पूर्ति वैभव खरे "हां… हां… रोज़ यही तो कहते हो तुम सब. तुम सबकी फ़िक्र है मुझे. सो कहती रहती…
संजीव जायसवाल 'संजय' “तू काहे झूठ बोल रहा है.” तभी जाट ने वहां आ मोटा लट्ठ पटकते हुए कहा, “जब…
उलझा हूं ज़िंदगी की उलझनों में ऐसेउनको याद करने की फ़ुर्सत नहीं मिलती जो इश्क़ में करते थे जीने मरने…
हंसा दसानी गर्ग उनका आश्वासन मिलने के बाद सावित्री बहुत निश्चित सी हो गई थी. उसकी आंखों में आए कृतज्ञता…
डॉ. विनीता राहुरीकर मां का आहत, क्षुब्ध मुख देखकर मन को मानो विजय का एहसास हुआ. मन एक कुटिल उल्लास…
रोचिका अरुण शर्मा “ख़तरा तो तब भी था, वरना मैं तुम्हें बत्ती जाते ही वहां से निकाल कर क्यूं लाता.…
प्रतिभा तिवारी “फैमिली में कौन है तुम्हारे? पति क्या करते हैं तुम्हारे..? बच्चे?” “अरे, इतने सारे सवाल… इतना उतावलापन. अब…
"अच्छा… इतनी ईमानदारी!" पूंजीलाल का मन बेचैन हो गया. वो सारी रात सो न सके. एक गरीब औरत, जो शराबी…
"यह क्या बॉम्ब-वॉम लगा रखा है. शरीर के साथ दिमाग़ भी बुढ़ा गया है क्या! बॉम्ब मंगा के हवेली में…
मेरी आंखों में आंसू देखे तो अपने चिर-परिचित अंदाज़ में बेटी बोली, “क्या हुआ मेरी कर्मण्येवाधिकारस्ते?" मैंने आपबीती सुनाई तो…