Short Stories

काव्य- गर तुम होते… (Kavay- Gar Tum Hote…)

लिपटकर रो लेती गर तुम होते

ग़म कुछ कम होते गर तुम होते

बांहों में सिमट जाते खो जाते गर तुम होते

तुम्हारे हो जाते गर तुम होते

कल भी पुकारा था दोराहे पर

आंख न नम होती गर तुम होते

हां उसी मोड़ पर जाकर देखा है अभी

साथ-साथ चलती गर तुम होते

मुकम्मल हो जाती मुहब्बत मेरी

हां तुम गर तुम बस तुम होते…

 

– विद्यावती

यह भी पढ़ेShayeri

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- आपने कहा था (Short Story- Aapne Kaha Tha)

सांत्वना सिसक पड़ी. एक पल को चुप रह कर अविनाश ने कहा, "सांत्वना, आज से…

July 4, 2025

रिश्तों में क्यों बढ़ रहा है इमोशनल एब्यूज़? (Why is emotional abuse increasing in relationships?)

रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता…

July 3, 2025
© Merisaheli