"क्या इससे तुम बदनामी से बच जाओगी?” “यही तो वो प्रश्न है, जिससे बचने के लिए सदियों से निर्दोष स्त्री…
काश! पहले यह अंतर समझ आ जाता कि यह ‘पज़ेसिवनेस’ नहीं ‘प्रोटेक्टिवनेस’ है, तो बात कुछ और ही होती. क्यों…
“आपने केवल मेरी अपवित्र देह देखी, पवित्र और क्षत-विक्षत मन नहीं. ठीक है, मेरे शरीर पर किसी और ने अधिकार…
किसी घने जंगल में एक बहुत बड़ा शेर रहता था. वह रोज़ शिकार पर निकलता और एक-दो नहीं, कई-कई जानवरों…
अपने चेहरे की घबराहट को किससे छुपाना चाहती है संध्या. यहां तो उसके सिवाय और कोई भी नहीं. उसकी बेटी…
नारी होकर भी तुम नारी के मन की व्यथा को समझ नहीं पा रही थीं. हां, शायद इसमें बाबूजी की…
मां की तस्वीर के आगे गुलाब रखा, तो आंखों के कोर पर कुछ गरम-गरम उमड़ आया था. मां का गहरा…
जंगल में एक शेर रहता था. उसके चार सेवक थे चील, भेड़िया, लोमड़ी और चीता. चील दूर-दूर तक उड़कर समाचार…
अवनी क्या कभी मुझसे लिपटकर प्यार करते व़क़्त सोचेगी कि मेरी आंखें, नाक, रंग, बाल उससे मेल खाते हैं या…
मुझे ऐसा सोचना बुरा लगता है कि वक़्त बदलने के साथ रिश्तों की गर्माहट कम हो जाए और उसकी जगह…