प्यार का एहसास हर किसी के लिए बहुत ही ज़्यादा ख़ूबसूरत होता है. शुरुआत में तो कुछ सालों तक ये…
स्वप्निल अब उसके लिए इस तरह हो गया था, जिस पर न कोई अधिकार है, न उलाहना. प्रेम अब…
खामोशी के साये में खोए हुए लफ़्ज़ हैं… रूमानियत की आग़ोश में जैसे एक रात है सोई सी… सांसों की हरारत है, पिघलती सी धड़कनें… जागती आंखों ने ही कुछरूमानी से सपने बुने… मेरे लिहाफ़ पर एक बोसा रख दिया था जब तुमने, उसके एहसास आज भी महक रहे हैं… मेरी पलकों पर जब तुमने पलकें झुकाई थीं, उसे याद कर आज भी कदम बहक रहे हैं… लबों ने लबों से कुछ कहा तो नहीं था, पर आंखों ने आंखों की बात पढ़ ली थी, वीरान से दिल के शहर में हमने अपनी इश्क़ की एक कहानी गढ़ ली थी… आज भी वोमोड़ वहीं पड़े हैं, जहां तुमने मुझसे पहली बार नज़रें मिलाई थीं, वो गुलमोहर के पेड़ अब भी वहीं खड़े हैं जहां तुमने अपनेहोंठों से वो मीठी बात सुनाई थी… आज फिर तुम्हारी आवाज़ सुनाई दी है, आज फिर प्यार के मौसम ने अंगड़ाई ली है, तुम्हारे सजदे में में सिर झुकाए आज भी बैठा हुआ हूं, तुम्हारी संदली ख़ुशबू से मैं आज भी महका हुआ हूं… आ जाओ किमौसम अब सुहाने आ गए, हवा में रूमानियत और मेरी ज़िंदगी में मुहब्बत के ज़माने आ गए! गीता शर्मा डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z…
नज़रें मुस्कुराने लगती हैं.. धड़कनें गुनगुनाने लगती हैं.. एकतरफ़ा ही सही मुहब्बत की महफ़िल होती है उस तन्हा दिल में……
शादी से लेकर हनीमून तक के सफ़र में वे हर पल मेरे संग बने रहने का प्रयास करते रहे और…
ढलती शाम के आसमान में छाया केसरिया रंग मुझे बेहद प्रिय है. किस उम्र में मन उस केसरिया रंग में…
मेरी कोई उम्र नहीं... कोई सीमा नहीं... और मैं कभी मरता भी नहीं... जनाब! मुझे इश्क़ कहते हैं... * हम…
‘‘वो याद कर रही होगी!’’ कहते-न-कहते पार्वती के चेहरे पर एक अजीब-सा तनाव उभर आया... सहसा महेन्द्र बाबू को भी…
पत्र खोलते ही सम्बोधन ने उसे चौंका दिया, ‘प्रिय मधु...?’ उसके माथे पर सोच की लकीरें उभर आईं. इस नाम…
“प्यार शादीशुदा या कुंवारा देखकर तो नहीं किया जाता. बस, हो जाता है. सो हो गया.” मैंने भी दृढ़ता…