काव्य- ख़ामोशियां (Kavya- Khamoshiyan)

मेरी आवाज़
ख़ामोशियों में कही जा रही
मेरी बात का
पर्याय नहीं है
बल्कि वह तो
ख़ामोशियों में चल रही पूर्णता
की अभिव्यक्ति का
अधूरा आईना है
ख़ामोशी मल्टी डायमेंशनल है
और आईना
अभी टू डी से आगे
नहीं देख पाता
वह भी इमेज को
रिवर्स कर के
इसलिए
शब्दों में कही मेरी बात
ख़ामोशियों में कही हुई बात
को नापने का पैमाना नहीं है
रही ख़ामोशियां पढ़ने की बात
तो यह
मैं
तुम्हारे चेहरे पर
बख़ूबी पढ़ लेता हूं
मेरी ख़ामोशी कौन पढ़ता है
यह मुझे नहीं पता…

– मुरली


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Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

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Usha Gupta
Tags: shayariKavya

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