18 कॉमन हेल्थ मिथ्स, जिनकी सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे आप… (18 Common Health Myths You Hear Every Day)

हेल्थ और फिटनेस से जुड़े कई ऐसे भ्रम हैं, जिनका सच से कोई वास्ता नहीं होता, लेकिन हम इन्हें इतनी बार इतने लोगोंके मुंह से सुन चुके होते हैं कि समय के साथ-साथ हमें ये सच लगने लगते हैं. यहां हम ऐसे ही कॉमन हेल्थ मिथ्स की बात करेंगे. 

ज़्यादा मीठा खाने से डायबिटीज़ होती है: सबसे पहली बात कि डायबिटीज़ मीठा खाने से नहीं, पैंक्रियाज़ द्वारा पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन न बना पाने के कारण होती है. हां, यदि आप बहुत मीठा खाते हैं, तो उससे वज़न बढ़ने का ख़तरा ज़रूर रहता है और बढ़े वज़न के कारण टाइप 2 डायबिटीज़ का रिस्क हो जाता है, लेकिन मीठा खाने और डायबिटीज़ में सीधेतौर पर कोई कनेक्शन नहीं है. तो मीठा कम खाएं, ताकि वज़न न बढ़े और आप फिट रहें. 

हेल्दी रहने के लिए डेली 8-10 ग्लास पानी पीना ज़रूरी है: हम सबकी बॉडी अलग होती है और उसी के अनुसार हर बॉडी की ज़रूरत भी अलग-अलग होती है. किसी के लिए 6 ग्लास पानी ही पर्याप्त होता है, तो किसी के लिए 8 ग्लास भी कम होता है, लेकिन बहुत अधिक पानी पीने से शरीर के फ्लूइड पतले हो जाते हैं, जो शरीर में सोडियम के स्तर को इस हद तक कम कर सकते हैं, जिससे जान को ख़तरा तक हो सकता है, यह बात लोग जानते ही नहीं. इसलिए कहा जा सकता है कि हेल्दी रहने के लिए जितना हो सके पानी पीना यह सबसे बड़ा मिथ है, लेकिन इस मिथ पर लोग आंख बंद करके विश्‍वास करते हैं.

बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए नियमित रूप से फास्टिंग यानी उपवास ज़रूरी है: यह धारणा ग़लत है, क्योंकि शरीर की ख़ुद को क्लीन करने की अपनी नेचुरल प्रक्रिया होती है. शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने के लिए लिवर, किडनी और स्प्लीन नियमित रूप से काम करते हैं. ऐसा कोई तथ्य नहीं पाया गया अब तक कि न खाने से या स़िर्फ पानी या जूस पर ही कुछ दिन तक रहने से इन अंगों का काम बेहतर होता है. बस, हेल्दी खाएं और अनहेल्दी से बचें, तो भी शरीर में टॉक्सिन्स नहीं होंगे. 

फैट्स का मतलब यानी अनहेल्दी चीज़ और मोटापा: सभी फैट्स ख़राब या अनहेल्दी नहीं होते. दो तरह के फैट्स होते हैं, गुड फैट्स और बैड फैट्स. गुड फैट्स शरीर के लिए बेहद आवश्यक होते हैं और शरीर को फिट रखते हैं. 

फैटी फूड से मोटापा बढ़ता है: जैसाकि अभी बताया गया है कि फैट्स शरीर के लिए बेहद ज़रूरी होता है और जहां तक मोटापे की बात है, तो स़िर्फ फैटी फूड खाने से मोटापा नहीं बढ़ता, बल्कि बॉडी में एनर्जी के असंतुलित होने से मोटापा बढ़ता है. जब आप अधिक कैलोरीज़ लेते हो और ख़र्च उससे कम करते हो, तब मोटापा बढ़ता है, इसलिए पतले होने के लिए फैट्स को पूरी तरह से अपने डायट से हटा देना बिल्कुल भी हेल्दी नहीं है. फैट्स दरअसल कैलोरीज़ का ही एकत्रित स्रोत होता है, तो कोशिश करें कैलोरीज़ ज़रूरत के मुताबिक लें और उन्हें ख़र्च भी करें. 

ख़ास शैंपू के इस्तेमाल से दोमुंहे बालों से छुटकारा मिल सकता है: कोई भी शैंपू यह चमत्कार नहीं कर सकता. स़िर्फ हेल्दी डायट, जैसे- बादाम, फिश, नट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि से ही बालों को हेल्दी रखा जा सकता है. लेकिन यदि फिर भी दोमुंहे बालों की समस्या हो जाती है, तो नियमित रूप से बालों को ट्रिम करवाना ही एकमात्र रास्ता है.

एंटीपर्सपरेंट और डियोडरेंट से ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा होता है: ये बातें अक्सर सुनी जाती हैं कि  अगर आप अंडरआर्म्स में डियोडरेंट लगाते हैं, तो बॉडी उसे सोख लेती है और ब्रेस्ट टिश्यू उसे सोख लेते हैं, जिससे कैंसर सेल्स पैदा होते हैं. लेकिन साइंटिस्ट्स को इस तरह की बातों या कनेक्शन के कोई प्रमाण नहीं मिले. 

आपको रोज़ाना मल्टिविटामिन्स की ज़रूरत होती है: अक्सर लोग सोचते हैं कि जो पोषण उन्हें भोजन से नहीं मिल पाता उसे वो मल्टीविटामिन लेकर पूरा कर सकते हैं, जबकि शोधकर्ता ऐसा नहीं मानते. हां, अगर आपके डॉक्टर ने कहा है, तो ज़रूर उनकी सलाह मानें. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के लिए जो भी सलाह डॉक्टर्स देते हैं, उन्हें मानना ज़रूरी है, लेकिन एक सामान्य इंसान को अपने डायट को हेल्दी बनाने की कोशिश करनी चाहिए. रोज़ फल और सब्ज़ियां लें, नट्स, ग्रेन्स और ज़रूरी आयल्स अपने खाने में शामिल करें.

ज़्यादा शुगर खाने से बच्चे हाइपरएक्टिव होते हैं: यह धारणा बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि शोधों ने इस थ्योरी पूरी तरह से ग़लत साबित कर दिया है. अब अगली बार अपने बच्चे को चॉकलेट खाने से मत रोकिएगा. हां, अधिक मीठा खाने से वज़न ज़रूर बढ़ सकता है और दांतों की भी समस्या हो सकती है, लेकिन इससे बच्चा हारइपरएक्टिव नहीं होगा. 

सर्द मौसम, ठंडी हवाएं और बालों को अधिक देर तक गीला रखने से सर्दी-ज़ुकाम होता है: ठंडे मौसम का सर्दी या फ्लू से कोई संबंध नहीं है. अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि बाहर ठंडी हवा चल रही है, गर्म कपड़े पहन लो वरना कोल्ड हो जाएगा. जबकि सर्दी होने की वजह एलर्जी और वायरल इंफेक्शन्स होते हैं. इसी तरह से अगर आपके बाल गीले हैं, तो उससे भी कोल्ड नहीं होगा. हां, अगर आपको पहले से सर्दी हुई है और ठंड के मौसम में आप बालों को गीला रखते हैं, तो आपकी सर्दी बढ़ ज़रूर सकती है, लेकिन उसकी वजह से सर्दी या फ्लू नहीं होगा.

खाना स्किप करने से वज़न कम होता है: खाना बंद करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स होने लगती हैं. इसके अलावा, आपका मेटाबॉलिक सिस्टम भी धीमा पड़ जाता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, लेकिन लोगों की यह धारणा रहती है कि एक व़क्त खाना बंद कर देंगे, तो वज़न कम हो जाएगा, पर खाना बंद करने से वज़न और बढ़ने की आशंका होती है, क्योंकि हो सकता है आप अगली मील में अधिक खाएं.

वज़न कम करना है, तो ब्रेकफास्ट करें: शोधों में ऐसा कहीं नहीं पाया गया. हां, नाश्ता करने से आप ऊर्जा का अनुभव करते हैं और पेट भी भरा हुआ महसूस होता है, जिससे हो सकता है कुछ लोगों को वज़न कंट्रोल करने में मदद मिले, लेकिन यदि आपको नाश्ते की आदत नहीं, तो ज़बर्दस्ती न करें, क्योंकि जो नाश्ता नहीं करते उन्हें अगली मील में न तो ज़्यादा खाते हुए पाया गया है और यही नहीं, वो नाश्ता करनेवालों के मुकाबले दिनभर में कम कैलोरीज़ लेते हैं. 

एग योक यानी अंडे का पीला भाग खाने से हार्ट को नुक़सान होता है: अंडे के पीले भाग में काफ़ी अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल होता है, लेकिन यह हेल्दी होता है और शरीर को कोलेस्ट्रोल की भी ज़रूरत होती है. इसलिए अंडे को अनहेल्दी नहीं कहा जा सकता. एक स्वस्थ इंसान रोज़ाना एक अंडा खा सकता है. हार्ट के लिए सबसे बड़े दुश्मन हैं- सैचुरेटेड और ट्रांस फैट्स. अंडे में कोई ट्रांस फैट्स नहीं होता और सैचुरेटेड फैट्स भी बेहद कम होता है. हां, यदि आपको हार्ट डिसीज़ है, तो थोड़ी सतर्कता ज़रूर बरतें. हम में से अधिकतर लोग अंडे या अन्य खाद्य पदार्थों से जो कोलेस्ट्रॉल का सेवन करते हैं, वो ब्लड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में उतनी बड़ी भूमिका नहीं निभाता, क्योंकि हमारा शरीर ख़ुद ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य कर लेता है. 

माइक्रोवेव में पका खाना ख़तरनाक और अनहेल्दी होता है: अक्सर लोग यह मानते हैं, लेकिन खाना पकने की प्रक्रिया दरसअल खाने में जो हीट पैदा होती है उससे ही पूरी होती है, इसलिए माइक्रोवेव कुकिंग किसी भी दूसरी कुकिंग से अलग नहीं होती और पूरी तरह सेफ भी होती है. माइक्रोवेव्स में जिन रेज़ वेव्स का प्रयोग होता है, वो बहुत ही माइल्ड और हल्की होती हैं, जिनसे कोई नुकसान नहीं होता.

कार्बोहाइड्रेड्स से वज़न बढ़ता है: अगर आप शक्कर, व्हाइट ब्रेड या पास्ता अधिक खाते हैं, तो आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन गुड कार्बोहाड्रेड्स शरीर के पोषण के लिए बेहद ज़रूरी हैं, जैसे- साबूत अनाज, बीन्स, फल-सब्ज़ियां. ये आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का बड़ा स्रोत हैं और यदि आप गुड कार्बोहाड्रेड्स कम कर देंगे तो ऊर्जा का स्रोत कम हो जाएगा. बेहतर होगा कि चाहे लो फैट डायट हो या लो कार्ब, आप गुड फैट्स और गुड कार्ब को डायट में ज़रूर शामिल करें. बैड फैट्स और बैड कार्ब से दूर रहें. वैसे भी आप लंबे समय तक लो कार्ब डायट पर रह भी नहीं सकते, क्योंकि इससे शरीर को ज़रूरी पोषण और फाइबर नहीं मिल पाएगा.

रात को ली जानेवाली कैलोरीज़ से मोटापा तेज़ी से बढ़ता है: फर्क़ स़िर्फ इससे पड़ता है कि आप कुल मिलाकर रोज़ कितनी कैलोरीज़ ले रहे हो और उसके मुकाबले कितनी ख़र्च कर रहे हो, क्योंकि कैलोरीज़ तो कैलोरीज़ ही होती हैं, उन्हें यह नहीं पता होता कि उन्हें रात में लिया जा रहा है या दिन में. 

टॉयलेट सीट आपको बीमार कर सकती है: यदि टॉयलेट सीट साफ़ रहती है, तो परेशन न हों और यदि आप उसको कवर नहीं कर सकते तो भी समस्या नहीं, क्योंकि उनके मुकाबले बाथरूम के दरवाज़े, उन दरवाज़ों के हैंडल्स और फर्श आपको ज़रूर बीमार कर सकता है, क्योंकि ई कोली, फ्लू व पेट का फ्लू देनेवाले वायरस व बैक्टीरियाज़ वहीं पनपते हैं. बेहतर होगा दरवाज़ों और हैंडल्स को छूने से पहले अपने हाथों को टिश्यू से कवर करें और बाद में भी हैंड सैनिटाइज़र ज़रूर यूज़ करें. 

हड्डियां कटकने की आवाज़ से आर्थराइटिस होता है: जी नहीं, ऐसा कहीं नहीं पाया गया. अक्सर लोग सोचते हैं कि जब दो हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं, तब यह आवाज़ आती है, लेकिन सच तो यह है कि यह आवाज़ हड्डियों के बीच गैस बबल्स बनने से होती है. अगर आपको हड्डियां कटकाना पसंद है, तो ज़रूर ऐसा करें. शोध में नहीं नहीं पाया गया कि ये आर्थराइटिस का कारण बनते हैं. हां, अगर आपको हड्डियों में, जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है, तो ज़रूर डॉक्टर के पास जाएं. लेकिन मन में ग़लतफहमी न पालें.

तो अब तो आप जान ही गए होंगे कि कितनी और किस तरह की ग़लतफ़हमियाँ हमने हेल्थ को लेकर मन में पाल रखी हैं, बेहतर है इन्हें दूर करें और हेल्दी रहें!

– भोलू शर्मा

यह भी पढ़ें: बच्चों के रोग: बच्चों को होने वाली आम बीमारियों के 72 घरेलू उपाय (72 Home Remedies For Common Kids’ Ailments)

Geeta Sharma

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