“अभिनव मैं चाहती हूं तुम बोलो और खुलकर बोलो. मैं इस रिश्ते को कभी बोझ नहीं बनने दूंगी और यदि…
"... उसकी अपनी इच्छा, अपना मौलिक स्वरूप तो कहीं खो-सा गया है. एक मॉकटेल बनकर रह गई है वो! हर…
"इस उम्र में एक और बच्चे की मां बनकर बहुत अच्छा लग रहा है. वह भी एक पले-पलाए, समझदार, होनहार…
भीगी-सी ये बारिश एहसास कराती है कई बातों का... महबूब से हुई मीठी मुलाकातों का... उसके ख़्वाबों में डूबी हुई…
मैंने हैरानी से पूछा, “दीदी, आप तो चाय के नाम से ही चिढ़ती थीं. ज़िंदगी में कभी चाय पीते आपको…
लगभग आधे घंटे के भीतर वह घर पर था. उसे अचानक दोपहर में आया देख पार्वती चौंक पड़ी.“क्या हुआ असीम…
जब कभी लड़कियों की उंगलियों का स्पर्श हो जाता, उसे अच्छा लगता. फिर वह पुस्तक पढ़ते हुए सो जाता. वह छुट्टियों…
डॉ. निरुपमा राय हम दोनों बहनें जब हॉस्टल में रहती थीं, तो मां कैसे हमारे ख़तों से हमारे दुख-दर्द जान…
मैंने जब ये सारी बातें अपने शोध-निदेशक (दीप्ति के चाचाजी) के साथ साझा की, तो उन्होंने इस प्रस्तावित प्रवास में…
मेरे जन्म को अभी कुछ समय बाकी है, लेकिन तुम तो ख़ुशी से बौराई हुई हो. कारण तुम्हारा पहली बार…