेल्दी होते हैं. हेल्दीबैक्टीरिया पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं और पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. हेल्दी बैक्टीरिया आपको प्रोबायोटिक्स सेमिलते हैं. आप प्रोबायोटिक्स के प्राकृतिक स्रोतों को भोजन में शामिल करें. दही, ख़मीर वाले प्रोडक्ट्स, छाछ व रेडीमेडप्रोबायोटिक्स ड्रिंक्स का सेवन करें. स्ट्रेस से दूर रहें: स्ट्रेस यानी तनाव पूरे शरीर व ख़ासतौर से पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इससे गैस, ऐसिडिटी, क़ब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है. तनाव के कारण पेट में ब्लड व ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिससेपेट में ऐंठन, जलन जैसी समस्या होने लगती है, साथ ही पेट में मैजूद हेल्दी बैक्टीरिया में भी असंतुलन आने लगता है. इसके अलावा तनाव से नींद भी नहीं आती और नींद पूरी ना होने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता. प्रोटीन रिच फूड खाएं: ये मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है. प्रोटीन के लिए आप पनीर, चीज़ व अन्य डेयरी प्रॉडक्ट्स शामिल करसकते हें. इसके अलावा अंडा, चिकन, फिश भी प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं और ये मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाते हैं. सेब, केला और पपीता ज़रूर खाएं: सेब में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो पेट के स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं. सेबफाइबर का अच्छा स्रोत भी है और गुड बैक्टीरिया को पनपाने में भी मदद करता है. पपीते में विटामिन ए, बी और सी औरकई तरह के एन्ज़ाइम्स होते हैं, जो खाने को डायजेस्ट करने में मदद करते हैं. रिसर्च बताते हैं कि पपीता खाने सेडायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है. केले में फाइबर और पेक्टिन भरपूर मात्रा में होता है, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिएबहुत फायदेमंद होता है. डायट में फाइबर शामिल करें: भोजन में फाइबर जितना ज़्यादा होगा पेट उतना ही स्वस्थ होगा क्योंकि आपको क़ब्ज़ कीसमस्या नहीं होगी. फाइबर कोलोन की कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है और पेट साफ़ रखता है. अपने भोजन में साबूतअनाज, दालें, गाजर, ब्रोकोली, नट्स, छिलके सहित आलू, मकई, बींस व ओट्स को शामिल करें. अदरक का सेवन करें: अदरक पेट के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. यह पाचन को बेहतर करता है. अदरक के टुकड़ेकरके ऊपर से नींबू का थोड़ा सा रस डालें और भोजन के साथ खाएं. आपका हाज़मा बेहतर होगा. अपच की समस्या नहीं होगी. लहसुन मेटाबॉलिज़्म को बूस्ट करता है: लहसुन को भी डायट में शामिल करें. यह ना सिर्फ़ मेटाबॉलिज़्म को बेहतर करता है बल्कि वज़न कम करने में भी सहायक है और हार्ट को भी हेल्दी रखता है. जीरा भी है बेहद हेल्दी: जीरा आंतों को और गर्भाशय को भी साफ़ रखता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जीरा भूख भीबढ़ाता है और पेट संबंधी कई समस्याओं से राहत दिलाता है. ग्रीन टी है मेटाबॉलिज़्म बूस्टर: जी हां, ग्रीन टी ज़रूर लें इससे पाचन बेहतर होता है. यह मेटाबॉलिज़्म बूस्टर मानी जाती हैऔर वज़न भी कम करती है. साबूत अनाज और बींस: यह पाचन तंत्र को ठीक रखने में सहायक होते हैं. क़ब्ज़ से बचाते हैं और पेट संबंधी कईसमस्याओं से राहत दिलाते हैं. इसी तरह बींस में भी फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को बेहतर करता है. बींस से गुड़बैक्टीरिया भी बढ़ते हैं और कब्ज़ की समस्या भी नहीं होती. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां: ये प्रोटीन व आयरन का भी अच्छा सोर्स मानी जाती हैं और विटामिंस से भरपूर होती हैं. साथ ही साथये पेट को व पाचन तंत्र को हेल्दी रखती हैं. ये फाइबर का बेहतर स्रोत होती हैं, इनमें ख़ासतौर से पालक और गोभी में कईपोषक तत्व- फोलेट, विटामिन ए, सी और के होता है. शोध बताते हैं कि हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में एक ख़ास तरह का शुगरहोता है जो आंतों के हेल्दी बैक्टीरिया (गट बैक्टीरिया) के निर्माण को बढ़ाता है. रसीले व मौसमी फल व ड्राई फ़्रूट्स खाएं: फल पेट को हेल्दी रखते हैं. क़ब्ज़ की समस्या नहीं होने देते. फाइबर से भरपूरहोते हैं. ड्राई फ़्रूट्स भी फाइबर से भरपूर होते हैं और आंतों को हेल्दी रखते हैं. हाल ही के रिसर्च से पता चला है कि प्रूनयानी सूखा आलूबखारा आंतों, मुंह और वजाइना में पाया जानेवाला ख़ास क़िस्म का बैक्टीरिया के निर्माण में सहायकहोता है जिससे पाचन तंत्र भी मज़बूत होता है. इसी तरह से खजूर भी पेट के लिए काफ़ी हेल्दी माना जाता है. हाईड्रेटेड रहें: पानी ख़ूब पिएं क्योंकि यह ज़हरीले तत्वों को बाहर करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. शरीर मेंपानी व नमी की कमी ना होने पाए. नींबू पानी, नारियल पानी या ताज़ा फल व सब्ज़ी का जूस भी लें. एक्टिव रहें, एक्सरसाइज़ व योगा करें: रोज़ाना 30 मिनट एक्सरसाइज़ करें, वॉक करें, एक्टिव रहें. लिफ़्ट की बजायसीढ़ियों का इस्तेमाल करें. योगा भी कर सकते हैं. साइक्लिंग, स्विमिंग भी कर सकते हें. यह रूटीन आपकी मांसपेशियोंको लचीला बनाएगा और पाचन को बेहतर. वरना शारीरिक गतिविधियों की कमी से क़ब्ज़ जैसी समस्या होने लगेगी.…
हेल्दी तो हम सभी रहना चाहते हैं लेकिन कुछ छोटे छोटे सूत्र हैं जिन पर हम ध्यान ही नहीं देते, अगर ये सूत्र और सीक्रेट हमसमझ जाएँ तो हेल्दी रहना आसान हो जाए. आइए जानते हैं इन्हीं सीक्रेट सूत्रों को- सकारात्मक रहें और अपना महत्व समझें. खुद पर ध्यान देना ज़रूरी है इस तथ्य को समझ लें.दूसरों के लिए जीना अच्छी सोच है लेकिन उससे पहले खुद के लिए जीना सीखें.आप हेल्दी रहेंगे तभी तो दूसरों के लिए भी कुछ कर पाएँगे.हाईड्रेटेड रहें ताकि शरीर में पानी व नमी की कमी ना हो. पानी ज़हरीले तत्वों को बाहर करता है और पाचन क्रियाको बेहतर बनाता है.फ़िज़िकली एक्टिव रहें. एक्सरसाइज़ व योगा करें. आप भले ही कितना भी हेल्दी खा लें पर जब तक शरीर कोक्रियाशील नहीं रखेंगे तब तक कहीं न कहीं कोई कमी रह ही जाएगी. रोज़ाना कम से कम आधा घंटा कसरत करें. जॉगिंग और वॉकिंग करें.लिफ़्ट की बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें. यह रूटीन आपकी मांसपेशियों को लचीला बनाएगा और पाचन कोबेहतर. ध्यान और योगा भी कर सकते हैं. मेडिटेशन से ब्रेन में हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होते हैं और एक नई ऊर्जा का एहसासहोता है.ध्यान रहे फ़िज़िकल एक्टिविटी की कमी से क़ब्ज़ जैसी समस्या हो सकती है. हेल्दी खाना खायें. अपने दिन की शुरुआत पोषण भरे नाश्ते से करें. भले ही लंच ठीक से ना करें लेकिन नाश्ता अच्छी तरह और हेल्दी करेंगे तो फ़ैट्स से बचेंगे.रिसर्च बताते हैं कि जो लोग नाश्ता करते हैं उनका एनर्जी लेवल अधिक होता है और वो दिनभर ऐक्टिव बने रहते हैं.जंक फूड से बचें. हेल्दी खाना खाएँ. मंचिंग के लिए भी हेल्दी ऑप्शन पर ध्यान दें. फ़्राइड सनैक्स की बजाए ड्राई फ़्रूट्स, बेक्ड फ़ूड रखें.स्ट्रेस ना लें, क्योंकि तनाव पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इस से गैस, ऐसिडिटी, क़ब्ज़ जैसी समस्या होसकती है.स्ट्रेस के कारण पेट में रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिससे पेट में ऐंठन, जलन जैसी समस्या होनेलगती है, साथ ही पेट में मैजूद हेल्दी बैक्टीरिया में भी असंतुलन आने लगता है. शराब व कैफेन का सेवन कम करें क्योंकि यह भीतर से शरीर को ड्राई और डीहाईड्रेट करते हैं.अपने भोजन में साबूत अनाज, गाजर, ब्रोकोली, नट्स, मकई, बींस, ओट्स, दालें व छिलके सहित आलू को शामिलकरें.मौसमी फल खाएँ और अपने खाने में हर रंग की फल-सब्ज़ियाँ शामिल करें.दही व छाछ का सेवन करें, क्योंकि इनमें हेल्दी बैक्टीरिया होते हैं जो पेट और आँतों को स्वस्थ रखते हैं.पनीर का सेवन करें क्योंकि यह वज़न को भी नियंत्रित रखने में कारगर है.हफ़्ते में एक या दो दिन अपनी क्रेविंग्स के लिए रखें. मनपसंद कुछ खाएँ क्योंकि अगर आप बहुत ज़्यादा स्ट्रिक्टडायट करते हो तो बहुत ज़्यादा समय तक उसको फ़ॉलो कर पाना बेहद मुश्किल है.हेल्दी सूप को अपने डायट का हिस्सा बनाएँ. किचन में मौजूद मसाले भी बहुत हेल्दी होते हैं , काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, इलाइची,धनिया आदि को खाने में शामिल करें. अगर गले में ख़राश या सिर में दर्द हो तो चटकीभर दालचीनी पाउडर को पानी के साथ लें. यही नहीं दालचीनी वज़नभी कम करती है. इसे सलाद या दही में मिलाकर ले सकते हैं. यह मुँहासों को भी कम करता है. दालचीनी पाउडर कोपानी में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और अप्लाई करें.अगर कफ़ की समस्या हो तो सरसों के तेल में लहसुन और सेंधा नमक मिलाकर गुनगुना करें और सीने पर मालिशकरें.वज़न को नियंत्रण में रखें क्योंकि बढ़ता वज़न कई बीमारियों को जन्म देता है. हार्ट से लेकर ब्लड प्रेशर औरडायबिटीज़ तक जैसी समस्याएँ बढ़ते वज़न के कारण हो सकती हैं.वज़न कम करने के लिए छोटे गोल्स सेट करें और धैर्य ना खोएँ.वज़न कम करने में नींबू और शहद बेहद कारगर हैं. गुनगुने पानी में रोज़ सुबह खाली पेट सेवन करें.स्पोर्ट्स, स्विमिंग या डांस क्लास से जुड़ सकते हैं.अपने शौक़ को ज़रूर पूरा करें, उन्हें मरने ना दें, क्योंकि यही शौक़ आपको जीवंत बनाए रखते हैं.पर्सनल हाइजीन से लेकर ओरल हाइजीन तक के महत्व को समझें और उनपर ध्यान भी दें. हेल्दी सोशल लाइफ़ मेंटेन करें, क्योंकि इससे आपको अकेलापन और डिप्रेशन नहीं होगा. लोगों की मदद करें यहआपको बेहतर महसूस कराएगा.पार्टी करें, दोस्तों से मिलें और रिश्तों में इंवेस्ट करें.धोखा ना दें क्योंकि यह आपमें अपराधबोध की भावना को जन्म देगा और आप भीतर से अनहेल्दी मेहसूस करेंगे.ज़िम्मेदारी लेना सीखें, यह आपमें आत्मविश्वास बढ़ाएगा.नींद पूरी लें, यह आदत आपको कई तरह के तनावों से बचाएगी और साथ ही दिनभर ऊर्जावान रखेगी. साथ ही यहडिप्रेशन जैसी नकारात्मक भावनाओं से भी आपका बचाव करती है.ओवर ईटिंग और ओवर स्लीपिंग से भी बचें, ये आपको अनहेल्दी बनाती हैं.बहुत ज़्यादा टीवी ना देखें, यह आपको आलसी और इनएक्टिव तो बनाएगा ही साथ ही रिसर्च बताते हैं कि ज़्यादाटीवी देखने वालों की लाइफ़ कम होती जाती है. इसी तरह मोबाइल और बहुत ज़्यादा सोशल साइट्स पर भी ना बने रहें. ये आपके रिश्तों की सेहत के लिएहानिकारक है जिसका असर आपने शरीर पर भी पड़ता है.कुकिंग थेरेपी आज़माएँ. रिसर्च के अनुसार जब आप खुद खाना बनाते हैं तो स्ट्रेस कम होता है, आप बेहतर महसूसकरते हैं, क्रिएटिव बनते हैं और हेल्दी रहते हैं.नए दोस्त बनाएँ और हो सके तो पेट्स रखें. ये आपको खुश और हेल्दी रखने में मदद करते हैं.खुश होने का मौक़ा ना छोड़ें. बड़ी चीज़ों की बजाए छोटी छोटी चीज़ों में ख़ुशियाँ देखें. यह आपको सकारात्मकबनाती है और मन के संतोष को दूर करती हैं.ये तमाम बातें आपको पहले से ही पता होती हैं लेकिन कमी सिर्फ़ जज़्बे की होती है. बेहतर होगा बिना देर किएआज से ही हेल्दी लाइफ़ के इन सीक्रेट और सूत्रोंको अमल में लाया जाए. सरस्वती शर्मा यह भी पढ़ें: हेल्थ अलर्ट- मास्क पहनते समय इन…
आपका फिटनेस लक्ष्य जो भी हो, आप इसे आयुर्वेद तरीक़े से प्राप्त कर सकते हैं. सुनने में अच्छा लग रहा…
अधिकांश महिलाओं के लिए पीरियड्स एक बेहद दर्दनाक अनुभव होता है, उन्हें इतना दर्द होता है कि पीरियड्स को लेकर…
पीरियड्स को आज भी शर्मिंदगी का विषय माना जाता है! यही वजह है कि बहुत सी महिलाएँ आज भी काफ़ी…
फिटनेस प्रोजेक्ट: घी खाएं बिना डरे, बिना शंका व अपराधबोध के... रुजुता दिवेकर का फिटनेस मंत्र (Eat Ghee Without…
फिटनेस का मतलब वेटलॉस या पतला होना नहीं होता... रुजुता दिवेकर का फिटनेस मंत्र! (Theme- fitness is simple and uncomplicated-…