विक्रम-बेताल की कहानी- पति कौन? (Vikram-Baital Story- The Groom) बहुत समय पहले की बात है, धर्मस्थल नाम का एक नगर…
और बच्चे... आख़िर उन्होंने कब समझी थी मां की अहमियत... बस, अपनी फ़रमाइश उनके सामने रख देते थे, जो पूरी…
ग़ज़ल 1 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया इक इश्क़…
समाज की आधी आबादी स्त्रियों की होने के बावजूद एक स्त्री दूसरी स्त्री को सहारा देने आगे क्यों नहीं बढ़ती?…
World Poetry Day मैं जब भी अकेला होता हूं क्यों ज़ख़्म हरे हो जाते हैं क्यों याद मुझे आ जाती…
उस दिन हम मिले तो मिले कुछ इस तरह जैसे मिलती है धूप छाया से जैसे मोती से सीपी मिल…
ज़िंदगी पूरी लगा दी एक-दूसरे को परखने में सोचती हूं काश! समय रहते कुछ वक़्त लगाया होता एक-दूसरे को समझने…
‘'आख़िर किस आधार पर मैं अपनी बात पर अड़ती. मेरे पास किसी का कमिटमेंट भी तो नहीं था.” कातर स्वर…
किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था. एक दिन वो दावत में गया जहां उसे यजमान से एक बकरा मिली.…
“बाबूजी, संसार में हर जन अकेला आवे है और यहां से अकेला ही जावे है. भगवान हमारे जरिये से…