सिकंदर ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, “एक लोटे पानी के लिए मैं उसे मुंहमांगी क़ीमत देने को तैयार हूं.”…
सहदेव के सामने आने पर दुर्योधन ने विनय पूर्वक कहा, “युद्ध तो अब निश्चित हो चुका है. तुम तो त्रिकालदर्शी…
"...घास लंबी होकर मुरझाती रही. बांस में अंकुर नहीं फूटा. मैं दोनों को अपने स्नेह से सिक्त करता रहा. आख़िर…
गुरुजी ने बताया, "ये नरक है." फिर गुरुजी उसे दूसरे कमरे में ले गए. वहां का नज़ारा भी वैसा ही…
सेना के बीच से चलते हुए युधिष्ठिर और उनके पीछे चलते अन्य पांडव सीधे पितामह भीष्म के पास पहुंचे. वहां…
प्लैटो ने अपने गुरु से कहा, “यूनानी समाज आपके उच्च कोटि के विचारों के लायक नहीं है, अतः आप यहां…
शिष्यों की सहायता करने के लिए उसने एक बूढ़ी स्त्री का पता बताया, जो रोज़ जंगल में पत्ते बीनने जाया…
“मैं आईना इसलिए देखता हूं, ताकि मुझे अपनी कुरूपता का भान होता रहे और मैं अच्छे काम करने का प्रयत्न…
पहरे पर खड़े बलराम ने कुछ समय पश्चात एक भयानक राक्षस की आकृति पास आती देखी. राक्षस ज़ोर से दहाड़ा,…
सब पशोपेश में पड़ गए, यह कैसे सम्भव है? बिना कोहनी मोड़े निवाले को मुंह तक कैसे ले जाया जा…