पहले अधिकतर लोग कैंसर जैसी बीमारी को दूर करने के लिए होमियोपैथिक का विकल्प नहीं चुनते थे, जबकि एम.डी.(होम), पीएचडी. होमियोपैथीक डॉ. पंकज अग्रवाल का कहना है कि होमियोपैथिक की पहली खुराक से प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है. हां, कई स्थितियों में थोड़ा समय लग सकता है. जहां तक बात समय की है, तो जो व्यक्ति दवाइयों पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है, तो उतार-चढ़ाव होना सामान्य है. ऐसे में मरीज़ की ज़िम्मेदारी है कि वह डॉक्टर के साथ संपर्क बनाए रखें और हमेशा चेकअप करवाने आए. केवल दवाइयों को ख़रीदना या उनका सेवन करना ही काफ़ी नहीं है. आपको पता होना चाहिए कि कैंसर मौसम के अनुसार बदलता रहता है, वहीं व्यक्ति तनाव में है, तब भी स्थिति प्रभावित हो सकती है. ऐसे में समय-समय पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
एएचसी यानी अग्रवाल होमियो क्लिनिक पिछले 53 वर्षों से भारत और विदेश दोनों जगह जनता की सेवा कर रहे हैं. चूंकि कैंसर डे के दिन लोगों को कैंसर से जुड़ी सभी जानकारियों से अवगत कराया जाता है. ऐसे में बता दें कि पिछले 33 वर्षों से सभी प्रकार के कैंसर की स्थिति का इलाज डॉ. पंकज अग्रवाल कर रहे हैं.
जब डॉ. पंकज से कैंसर के इलाज का तरीक़ा जानना चाहा, तो उन्होंने कहा कि मेरा तरीक़ा बाकी के रोग विशेषज्ञ की तरह बीमारी का अध्ययन करना नहीं है, बल्कि हमारे पास रोगी ज़्यादातर संभावित रिपोर्ट और ट्रीटमेंट लेकर आते हैं. ऐसे में मैं थोड़ा अलग तरीक़ा अपनाता हूं, जिसमें मरीज़ से उसकी मानसिक स्थिति, शारीरिक स्थिति, पारिवारिक इतिहास आदि चीज़ों के बारे में पूछा जाता है.
डॉक्टर ने अपने एक मरीज़ सलिल माथुर का केस भी बताया कि किस तरह उन्होंने उसका इलाज किया था. आइए जानते हैं मरीज़ से ही इसके बारे में.
सलिल माथुरजी ने कैंसर के इलाज के बारे में विस्तार से बताया.
मेरे बाएं कंधे में ग्रेड 3 सॉफ्ट टिश्यू सार्कोमा (कैंसर) का निदान होने के बाद, मैंने तत्काल सर्जरी के बाद रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की. इतना सब होने के बाद भी यह बीमारी मेरे फेफड़ों तक फैल चुकी थी और मुझे फिर से फेफड़ों की सर्जरी, रेडिएशन और कीमो के लिए जाना पड़ा. कट, बर्न और ज़हर के एलोपैथिक दृष्टिकोण में कोई राहत नहीं मिलने पर मैंने वैकल्पिक उपचारों की तलाश शुरू कर दी. यह तब हुआ जब मुझे डॉ. पंकज के बारे में किसी ऐसे व्यक्ति से पता चला, जिसके पिता जो कैंसर से पीड़ित थे, उनके द्वारा ठीक किया गया था.
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पहले कुछ सत्रों में, डॉ. पंकज और उनकी टीम ने मेरी पसंद-नापसंद के बारे में, मेरे माता-पिता और मेरे दोनों से बचपन से हुई सभी प्रमुख घटनाओं के बारे में विभिन्न प्रश्न पूछे. मुझे एहसास हुआ कि वे बीमारी के ट्रिगर बिंदु की जांच करने के लिए मेरे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक पैटर्न को समझने की कोशिश कर रहे थे.
अपनी यात्राओं पर, वह प्रत्येक शब्द को पकड़ लेते थे और मुझसे मेरे द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द के पीछे की वास्तविक भावना पूछते थे. उन्होंने अक्सर मुझसे कहा कि इस तरह की बीमारी की एकमात्र दवा ‘खुशी’ है और उन्होंने धैर्य रखने और मेरे फॉलो-अप में नियमित रहने पर ज़ोर दिया. डॉ. पंकज ने मुझे होमियोपैथिक उपचार से जुड़ा उनका दृष्टिकोण समझाया.
मैं तब अपने स्वास्थ्य, मेरे शरीर और दिमाग़ पर दवा के प्रभाव के प्रति अधिक चौकस हो गया. और जब भी मैं कुछ चर्चा करना चाहता था, तो उन्हें स्वतंत्र रूप से फोन करता था. मुझे इलाज शुरू हुए दो साल हो चुके हैं और अब पिछले 10 महीनों से मैं रोगमुक्त हूं और मेरे सभी पीटी स्कैन स्पष्ट हैं. मेरी ऊर्जा और सहनशक्ति जो कीमो की उच्च खुराक के कारण समाप्त हो गई थी, अब बेहतर है और मैंने फिर से कार्यालय में प्रवेश किया है. मैं वास्तव में डॉ. पंकज के पेशे के प्रति उनके समर्पण और सच्चाई की प्रशंसा करता हूं और मुझे एक नया जीवन देने के लिए हमेशा उनका आभारी रहूंगा.
डॉ. पंकज अग्रवाल ने नए वैरिएंट डेल्टाक्रॉन से बचाव से जुड़े कुछ उपयोगी बातें भी बताई.
कोरोना वायरस के नए-नए रूप जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे लोगों के मन में खौफ़ पैदा हो रहा है. लोग बढ़ती महामारी को लेकर काफ़ी परेशान हैं. वहीं अब ओमिक्रॉन व डेल्टा से मिलकर एक और नए कोरोना वैरिएंट की ख़बर आ रही है. इससे पहले ओमिक्रॉन को सबसे तेज फैलने वाला कोरोना वैरिएंट माना जा रहा है, वहीं डेल्टा ने भी कई देशों में आतंक मचाया है. ऐसे में इनके मिले-जुले नए वैरिएंट को ज़्यादा ख़तरनाक माना जा सकता है. बता दें कि लियोन्डियोस कोस्ट्रिक्स जो कि साइप्रस यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान के प्राध्यापक हैं ने इसे ‘डेल्टाक्रॉन’ नाम दिया है.
कोरोना के नए वैरिएंट से बचाव के उपाय
इम्यूनिटी को बढ़ाने के तरीक़े
होमियोपैथिक उपचार है मददगार
हमारे एक्सपर्ट कहते हैं कि होमियोपैथिक उपचार इस समस्या को दूर करने में उपयोगी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस उपचार के उपयोग से प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकता है. हालांकि वायरस हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरीक़ों से बीमार कर रहा है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आख़िर क्यों यह संक्रमण 70% लोगों को नुक़सान पहुंचा पाया है, पूरे 100% लोगों को नहीं? इसके पीछे कारण है मज़बूत इम्यूनिटी. जी हां, होमियोपैथिक उपचार बिना किसी साइड इफेक्ट के आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है. ऐसे में लोग होमियोपैथिक उपचार के माध्यम से अपने मन के डर को ख़त्म कर सकते हैं.
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