रंग-तरंग- बही खाता: फिर भी सब ख़ैरियत है… (Rang-Tarang- Bahi Khata: Phir Bhi Sab Khairiyat Hai…)

आनेवाले साल को लेकर मेरे अंदर कोई जोश नहीं है (जो था कोरोना और केजरीवाल को दे चुका हूं) अन्दर जिगर में बीड़ी सुलगाने लायक भी आग नहीं बची. अब खाली हाथ कंबल ओढ़कर 31 दिसंबर का इंतज़ार कर रहा हूं. उस तरफ़ जो 2022 का नया साल खड़ा है, वह सारे रतौंधीवालों को हैप्पी नज़र आ रहा है. मैं हर साल दिसंबर के आख़री हफ्ते में हैप्पी होने की कोशिश करता हूं, ताकि नए साल में हैप्पी नज़र आऊं, क्योंकि रस्म दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है. इतना सब कुछ है सिर्फ़ हैप्पी गायब है. लगता है कि हैप्पी कुंभ मेले में… बाकी सब खैरियत है.

मैं बड़े धर्मसंकट में हूं, दिसंबर २०२१ में अब गिनती की सांसें बची हैं. ३१ दिसंबर की आधी रात को इसी के पेट से नया साल बाहर आएगा. कहते हैं की बिच्छू के बच्चे बिच्छू को मार कर पैदा होते हैं. नए साल की पैदाइश के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला है. साल 2021 किसी बिच्छू से कम नहीं रहा. पूरी दुनिया उसके डंक से अब तक कराह रही है. कोरोना की दूसरी लहर लाने का श्रेय इसी साल को जाता है, बाकी सब खैरियत है. दूसरी लहर को मैं कैसे भूल सकता हूं. अप्रैल चौदह को कोरोना ने मुझे अपने श्री मुख में डाला, तो २८ तारीख़ तक वो यही सोचता रहा कि एक व्यंग्यकार को निगलना ठीक रहेगा या नहीं. बाद में बगैर कारण बताए छोड़ दिया. इस बीमारी से मैं ६५ किलो से ५५ किलो का होकर रह गया, जो आज तक रिगेन नहीं हुआ, बाकी सब खैरियत है.
साधु, संत और उस्ताद मुझे नसीहत देते रहे कि मोह माया से दूर रहना. ये सीख इतनी बार दी गई कि समझ में आ गया कि मोह माया के अलावा बाकी सब मिथ्या है, क्षणभंगुर है. नतीज़ा यह हुआ कि मोह माया के अलावा हर चीज़ से दूर हो गया. लेकिन ट्रेजडी देखिए, कि प्रचुर मात्रा में मोह के बावजूद अभी तक माया पकड़ से बाहर है. प्रॉब्लम ये है कि गेहूं ख़रीदने के लिए मोह नहीं माया चाहिए. लेखक के लिए भी गेहूं से दूर रहना संभव नहीं है. बस यहीं से मोह माया के प्रति मिली दीक्षा का अतिक्रमण हो गया. गेहूं चीज़ ही ऐसी है. आदि पुरुष पैगंबर आदम को भी इसी गंदुम ने जन्नत से बेदख़ल करवाया था. केजरीवाल को इस गेहूं के अंदर छुपी ऊर्जा का पता था, इसलिए दिल्लीवालों को फ्री गेंहू बांट कर भाजपा की किडनी निकाल ली, बाकी सब खैरियत है.
कई राज्यों में विधानसभा का चुनाव होना है. कोरोना से सहमी हुई जनता को विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम देने का बसंत अभी से दरवाज़ा खटखटा रहा है, “खोलो प्रियतम खोलो द्वार…” लेकिन प्रियतम सहमे हुए हैं. जन्नत के पैकेज में भी प्रियतम को फफूंद नज़र आ रही है. हर पार्टी का अपना-अपना रामराज है. प्रियतम घनघोर कन्फ्यूजन में हैं- जाने कौन-से वाले में फाइबर ज़्यादा है… इसलिए काके लागू पाय का भ्रम बना हुआ है, बाकी सब खैरियत है.
यूपी में कुरुक्षेत्र उतरा हुआ है. सारे महारथी अपना-अपना चक्रव्यूह बना रहे हैं. रफेल के पीछे साइकिल दौड़ रही है. फेरीवाले ठेले पर रेवड़ी और रामराज साथ-साथ लाए हैं. हाथी अभी कंफ्यूज़न में है कि किसके साथ चले, तब तक सबको जनहित के लिए नुक़सानदेह बता रहा है.कांग्रेस के शिव भक्त अभी फ़ैसला नहीं कर पाए कि इस बार जनेऊ सदरी के ऊपर पहनना ठीक रहेगा या सदरी के नीचे, बाकी सब खैरियत है.
दिसंबर के आख़री हफ़्ते ख़र्च हो रहे हैं. सांता क्लॉज सदमे में है कि इस बार क्या बांटें. जिन राज्यों में चुनाव है, वहां हर पार्टी ने अपने-अपने सांता क्लॉज भेज दिए हैं. वह लोग अभी से धोती में गोबर लगाए गांव में घूम रहे हैं. उनका पैकेज ओरिजनलवाले सांता से ज़्यादा दिव्य है सांता क्लाज के झोले में सब कुछ 18 साल से नीचेवालों के लिए है, जबकि सियासी सांताओं के झोले में बालिगों के लिए बेकारी भत्ता से लेकर दारू तक सब कुछ है… सारा पैकेज- जाकी रही भावना जैसी के आधार पर है. हर साल दिसंबर में आनेवाले सांता अब सोने की छड़ें, तो अफोर्ड नहीं कर सकते. ये काम काफ़ी रिस्की भी है. सांता पर सोने की स्मगलिंग का केस लग सकता है (होम करते हाथ जले) हिरनों को स्लेज गाड़ी में जोत कर जिंगल बेल… कहते हुए शहर या बस्ती में जाना और भी जोख़िमभरा है. पर्यावरण मंत्रालय ऐसा केस बनाएगा कि अगले दिसंबर तक जमानत भी नही होगी. और कही सांता क्लॉज बारी से पहले प्रमोशन की घात में बैठे किसी पुलिस के हत्थे चढ़ गए, तो उनकी मॉब लिंचिंग तय है (क्योंकि हिरन को गाय साबित करना अब ज़्यादा मुश्किल काम नहीं रहा), बाकी सब खैरियत है.
आनेवाले साल को लेकर मेरे अंदर कोई जोश नहीं है (जो था कोरोना और केजरीवाल को दे चुका हूं) अन्दर जिगर में बीड़ी सुलगाने लायक भी आग नहीं बची. अब खाली हाथ कंबल ओढ़कर 31 दिसंबर का इंतज़ार कर रहा हूं. उस तरफ़ जो 2022 का नया साल खड़ा है, वह सारे रतौंधीवालों को हैप्पी नज़र आ रहा है. मैं हर साल दिसंबर के आख़री हफ्ते में हैप्पी होने की कोशिश करता हूं, ताकि नए साल में हैप्पी नज़र आऊं, क्योंकि रस्म दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है. इतना सब कुछ है सिर्फ़ हैप्पी गायब है. लगता है कि हैप्पी कुंभ मेले में… बाकी सब खैरियत है.
चौधरी की अलग प्रॉब्लम है. नए साल में उसके हैप्पी होने में अड़ंगा लगा है. किसी ने कह दिया कि नया कोरोना उसी दिन रात में आ रहा है, जिस दिन नया साल हैप्पी होनेवाला है. चौधरी इस बात से खफ़ा है. उसने बड़े मुश्किल से तीन बोतल हैप्पी का जुगाड किया था. कल वो काफ़ी नाराज़ दिखा, “उरे कू सुण भारती! कोरोना कितै मिलेगो?” सुनकर मैं तो घबरा गया, “लोग भागते हैं और तुम कोरोना को ढूंढ़ रहे हो.”
“सर फाड़ द्यूं!” चौधरी उबल पड़ा, “आगे पाच्छे न हैप्पी हो सके कती. उसी दिन हैप्पी होना ज़रूरी है के?”
“किस दिन! मैं समझा नहीं?”
सारा माजरा बता कर चौधरी बिगड़कर बोला, “इब तू बता, अक इकत्तीस की रात कू जिब नया साड़ पहले ते हैप्पी हो रहो, तो तमैं उस तारीख़ में हैप्पी होने की के ज़रूरत पड़ गी. आगे पाच्छे हो ले?”
मैने समझाने की कोशिश की, “किसी ने ग़लत ख़बर दी है. तू आराम से हैप्पी होना. कोरोना अभी अपने से बड़े महापुरुषों से सलाह ले रहा है. उसके विश्वसनीय और निकटवर्ती सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ कोरोना के फरवरी 2022 में हैप्पी होने की उम्मीद है.”
चौधरी ने शंका प्रकट की, “लोगन की बातचीत है कोरोना के गैल?”
“बातचीत न होती, तो ढाई महीने पहले ही उसके आने की ख़बर कैसे मिल जाती है?”
तब से चौधरी उस विश्वसनीय सूत्र को लाठी लेकर ढूंढ़ रहा है, बाकी सब खैरियत है…

  • सुलतान भारती

Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कद्दू के उपयोगी घरेलू नुस्ख़े (Useful home remedies of pumpkin)

कद्दू में विटामिन ए, सी व ई के साथ-साथ फाइबर, पोटैशियम, बीटा-कैरोटीन पाए जाते हैं,…

July 5, 2025

काजोल- यहां हर‌ फ़ैसला एक कुर्बानी है… (Kajol- Yahaan har faisla ek kurbani hai…)

- 'मां' एक माइथोलॉजिकल हॉरर मूवी है. इसमें मैं लोगों को इतना डराउंगी... इतना डराउंगी…

July 5, 2025

पुरुषों के इन हेल्थ सिग्नल्स को न करें नज़रअंदाज़ (Men’s health: Critical symptoms that should never be ignored)

पत्नी, बच्चों और घर के दूसरे सदस्यों के जरा-सा बीमार पड़ने पर अक्सर पुरुष तुरंत…

July 5, 2025

कहानी- वे दोनों‌ (Short Story- Ve Dono)

"बाकी जो समय बचेगा, उसमें हम दोनों पुराने दिनों के सहारे जी लिया करेंगे." "ठीक…

July 5, 2025
© Merisaheli