काव्य- पगडंडियाँ (Poetry- Pagdandiyan)

पगडंडियाँ कभी झूठ नहीं बोलतीं

निश्चित रूप से गन्तव्य तक पहुँचाती है

अनुभवी लोगों का

पदचिह्न होती हैं वह

विजेताओं का प्रमाणपत्र!

पगडंडियाँ कभी झूठ नहीं बोलतीं

घुमावदार जलेबी सी नहीं

सीधी राह मंज़िल पहुँचाती है

और

अपनी उपयोगिता खो देने पर

चुपचाप – घास में

ओझल हो जाती हैं

पगडंडियाँ कभी झूठ नहीं बोलतीं…

उषा वधवा


यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

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